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'चुनौती बड़ी इसलिए आए आगे'

by
Mar 25, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 25 Mar 2014 12:34:24

 

हालांकि स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज जीवन में राष्ट्रप्रेम के भाव को सींचता आ रहा है लेकिन विश्व का यह सबसे बड़ा सामाजिक संगठन आजकल कुछ ज्यादा चर्चा में है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के अकथनीय भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता से उपजे माहौल में संघ कार्यकर्ताओं की सक्रियता और उनका स्वाभाविक राजनैतिक रुझान मीडिया और सत्ता के गलियारों में ध्यान से देखा जा है। हाल ही में बंगलुरू में संपन्न संघ की अ.भा. प्रतिनिधि सभा में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत द्वारा स्वयंसेवकों को तात्कालिक और दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह के बाद यह बहस तेज हुई है कि मतदाता के दरवाजे पर संघ के स्वयंसेवक की दस्तक लोकतंत्र के प्रति चेतना जगाने का उचित प्रयास है अथवा राजनीति में अनुचित हस्तक्षेप। पाञ्चजन्य व आर्गेनाइजर के संपादकद्वय, हितेश शंकर और प्रफुल्ल केतकर द्वारा आसन्न चुनावों के परिप्रेक्ष्य में संघ की इसी सक्रियता पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश जोशी (भैया जी जोशी) से विस्तृत चर्चा की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश:-
 आपातकाल के बाद पहली बार चुनाव में संघ की बड़ी भूमिका चर्चा में है। इस सक्रियता का स्वरूप क्या है?
आपातकाल में एक विशेष परिस्थिति थी। उस समय लोकतंत्र के समक्ष एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया था। देश के सामने एक बड़ा प्रश्न था कि लोकतंत्र रहेगा या तानाशाही प्रारंभ होगी। देश की आवश्यकता को ध्यान में रखकर संघ ने उस समय भी बहुत प्रभावी भूमिका निभाई और जो दायित्व स्वयंसेवकों को मिला उसे उन्होंने कार्य रूप में परिणत भी किया, लेकिन आज की परिस्थितियां एकदम भिन्न हैं। यहां तानाशाही का संघर्ष तो नहीं किंतु जनता की आकांक्षाओं के प्रतिकूल वर्तमान भ्रष्ट और अक्षम सरकार को बदलने का एक सामूहिक अभियान है। देश के सामने आज एक बड़ी चुनौती है कि भविष्य में यह किस ओर जाएगा तो तीव्र जनभावनाओं को देखकर ही संघ ने विशेष भूमिका निर्वाह करने का निर्णय किया है।
प्रचारकों और अन्य पदाधिकारियों की इसमें क्या भूमिका है?
संघ में प्रचारकों और अन्य पदाधिकारियों की भूमिका में कभी कोई अंतर नहीं आता। हम सब की भूमिका एक जैसी रहने वाली है। हम सभी स्वयंसेवकों का एक ही लक्ष्य है कि मतदाताओं को जागरूक किया जाए और लोगों को मतदान के प्रति सतर्क किया जाए। इस हेतु हमने सभी प्रकार के प्रयास किए हैं। सामान्य जीवन में यह अनुभव होता है कि पढ़े-लिखे समाज के बड़े संभ्रात और संपन्न लोग भी मतदान करने नहीं जाते। संघ ने सोचा है कि इस बार बड़ी संख्या में नागरिकों को मतदान के लिए उत्साहित और प्रेरित किया जाए। मतदाता जागृत हों, मतदान के लिए जाएं और मुद्दों तथा देश के प्रश्नोंे को समझते हुए उचित शासन की नींव रखें।
 भ्रष्टाचार, कुशासन, बदलते सामाजिक मूल्य और विश्वसनीयता की कमी के बारे में आजकल काफी कहा और लिखा जा रहा है। संघ का इस बारे में क्या दृष्टिकोण है? क्या आपको लगता है कि सरकार बदलने से यह सब ठीक हो जाएगा?
भ्रष्टाचार और कुशासन सरकार के बदलने की संभावना प्रबल बना रहे हैं। नेतृत्व बदलने से तंत्र के बदलाव की संभावना भी बढ़ जाती है। आज सामान्य नागरिक अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहा है। महिलाओं का जीवन तो और भी असुरक्षित हो गया है। ऐसे परिस्थिति में सक्षम नेतृत्व और कठोर प्रशासन की आवश्यकता पड़ती है। आज दुर्भाग्य से राजनैतिक नेताओं, प्रचार माध्यमों और शासन में कार्यरत कर्मचारियों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। मूल्यों को स्थापित करने के लिए और समाज में विश्वास निर्माण करने के लिए प्रभावी नेतृत्व आवश्यक है और यह भी सत्य है कि यदि योग्य और समक्ष व्यक्ति नेतृत्व करेगा तो सरकार बदलने से निश्चित रूप से कुछ न कुछ सकारात्मक परिणाम देश और समाज के समक्ष अवश्य उपस्थित होंगे। देश एक मजबूत नेतृत्व चाहता है और उस ओर देख रहा है।
देश के युवा वर्ग की जीवनशैली और आकांक्षाएं बदल रही हैं। संघ आधुनिक बदलावों को कैसे देखता है?
समय -समय पर युवा वर्ग की बात चलती है। आकांक्षाओं के विषय बदलते हैं। जीवनशैली के बाह्य रूप से विषय भी बदलते हैं, लेकिन हमें कभी भी जीवनशैली में आया परिवर्तन चुनौती नहीं लगा। आज जैसा वातावरण है उसमें कोई भी युवक यदि स्वयं के विकास और उत्थान की बात सोचता है तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। हमारा प्रयत्न रहता है कि जीवनशैली में परिवर्तन करते हुए भी युवा युवा परंपराओं और मूल्यों को ध्यान में रखकर एक सीमा से आगे समाज जीवन शैली में पश्चिमी विचारों और रीति नीति का प्रभाव ग्रहण न करें। संघ ने कभी युवाओं की व्यक्तिगत आकांक्षा-इच्छा का विरोध नहीं किया बल्कि इनको देश के हित के साथ सुसंगत करने पर बल दिया। संघ यही अपेक्षा करता है कि युवा वर्ग आकांक्षाओं से भरा हो और उसमें देशहित और समाजहित समाहित हों।
क्या आपको नहीं लगता कि इससे संघ आलोचकों की इस बात को बल मिलता है कि संघ की सक्रियता भाजपा को लाभ दिलाने के लिए है?
संघ ने हमेशा देश हित के साथ चलने वालों का समर्थन किया है। वैचारिक और व्यावहारिक धरातल पर राजनैतिक दलों के लिए यह हमारी कसौटी है। इसलिए यह कहना कि केवल भारतीय जनता पार्टी को लाभ दिलाने के लिए हम ऐसा कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है। यदि भारतीय जनता पार्टी समाज की आकांक्षाओं के अनुरूप अपेक्षित मार्ग पर चलती है तो अच्छा ही है। निश्चित रूप से जिस प्रकार का परिवर्तन आज सारा देश करना चाह रहा है उस समाज के स्वर में ही हमारा स्वर है। मजबूत नेता में क्या बुराई है? यदि देश एक दृढ़, कर्मठ नेतृत्व को स्वीकारने की दिशा में बढ़ता है तो इसमें गलत क्या है?
समाज और देश हित के लिए आवश्यक सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए जो कोई भी प्रतिबद्ध होगा हम उसको साथ लेकर चलने को तैयार हैं। हम चाहते हैं कि सभी राजनैतिक दल समाज के विश्वासपात्र बनें।
ल्ल नए मतदाताओं का पंजीकरण और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अभियान तो चुनाव आयोग ने भी चलाया, संघ को इसमें उतरने की क्या जरूरत है?
चुनाव आयोग द्वारा मतदान वृद्धि के लिए किए गए प्रयत्नों का हम स्वागत करते हैं, लेकिन अपने अनुभव से हमारी यह मान्यता है कि चुनाव आयोग भी आखिर एक व्यवस्था पर ही निर्भर है। अगर हम सहयोग की भावना से एक जिम्मेदार संगठन के नाते समाज के अंदर चुनाव आयोग के अभियान को गति दे रहे हैं तो इससे लोकतंत्र को ही ताकत मिलेगी। इसका मतलब यह भी है कि समाज में प्रामाणिकता के साथ सोचने वाले लोग एक दिशा में स्वर मिलाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसके परिणाम लोकतंत्र को सुदृढ़ करने वाले ही सिद्ध होंगे। सभी सामाजिक संस्थाओं और व्यवस्थाओं को मिलकर चुनाव आयोग की अपेक्षा की पूर्ति के प्रयत्न करने चाहिए।
 क्या ऐसे अभियानों से संघ का मूल कार्य या नियमित क्रियाकलाप प्रभावित नहीं होते?
नहीं, हम ऐसा नहीं मानते। संघ की जो शाखा है उसका एक सीमित समय है और संघ की शैली पहले से ही समाज जीवन में कई प्रकार के सामाजिक प्रश्नों को लेकर अभियान चलाने की रही है। हमने इस विषय को लेकर जनसंपर्क अभियान चलाया है, इससे हमारे नियमित कार्य प्रभावित नहीं होते और अनुभव बताता है कि इससे कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ती है और संघ के नित्य कार्यों को भी ऊर्जा और शक्ति प्राप्त होती है। संघ की परंपरा रही है
कि समय-समय पर देश के समक्ष आए प्रश्नों पर स्वाभाविक रूप से व्यापक जनजागरण और सामाजिक जागरूकता के अभियान चलाए।
आगामी वर्षों में संघकार्य की दृष्टि से किन क्षेत्रों/ विषयों को प्राथमिकता देने की योजना है?
संघ राष्ट्र निर्माण के कार्यों के लिए प्रतिबद्ध रहा है। किसी भी प्रकार की समाजिक व्याधि और विषमता को दूर करने के प्रयत्न को हमारे स्वयंसेवक जिजीविषा का पर्याय मानते आए हैं। हमारे स्वयंसेवक तात्कालिक और निरंतर चलने वाले अभियानों को विवेकपूर्ण तरीकों से ग्रहण करना जानते हैं। समय-समय पर आने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों का आकलन कर उनको समझने और उनके निवारण के प्रयत्न करते रहते हैं। चाहे रामसेतु का मामला हो या कुछ दिन पूर्व संसद में सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा (निरोधक) अधिनियम को प्रस्तुत करने का असफल कुचक्र या कोई भी बड़ा सामाजिक आंदोलन, संघ सदैव अपनी सक्रियता और समाज-राष्ट्र को जागृत करने के बिंदुओं पर कार्य करता रहा है। स्थिति और समाज के
अनुरूप विषयों को प्राथमिकता दी जाएगी और इसी के अनुसार योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा।

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