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'पैसे,जाति और पंथ के लिए नहीं, देश के लिए वोट करें'

by
Mar 25, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 25 Mar 2014 13:02:29

अन्तरराष्ट्रीय योग गुरु बाबा रामदेव को आज देशवासी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वामी विवेकानंद वाली भूमिका में देख रहे है। जिस तरह स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवनकाल में अध्यात्म, भारतीय जीवन दर्शन, धर्म और संस्कृति की देश और दुनिया में अलख जगाई और देशवासियों को विदेशी दास्तान से मुक्त करने को प्रेरित एवं गतिशील किया ठीक उसी तरह बाबा रामदेव आज देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने और विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने एवं देश में सत्ता एवं व्यवस्था परिवर्तन के लिए नौ माह की अखंड यात्रा पर निकले हुए हैं और देशभर में योग सेवा एवं राष्ट्र सेवा का अभियान चला रहे हैं। 'हम दिव्य और भव्य भारत बनाएंगे। हमारा उद्देश्य एक परिवार और वंशवाद की राजनीति को खत्म करना है। हम अध्यात्मवाद और राष्ट्रवाद की राजनीति को प्रोत्साहित करना चाहते हंै।' बाबा रामदेव भारत की एक ऐसी बहुचर्चित, सम्मानित, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक शख्सियत बन चुके हैं जिन्हें नजर- अंदाज नहीं किया जा सकता। भारत और विश्व के लोग उन्हें न केवल ध्यान से सुनते हंै बल्कि गंभीरता से लेते हैं और उनके अनुसरण को तत्पर रहते हैं।
उन्होंने नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाए जाने की मुहिम के तहत 12 सितंबर, 2013 को पतंजलि आश्रम, हरिद्वार छोड़ा था। उनकी अखंड यात्रा के सात माह पूरे हुए हैं। दो माह अभी बाकी हैं।
बाबा रामदेव के मोदी के समर्थन के अपने तर्क हैं। वह कालेधन की वापसी, भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण का दृढ़ संकल्प रखते हैं। केंद्र की लुटेरी और झूठी सरकार से मुक्ति दिलाना उनके अभियान की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।
प्रस्तुत हैं समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के मनों में उठ रहे ज्वलंत सवालों और देश के समक्ष खड़े अहम मुद्दों पर बाबा रामदेव से पाञ्चजन्य संवाददाता सुरेंद्र सिंघल की विस्तृत बातचीत के मुख्य अंश।
 प्रधानमंत्री पद के लिए नरेन्द्र मोदी को पसंद किए जाने की वजह क्या है?
मोदी हमारे सभी मुद्दों से पूरी तरह से सहमत हैं और वह उन मुद्दों पर संघर्ष करने को तैयार हैं। वह इन बड़े माफियाओं से लड़ सकते हैं। उनमें इसका माद्दा है। वह अति पिछड़े वर्ग से आते हैं। उन्होंने आमजन की पीड़ा को स्वयं भी जीया है। उन्होंने राहुल गांधी की तरह पिछड़ांे और वंचितों के घरों में रुकने और वहां भोजन करने को अद्भुत कार्य या पिकनिक नहीं माना।
आपके मुख्य मुद्दे क्या हैं?
सीबीआई, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), चुनाव आयोग, कैग जैसी संस्थाओं को पूरी तरह से स्वायत्त एवं स्वतंत्र और मजबूत बनाया जाना। उसी से भ्र्रष्टाचार और कालेधन पर प्रभावी रूप से रोक लगेगी। उनका आदर्श राजनैतिक विकल्प और व्यवस्था परिवर्तन प्रमुख लक्ष्य है। वह उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारी प्राथमिकताओं में लूटा हुआ कालाधन वापस लाना, भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाना और ऐसी व्यवस्था का निर्माण कराना है जिसमें सबकी न्यायपूर्ण भागेदारी संभव हो।
देश की 90 फीसदी पूंजी चंद लोगों के हाथों में ही सिमटी हुई है। सोना एवं आभूषण, शेयर मार्केट, वायदा कारोबार, भूमि एवं रियल स्टेट, अवैध खनन, राजनीति, शिक्षा, हिंसा (आतंकवाद, नक्सलवाद एवं अपराध), नशा (मादक पदार्थ, मानव तस्करी एवं अनैतिक कार्य) आदि आठ क्षेत्रों में 900 लाख करोड़ रुपया लगा हुआ है, जबकि देश की वास्तविक अर्थव्यवस्था एक हजार लाख करोड़ रुपए की है।
मीडिया में ऐसी खबरें आ रही हैं कि आप अपने समर्थकों को टिकट नहीं दिए जाने से भाजपा से नाराज हैं?
इसमें कोई सच्चाई नहीं है कि मैंने भाजपा से अपने समर्थकों के लिए टिकट की मांग की थी। यदि हमें अपने उम्मीदवार ही लड़ाने होते तो हम अपनी खुद की पार्टी बनाकर सभी 543 सीटों पर उम्मीदवार उतारते।
ल्ल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में आपके क्या विचार हैं?
यह राष्ट्रवादी संगठन है। संघ ने हजारों तपस्वी देश को दिए हैं, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से हिंदी, हिंदू, हिदुस्थान के लिए कार्य किया। यह संघ का देश के लिए बहुत बड़ा योगदान है।
 सरकार बदलने और व्यवस्था परिवर्तन में आप मुस्लिमों, पिछड़ों और वंचितों की क्या भूमिका देखते है और उनसे क्या अपेक्षा रखते है?
जब देश ताकतवर होगा तो खुशहाली आएगी, जिसका लाभ मुसलमानों, वंचितों और पिछड़ों सभी को मिलेगा। जो लोग अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और वंचितों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं उन्होंने उनके नाम पर खुद को आगे बढ़ाया है और मालामाल हुए हैं। किसी ने भी इन वर्गों की हालत में बदलाव की पहल नहीं की। हमारी कोशिश है कि इस बार देश का मतदाता पैसे, जाति और पंथ के लिए नहीं, देश के लिए वोट करे। पिछले 67 साल में देश की राजनीति नीतियों के लिए नहीं हुई।
आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल के बारे में आपकी क्या राय है?
केजरीवाल कांग्रेस के एजेंट हैं। कांग्रेस का साथ लेना बेइमानों का साथ लेने जैसा है। वह कांग्रेस के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं। अच्छा होता कि केजरीवाल नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के बजाए सुरेश कलमाडी, पवन बंसल, कनिमोझी एवं कपिल सिब्बल को चुनौती देते। आप पार्टी का चुनाव निशान झाडू है। झाडू बिना हाथ की मदद के नहीं चल सकती है। साफ है कि झाडू कांग्रेस के हाथ के हाथ में है। उससे देश को कोई उम्मीद नहीं है।

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