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हाल ही में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों से आम आदमी पार्टी का उदय हुआ। अब आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनावों में भी अपनी किस्मत आजमा रही है। आआपा की नीतियों और उसकी राजनीति के तरीके को लेकर हमने आआपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आने के बाद उससे अलग हुए लक्ष्मीनगर के विधायक विनोद कुमार बिन्नी से बातचीत की। पेश हैं पाञ्चजन्य की उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:-
अरविंद केजरीवाल साफ साफ बात कहने वाले विद्रोही के रूप में भारतीय राजनीति में अवतरित हुए थे। आपकी राय उनसे किस तरह अलग है?
जहां तक केजरीवाल की बात है तो उनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा फर्क है। वह सिर्फ आरोप लगाने की राजनीति करते हैं, दिल्ली में विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने 10 लाख 52 हजार लोगों से वायदा किया था कि उनके बिजली और पानी के बिल माफ कर दिए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने लोगों को 700 लीटर पानी मुफ्त देने की बात कही थी और साथ में यह भी कहा था कि यदि उससे ज्यादा पानी कोई प्रयोग करता है तो उसका बिल चुकाना होगा, लेकिन सत्ता मिलने पर वह बदल गए। उन्होंने कहा कि यदि 700 लीटर से ज्यादा कोई पानी प्रयोग करता है तो उसे पूरे पानी का बिल चुकाना होगा वो भी बढ़ी हुई दरों के साथ। चुनावों से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित समेत तमाम लोगों पर आरोप लगाए, लेकिन जब विधानसभा में डॉ. हर्षवर्धन ने उन आरोपों पर कार्रवाई करने के लिए कहा तो केजरीवाल का कहना था कि वह उन्हें सबूत मुहैया कराएं तो जरूर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने तमाम मुद्दों पर दिल्ली की जनता से धोखा किया है, इसलिए आज वह उनके साथ नहीं है।
ल्ल अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आआपा ने शीला दीक्षित सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए चुनाव लड़ा था, आज वह केरल की राज्यपाल हैं। इस पूरे घटनाक्रम को आप कैसे देखते हैं?
मैं पहले ही कह चुका हूं केजरीवाल और उनकी टीम की न तो कोई विचारधारा है न ही कोई स्पष्ट लक्ष्य, वह सिर्फ चर्चा में बने रहना चाहते हैं। उन्होंने तो चुनाव जीतने के बाद शीला सरकार के बारे में टिप्पणी करना ही बंद कर दिया था, क्योंकि उनके पास कोई सबूत नहीं थे। यदि उनके पास सबूत थे तो उन्हें इस बात का विरोध करना चाहिए था किसी ऐसे व्यक्ति को क्योंराज्यपाल बनाया जा रहा है जो भ्रष्टाचार में संलिप्त है। उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि वास्तव में कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई को निर्णायक रूप देना उनकी मंशा ही नहीं है।
ल्ल केजरीवाल अब बनारस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतरने को तैयार हैं। इस बारे में आप क्या सोचते हैं?
केजरीवाल ने पहले भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, अब भ्रष्टाचार का मुद्दा छोड़कर एक समुदाय विशेष की सुरक्षा का मुद्दा उठा रहे हैं, दरअसल उनके पास कोई मुद्दा है ही नहीं, सिर्फ आरोपों की राजनीति करना उनकी आदत में शुमार है।
ल्ल आआपा ने कहा था कि उसके टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ने वालों को लोकसभा का टिकट नहीं दिया जाएगा, लेकिन अब उसके कई उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां तक कि खुद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं, इस बारे में आपका क्या कहना है?
केजरीवाल सिर्फ छापामार राजनीति करते हैं, किसी भी मुद्दे पर चाहे वह प्रदर्शन के लायक हो या न हो, वह प्रदर्शन करते हैं, बेवजह का विवाद पैदा करते हैं। ताकि उनकी तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित हो, उनकी कथनी और करनी में बहुत फर्क है। यह बात मैं पहले ही कह चुका हूं। ऐसे में यदि वह अपने किसी विधायक को टिकट देते हैं, चाहे वह राखी बिड़ला हों या फिर शाजिया इल्मी, क्या फर्क पड़ता है? उन्हें तो वैसे ही बात बदलने की आदत है।
आआपा की आंदोलनकारी राजनीति क्या अपने लक्ष्य से भटक गई है? क्या आआपा लोकसभा में वास्तव में आम आदमी को टिकट दे रही है?
आआपा एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम कर रही है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, संजय सिंह और प्रशांत भूषण इसे चला रहे हैं। आम आदमी को कोई टिकट नहीं दिया जा रहा है। सिर्फ धनाढ्य लोगों को टिकट दिए जा रहे हैं। टिकट देने के नाम पर संजय सिंह लोगों से पैसे वसूल रहे हैं। उनके पास कई ऐसे आदमी हैं जो बता देंगे कि टिकट देने के नाम पर उनसे पैसे मांगे गए। ल्ल
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