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मौका भी है दस्तूर भी, चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। रंगों का त्योहार सिर पर है तो ऐसे में राजनेताओं को कैसे भूला जा सकता है। देश के राजनेताओं का त्योहार मनाने का अंदाज कुछ अलग ही होता है। होली की बात करें तो शायद इसी त्योहार को राजनेता सबसे ज्यादा उल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन सभी भेदभाव को भूलकर हर तबके के लोग अपने नेताओं से बिना ,ऊंच-नीच का ध्यान रखकर होली में मस्ती करते हैं। वहीं राजनेता भी सभी बातों को भूलकर उनके साथ होली के हुड़दंग में शामिल हो जाते हैं। बिहार के नेता लालू यादव जिनकी कपड़ा फाड़ होली पूरे देश में सुर्खियां बटोरती है तो वही दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी इसमें पीछे नहीं रहते हैं। वह दिल खोलकर सुबह से ही होली खेलने में लग जाते हैं। लेकिन इस बार की होली राजनेताओं के लिए कुछ खास है क्योंकि एक तरफ चुनाव तो दूसरी ओर होली । राजनेताओं का संकट है कि अगर वे होली के अतिरिक्त किसी अन्य अवसर पर राजनेता के घर जाते हैं तो जनता की नजरों में गठबंधन का डर और उससे वोट कटने का डर, इस त्योहार पर जाने से न कोई डर न कोई भय सिर्फ और सिर्फ मस्ती। राजनेता वर्षभर अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुंह पर कालिख पोतने का कोई भी अवसर नहीं गंवाते। लेकिन इस बार वर्ष 2014 में वे डरे हुए हैं। उनमें आत्मविश्वास की कमी तो है ही मैदान में जाने से भी कतराने लगे हैं क्योंकि पहले से ही सभी पर केसरिया रंग जो चढ़ा हुआ है अब वे किसे रंग लगायें। लेकिन कुछ भी हो होली का हुड़दंग तो बनता है इससे हमारे राजनेता कहां मानने वाले सो इस बार भी मनाएंगे जमकर होली। होली है. ..
सब पर भारी
इनकी होली का तो इस बार कहना ही क्या, शायद ही कोई पार्टी ऐसी हो, जिसका नेता राजनाथ सिंह से होली खेलने के बहाने गले मिलना न चाहता हो। मामला भी साफ था कि आने वाले दिनों में न जाने किस रंग की पार्टी को भाजपा के केसरिया में विलय कराना पड़ जाए। ऐसे में मौके की नजाकत समझते हुए सभी नेता सिंह जी के घर जाकर रंग खेलना बेहतर समझ रहे हैं।
बाबा की पिचकारी
राहुल गांधी को अभी भी अधिकांश राजनेता बाबा कहकर पुकारते हैं, सो होली पर भी कुछ ऐसा ही हुआ। ये बाबा बच्चों के साथ होली खेलते-खेलते हाथ में नरेन्द्र मोदी ब्राण्ड की पिचकारी ले आया। कुछ समय बाद जब सोनिया गांधी की उन पर नजर पड़ी तो जमकर झाड़ लगाई और कहा कि कम से कम चुनाव परिणाम आने तक तो मोदी का परहेज कर लो, फिर तो मजबूरी है कि मोदी-मोदी कहना पड़ेगा।
विपक्षियों पर भी चढ़ा केसरिया
नरेन्द्र मोदी के केसरिया रंग ने सभी राजनेताओं के रंगों को फीका कर दिया है, क्योंकि लोगों के ऊपर तो पहले से ही उनका केसरिया रंग चढ़ा हुआ है। उससे देश के सभी राजनेता परेशान हैं कि अब होली खेलंे भी तो किसके साथ क्योंकि सभी तो केसरिया रंग में रंगे ही हुए हैं। आलम यह है कि कांग्रेस या अन्य दलों के राजनेताओं के बच्चे घरों में मोदी ब्रांड पिचकारी लेकर अपनों को ही रंग रहे हैं। विपक्षियों का बस चले तो केसरिया रंग की दुकान ही हटवा दें, लेकिन क्या करें न चाहते हुए भी उनके गालों पर लोग जानकर केसरिया ही रगड़ रहे हैं और साथ ही व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि बुरा न मानना इस रंग की आदत अभी से डाल ही लो।
मैडम से पूछकर ही खेलूंगा होली
होली की रात में नरेन्द मोदी मनमोहन सिंह के सपने में पिचकारी लेकर पहंुच गए। बस फिर क्या था प्रधानमंत्री ने चुप्पी साध ली क्योंकि उनके पास पहले से लिखा कोई पत्र तो था नहीं कि वे पढ़कर बोलने लगेंगे। फिर भी बड़ी मासूमियत से बोले मैडम से पूछकर ही मैं आपके साथ होली खेल पाऊंगा। साथ ही अपना बचाव कर बोले कि मैं तो खुद पद के बोझ से तंग आकर जिम्मेदारी आपको ही सौंपना चाहता हूं, लेकिन क्या करूं बाबा और उनकी मां मेरी कुछ सुनती ही नहीं हैं। परन्तु अबकी बार देश की जनता आपकी पुकार जरूर सुनेगी।
अब तो रहम करो
कांग्रेस की मुखिया सोनिया के घर सुबह-सुबह आईएएस अशोक खेमका जा पहंुचे। बस फिर क्या था बुरा न मानो होली कह%E
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