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– सचिन सिंह गौर-
अभी हाल के दिनों में चीन में तीन ऐसी घटनाएं हुई हैं,जिन्होंने अपनी ओर पूरे विश्व का ध्यान खींचा है। ये घटनाएं भारत के दृष्टिकोण से संज्ञान लेने वाली हैं। भारत के सन्दर्भ में तीनों घटनाओं का अपना विशेष महत्व है। पहली घटना है कि चीन ने अपने रक्षा बजट में बेतहाशा बढ़ोतरी की । दूसरी घटना है चीन ने तिब्बत में अपना रेल नेटवर्क सिक्किम तक बढ़ा लिया है। तीसरी घटना है चीन के विदेश मंत्री वांग यी का बयान कि चीन अपनी इंच-इंच भूमि की रक्षा करेगा। चीन का रक्षा बजट अब सबसे पहले चीन के रक्षा बजट में हुई बढ़ोतरी की चर्चा करते हैं। चीन ने इस वर्ष अपने रक्षा बजट में 12़ 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। अब चीन का रक्षा बजट 808 ़ 23 बिलियन युआन या 132 बिलियन डॉलर हो गया है, जो भारत के 36 बिलियन डॉलर के रक्षा बजट से लगभग 100 बिलियन डॉलर ज्यादा है। चीन 2006 से ही अपने रक्षा बजट में लगातार वृद्धि कर रहा है। 2006 में चीन का रक्षा बजट 280 बिलियन युआन था, जो 2007 में 347़ 2 बिलियन युआन, 2008 में 409 बिलियन युआन, 2009 में 472़ 9 बिलियन युआन, 2010 में 519 ़ 1 बिलियन युआन, 2011 में 583़ 6 बिलियन युआन, 2012 में 650़ 3 बिलियन युआन, 2013 में 720 ़ 2 बिलियन युआन और 2014 में 808़ 23 बिलियन युआन हो गया है। रक्षा बजट के मामले में चीन अब अमरीका के बाद दूसरे नंबर पर है। सूत्रों के अनुसार चीन अपने रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा नौसेना पर खर्च करेगा, ताकि दक्षिणी और पूर्वी चीनी समुद्र में अपना प्रभुत्व जमा सके। चीनी सरकार का मानना है कि देश के आकार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुसार यह वृद्धि जायज और आवश्यक है। लेकिन क्या चीन का लगातार बढ़ता रक्षा बजट भारत के लिए खतरा नहीं है? चीन और भारत के रक्षा बजट में लगभग 100 बिलियन डॉलर का अंतर है। जहां एक तरफ चीन बेहद आक्रामक और दूरदर्शी है, वहीं हमारा नेतृत्व लचर और अदूरदर्शी है। चीन के रक्षा बजट का एक-एक पैसा देश के हित में लगेगा और जो देश के लिए आवश्यक है वहीं खर्च होगा, जबकि हमारे देश में रक्षा सौदे देश के हितों और उद्देश्य के अनुसार नहीं, बल्कि दलालों और बिचौलियों के हितों के अनुसार तय होते हैं। पिछले दस साल की संप्रग सरकार देश के इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकार रही है। देश के रक्षा मंत्री की सक्रियता इससे ही पता चलती है कि देश की आधी जनता को उनका नाम ही नहीं पता। लम्बे समय से उठ रही सेना के आधुनिकीकरण की मांग को इस सरकार ने अनदेखा किया। पिछले चार साल में एक भी बड़ा रक्षा सौदा नहीं किया गया। सेना के हथियार पुराने पड़ रहे हैं और तीनों अंग अलग-अलग समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनको हल करने की कोई कोशिश नहीं की गई। सिक्किम तक रेल नेटवर्क चीन ने तिब्बत में शिगाजे तक अपने रेल नेटवर्क का विस्तार कर लिया है। शिगाजे सिक्किम में भारतीय सीमा के पास स्थित है। चीन के अनुसार इस कदम से उसे दूरदराज के हिमालयी क्षेत्रों में सैनिक और हथियार पहुंचाने में मदद मिलेगी। शिगाजे रेल मार्ग की कुल लंबाई 253 किलोमीटर है और यह इस वर्ष अक्टूबर तक तैयार हो जाएगा। इस रेल मार्ग पर रेल गाडि़यां अधिकतम 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगी और ल्हासा से शिगाजे तक की दूरी करीब दो घंटे में तय होगी। अभी सड़क मार्ग से इस दूरी को तय करने में करीब पांच घंटे लगते हैं। इस रेल मार्ग पर पटरी बिछाने का करीब 93 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। असल में इससे चीन एक तीर से दो शिकार की रणनीति पर चल रहा है। विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर बना क्िंवघाई-तिब्बत रेल मार्ग तिब्बत के शिगाजे में पंचेन लामा के आवास तक पहुंचेगा। पंचेनलामा का पद तिब्बत में दलाईलामा के बाद दू%E
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