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ईसाई संगठनों द्वारा एक राष्ट्रव्यापी प्रारंभिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अगर नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री बनते हैं तो ईसाई समाज को कोई आपत्ति नही है। ईसाई संगठनों- इंडियन क्रिश्चियन फोरम, पुअर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंट और यूनाइटेड क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक फोरम ने 3 मार्च को राजधानी में जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त दल प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को चुनता है तो ईसाई समाज को कोई आपत्ति नही होगी, न ही ऐसा होने का कोई कारण है।
पिछले दिनों अमरीकी राजदूत नैंसी पॉवेल की मोदी से वार्ता इस बात का संकेत है कि मोदी की देश के भीतर एवं बाहर स्वीकायर्ता बढ़ रही है। ईसाई नेता आऱ एल़ फ्रांसिस, जोजफ गॉथिया एवं एडवोकेट जॉर्ज टोम्स ने एक संयुक्त बयान में कहा कि भारत के विभिन्न वर्गों वंचितों-वनवासियों एवं मुसलिम और ईसाई पंथ में भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति दशकों से बने नजरिये में बदलाव आया है। इन वर्गों में भाजपा और संघ को जानने-समझने की ललक बढ़ी है। प्रतिनिधि
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