कहानी:भला करने का फल हमेशा भला होता है
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कहानी:भला करने का फल हमेशा भला होता है

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Mar 10, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Mar 2014 15:23:30

एक नगर में एक औरत अपने परिवार के साथ रहती थी, वह अपने परिवार वालों के लिए जब भोजन बनाती तो एक रोटी किसी भूखे आदमी को देने के लिए भी बनाती थी। वह उस रोटी को एक खिड़की के सहारो रख देती थी, वहां से उस रोटी को एक कुबड़ा उठा कर ले जाता, वह बिना कुछ धन्यवाद दिए रोजाना रोटी को ले लेता, बाद में सिर्फ इतना ही बोलता कि ह्यजो बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगाह्ण दिन गुजरते रहे, और यह सिलसिला चलता रहा। वो कुबड़ा रोजाना रोटी लेकर जाता रहा और इन्हीं शब्दों को बार-बार दोहराता रहा। ह्यजो बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगाह्ण वह औरत रोजाना उसकी इस बात को सुनकर तंग हो गई। वह अपने में सोचती कि कितना नाशुक्रा व्यक्ति है, रोटी लेने के बाद धन्यवाद के दो बोल तो बोलने से रहा, और हर बार वही बात बड़बड़ाता हुआ चला जाता है।
एक दिन क्रोधित होकर उसने गुस्से में निर्णय लिया और मन में ह्यसोचा ह्ण ह्यमैं इस कुबड़े को सबक सिखा कर रहूंगीह्ण उसने कुबड़े वाली रोटी में जहर मिला दिया और उसे खिड़की के पास रख दिया। जैसे ही वह पलटी, उसका शरीर कांपने लगा, उसने मन में सोचा, ह्यये मैं क्या करने जा रही हूं, हे भगवान, ये मुझसे कैसा पाप होने जा रहा था?ह्ण उसने तत्काल रोटी को वहां से उठाया, और उसे चूल्हे में जला दिया। उसने दोबारा रोटी बनाई और उसे खिड़की के पास रख दिया। वह कुबड़ा आया और रोटी लेकर यह बोलता हुआ ह्यजो बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगाह्ण वहां से चला गया। कुबड़ा इस बात से बिल्कुल अंजान था कि महिला के दिमाग में क्या चल रहा है। महिला का पुत्र व्यापार के सिलसिले में बाहर गया हुआ था। जब भी महिला खिड़की पर रोटी रखती तो अपने पुत्र की सकुशल वापसी के लिए भगवान से प्रार्थना करती। महीनों से उसके पुत्र का कोई संदेशा नहीं आया था। उसी शाम उसके दरवाजे पर दस्तक होती है, वह दरवाजा खोलकर देखती है सामने उसका बेटा खड़ा हुआ था। वह देखती है, उसका पुत्र काफी दुबला हो गया था। उसके कपड़े फटे हुए थे। बेटे ने जैसे ही अपनी मां को देखा तो कहा कि मां यह चमत्कार है कि मैं यहां हूं, व्यापार में घाटा हो गया था, मैं जब वापस लौट रहा था तो रास्ते में भूख के मारे बेहोश होकर गिर पड़ा। तभी वहां से एक कुबड़ा गुजर रहा था, भूख के मारे मेरे प्राण निकलने को तैयार थे। उस कुबड़ा ने मुझे उठाया, मैंने खाने के लिए उससे कुछ मांगा तो उसने मुझे एक रोटी दी और कहा, ह्य मैं इस रोटी को रोज खाता था पर आज इसकी आवश्यकता मुझसे ज्यादा तुम्हे है ह्ण तुम ये रोटी खा लो। उस रोटी को खाकर मेरे शरीर में कुछ जान आई तो मैं घर तक वापस पहुंचा। जैसे ही महिला ने अपने पुत्र की बात सुनी तो उसका चेहरा पीला पड़ गया। वह सोचने लगी, यदि उस रोटी में वह जहर मिला देती तो … उसे चक्कर आ गए, किसी तरह उसने खुद को संभाला और भगवान को बार बार धन्यवाद देने लगी। उसे अब कुबड़े के शब्दों का अर्थ समझ में आ गया था।
शिक्षा: व्यक्ति को हमेशा दूसरों का भला करने के लिए सोचना चाहिए, अपनी तरफ से कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए, क्योंकि भगवान अच्छा करने वालों के साथ हमेशा अच्छा करता है और बुरे कर्मों का परिणाम व्यक्ति को जरूर भुगतना पड़ता है।

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