|
पगडण्डी पर बिखरी रोली
आई होली,आई होली
भर ली कुंज-कुंज ने झोली
आई होली…………
कोयलिया ने फागुन गाए,
बगुलों ने भी पर फैलाए,
चहक उठे पंछी डालों पर,
फुदक-फुदक पड़कुलिया बोली !
आई होली …………
कहीं चंग पर थाप लगी है,
कहीं रंग की छाप लगी है,
कैसी मस्ती का आलम है
कहीं हंसी है,कहीं ठिठोली!
आई होली …………
झूम उठीं खेतों में बालें,
गीत गा रही हैं चौपालें,
गलियारे रंगीन हो गए,
पगडण्डी पर बिखरी रोली !
आई होली …………
टिप्पणियाँ