राज्य नहीं दिलों को बांटा कांग्रेस ने
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अंक सन्दर्भ: 23 फरवरी, 2014
आवरण कथा ह्यअराजकता का राजह्ण आज देश में अलग राज्य बनने को लेकर जिस तरीके से वहां के लोगों में आक्रोश है, उससे यही प्रतीत होता है कि इस राज्य का विभाजन लोगों की इच्छा से नहीं और न ही वहां के विकास के लिए अपितु यह विभाजन राजनीति की रोटियों को कैसे और अच्छे से संेका जा सके इसको लेकर ज्यादा हुआ है। चुनावी चाल के तहत जैसे ही कांग्रेस ने संसद में नए राज्य को मंजूरी दी, उसके बाद सदन में जो कुछ भी हुआ वह लोकतंत्र की गरिमा को तार-तार कर देता है। कांग्रेस का यह निर्णय बताता है कि उसने प्रदेश का बंटवारा नहीं किया, बल्कि लोगों के दिलों को बांटा है।
-आशुतोष कुमार श्रीवास्तव
सी/ राजाजीपुरम,लखनऊ (उ.प्र.)
ङ्मतेलंगाना मामले पर लोकतंत्र की गरिमा को तार-तार करने वाला जो सजीव प्रसारण सभी ने देखा वह इस बात की ओर संकेत करता है कि लोगों के दिलों को बांटकर, जनभावनाओं को रौंदते हुए संप्रग सरकार किसी भी हद तक जा सकती है। इस मामले ने उसको जहां कटघरे में खड़ा किया है वहीं जनता के सामने उसकी पोलपट्टी भी खुल गई है।
-राममोहन चंदवंशी
विट्ठल नगर,टिमरनी,जिला-हरदा(म.प्र.)
ङ्मसंसद के दोनों सदनों में तेलंगाना के मुद्दे पर सांसदों द्वारा इतना शर्मनाक व्यवहार पूरे देश को शर्मिन्दा करता है। देश की युवा शक्ति खासकर अपने जनप्रतिनिधियों के इस कृत्य से आहत हुई है। यह पहला मौका नहीं है, जब इस प्रकार का सदन में अशोभनीय व्यवहार हुआ हो। लेकिन जो इस बार हुआ वो कई मायनों में अतिनिंदनीय है।
-कृष्ण वोहरा
जेल मैदान, सिरसा (हरियाणा)
ङ्मजिस दिन देश का सर्वांगीण विकास, भय,भूख,भ्रष्टाचार मिट जायेगा और साथ ही सभी को भरपेट भोजन, आवास, न्याय और अधिकार मिल जायेगा, उस दिन न कोई अलग राज्य की मांग करेगा और न ही आरक्षण की। यह तभी संभव है, जब 60 वर्षों से गिरोह बनाकर देश को लूट रहे भ्रष्ट राजनैतिक लोगों का पतन हो। आज देश को जरूरत है कि सभी लोग एकमेव लक्ष्य संधान कर लोकसभा चुनाव पर अपना ध्यान केन्द्रित करें और ऐसे प्रत्याशी को अपना वोट करें जो राष्ट्रहित और जनहित के मुद्दों को सर्वोपरि समझता हो।
-विपिन कुमार सिन्हा
पतारू लेन, वाराणसी (उ.प्र.)
राष्ट्र के लिए खतरा
भारत में बढ़ती मुसलमानों की जनसंख्या राष्ट्र के लिए खतरा है। यह लोग एक सुनियोजित तरीके से अपनी जनसंख्या को बढ़ा रहे हैं। मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या से देश ही नहीं विश्व के तमाम देश भयाक्रान्त हैं साथ ही यह समस्या आतंक का रूप लेकर देश की शान्ति को नष्ट करने को हरदम प्रयास में रहती है। आज समय है, जब सभी हिन्दू संगठित होकर इनका प्रतिकार करें नहीं तो आने वाले दिनों में यह हमारे ही घर में हम पर शासन करेंगे।
-राम पाण्डेय
ग्राम व पो. शिवगढ़, रायबरेली (उ.प्र.)
खतरनाक है तीसरा मोर्चा
देश के विकास का दंभ भरने वाले तीसरे मोर्चे के नेता उस समय कहां चले जाते हैं,जब देश का जनमानस भय,भूख और महंगाई से पीडि़त होता है। पांच साल तक गायब रहकर चुनाव के समय आने वाले राजनेता यह सोचते हैं कि जनता को वे इस बार भी अपने पाश में ले लेंगे,लेकिन यह उनकी भूल है। आज देश का आमजन यह जान चुका है कि किसे चुनना है और किसे धूल चटानी है।
-कुंवर वीरेन्द्र सिंह ह्यविद्रोहीह्ण
कम्पू लश्कर,ग्वालियर (म.प्र.)
वे भी अपने हैं
पूर्वोत्तर राज्यों के युवाओं के प्रति संवादहीनता इस कदर कायम है कि वे हमारे महानगरों और शहरों में जहां भी रहते हैं हम लोग उनके साथ व्यावहारिक रूप से उनका मजाक ही उड़ाते रहते हैं। दिल्ली में जिस तरह नीदो की पीट-पीट कर हत्या हुई वह घटना बताती है कि हमारा व्यवहार उनके प्रति क्या है। लेकिन हमंे जानना चाहिए कि यह लोग भी अन्य राज्यों के लोगों के जैसे ही हैं और भारत मां के पुत्र हैं। इसलिए हम सभी को उनको अपने जैसा ही सम्मान देना होगा।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)
लज्जा की बात
कुछ लोगों द्वारा यह कहा जाना कि वेंडी डोनिगर की पुस्तक को भारत में प्रतिबंधित किया जाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है। ऐसे सवाल करने वाले लोगों को शर्म आनी चाहिए, जो इस प्रकार के लेखकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ जोड़ते हैं। ऐसे लोग जो देश के इतिहास,भूगोल और पूज्य देवी-देवताओं पर कुठाराघात करके देश को नीचा दिखाना चाहते हैं। वे सभी लोग जो इनका समर्थन करके इनकी दुहाई देते हैं वह देश और सभ्यता पर कलंक हैं।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर, हैदराबाद(आं.प्र.)
साजिश या सियासत
चुनाव पास आते ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करना कांग्रेस की पुरानी रणनीति का हिस्सा है। आजादी के बाद से अबतक अनेक तथाकथित सेकुलर दल संघ के विरुद्ध विषबमन करते रहे हैं। मुसलमानों के वोट पाने के लिए कांग्रेस,सपा एवं अन्य अपने को सेकुलर कहने वाले दल जब तक संघ के खिलाफ बयान न दें तब तक उन्हें सेकुलर की उपाधि नहीं मिलती। आज लगभग सभी पार्टियां मुस्लिम तुष्टीकरण नीति की चरम सीमा पार कर चुकीं हैं। ऐसे में हिन्दू समाज अपने को बचाने के लिए इन दलों के बहकावे में न आकर जात-पात के लालच को छोड़कर देश और हिन्दू धर्म की रक्षा करने के लिए लगना है।
-मनोहर मंजुल
पिपल्या बुजुर्ग,प.निमाड (म.प्र.)
केजरी का नाटक
केजरीवाल के नाटक का अन्त एक पूर्वनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा ही था। आम लोगों की नजरों में अपने को नायक की भूमिका में प्रस्तुत करना, कि हमने लोकपाल बिल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी। लेकिन यह उनका एक ढोंग है।
-उदय कमल मिश्र
सीधी (म.प्र.)
जब देश और समाज में बुराइयां बढ़ जाती हैं तो मानव जीवन आहलादित और आनंदित नहीं हो पाता है । होली एक एक ऐसा त्योहार है,जिसमें हम बुराइयों की होली जलाते हैं और जीवन को आनंद के रंगों से सराबोर कर लेते हैं। लेकिन हमारे पर्व और त्योहारों पर ड्रैगन का खतरा म्ंाडरा रहा है। चाहे दीवाली के दिये हों या फिर होली के रंग । बच्चों की पिचकारी और गुझिया तक चीन दे रहा है। चीन ने दैनिग उपयोग की लगभग सभी वस्तुओं को सस्ते मूल्य में बाजार में पहुंचाकर हमारे स्थानीय उद्योग-धंधों को बंद कराने की स्थिति में ला दिया है। इसके कारण करोड़ो लोगों के समक्ष बेरोजगारी का संकट उतपन्न हो गया है। ऐसे में हमें बुराई के प्रतीक चीन की इस बार होली जलानी चाहिए और कृतिम के बजाय प्राकृतिक और स्वदेशी रंगों से होली खेलनी चाहिए।
-डॉ. निरंजन सिंह
रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली
सिर्फ और सिर्फ आडम्बर
गत दस वर्षों से केन्द्र में संप्रग के नकारापन व घोटालों से त्रस्त देश के आम आदमी ने इस उद्देश्य से आम आदमी पार्टी को सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाया था कि वह देश हित की बात करेगी, और विकास के मोर्चे पर अपने वायदों को पूरा करेगी, लेकिन हुआ क्या? ढाक के तीन पात। समय रहते ही उसका भी बहुरूपिया चेहरा जनता के सामने आ गया। जनता को बरगलाकर अपना मतलब सिद्ध करने वाले केजरीवाल ने जनता के वायदों को धूल में मिला कर कांग्रेस के साथ गठबंधन करके बता दिया कि वे सत्ता को पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उनके के लिए जनता से किए वायदे और न ही देशहित कोई महत्व रखता है। अब साफ हो गया कि आआपा देश में असफल हुए वामपंथ का संशोधित नरम चेहरा है। इसका उदाहरण भी यह है कि कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए अन्ना के आन्दोलन में मंच पर पहले क्रान्तिकारी, महापुरुषों के चित्र,भारत माता के चित्र,वन्दे मातरम व भारत माता के जयघोष ही आन्दोलन की पहचान एवं विशेषता हुआ करते थे। परन्तु आन्दोलन की बढ़ती प्रतिष्ठा के साथ ही अरविन्द केजरीवाल की भी चौकड़ी समूह का उदय होता गया। राजनीति को पाने के लिए इस चौकड़ी ने राष्ट्रवाद को ताकपर रखकर सेकुलरिज्म व कम्युनिज्म के रास्ते को अपनाना शुरू कर दिया। अन्ना आन्दोलन की सफलता को भुनाने के लिए इस समूह ने अपना एक राजनैतिक दल बनाकर उस सफलता को वोट बैंक में बदल लिया, जो शुरू से ही उनकी मंशा थी। इस दल ने वोट के लालच और अपने को अन्य राजनैतिक दलों की तरह सेकुलर दिखाने के लिए अपने राजनैतिक मंचों से राष्ट्रवादी महापुरुषों के चित्र,भारत माता के चित्र व क्रान्तिकारियों के चित्र गायब कर दिये। मुस्लिम वोटों के खातिर केजरीवाल ने दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम बुखारी,बरेली दंगों के आरोपी तौकीर रजा के साथ पींगें बढ़ा कर बता दिया कि उनको भी अन्य दलों के तरह मुसलमानों के तलवे चाटने में कोई गुरेज नहीं है। इन सभी चीजों के बताने का एक ही अर्थ है कि केजरीवाल चौकड़ी ने संघषोंर् से सत्ता कब्जाने के पुराने कम्युनिस्ट फार्मूले की बजाय झूठे लोकलुभावन वायदों से सत्ता को पाने का तरीका अपनाकर जनता को बरगलाया है। लेकिन रंगे सियार की तरह इस चौकड़ी की असलियत शीघ्र ही जनता के सामने खुल गई और स्पष्ट हो गया कि ह्यआआपाह्ण भी अन्य तथाकथित सेकुलर दलों की तरह ही कांग्रेस का नया प्रोडक्ट है, सिर्फ लेबल बदला है। दोनों का निशाना नरेन्द्र मोदी व भाजपा ही है तथा दोनों का उद्देश्य किसी भी प्रकार से सत्ता को पाना है। यह हमारे भारत का दुर्भाग्य है कि आजतक अनेक राजनैतिक दल जनता की समर्पण भावना का दोहन करके अपने मकसद में कामयाब होते रहे हैं। आआपा जिसकी न कोई विचारधारा है और न इनका कोई आदर्श पुरुष वह इस देश का क्या भला करेगी। लेकिन समय ने उसके कालेकारनामों को जनता के समक्ष ला दिया है।
-डॉ. सुशील गुप्ता
बेहट बस स्टैण्ड,सहारनपुर (उ.प्र.)
वि. सं. 2070 तिथि वार ई.सन् 2014
चैत्र कृष्ण 7 रविवार 23 मार्च, 2014
ह्णह्ण ह्णह्ण 8 सोम 24 ह्णह्ण ह्णह्ण
शीतला अष्टमी
ह्णह्ण ह्णह्ण 9 मंगल 25 ह्णह्ण ह्णह्ण
ह्णह्ण ह्णह्ण 10 बुध 26 ह्णह्ण ह्णह्ण
ह्णह्ण ह्णह्ण 11 गुरु 27 ह्णह्ण ह्णह्ण
ह्णह्ण ह्णह्ण 12 शुक्र 28 ह्णह्ण ह्णह्ण
ह्णह्ण ह्णह्ण 14 शनि 29 ह्णह्ण ह्णह्ण
(त्रयोदशी तिथि क्षय)
होली का रंग
स्याही समझ लिया उसे, था होली का रंग
राजनीति का अब उन्हें, समझ आ रहा ढंग।
समझ आ रहा ढंग, आप अपनी करते हैं
इसे केजरीवाल अराजकता कहते हैं।
कह ह्यप्रशांतह्ण जो बोया है उसको काटोगे
सुन लो श्री योगेन्द्र, धूल बढि़या चाटोगे॥
– प्रशांत
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