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एक तरफ जहां भाजपा निडर होकर पूरे देश में चुनाव प्रचार कर रही है और उनकी रैलियों में जुट रही भीड़ को देखकर विरोधी दलों में घबराहट मची हुई है। इसी डर और घबराहट को दूर करने के लिए गत 4 मार्च को संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने आवास पर पार्टी के दिग्गज नेताओं और सांसदों को भोज पर बुलाया था। मतलब साफ था कि भोज तो एक बहाना है । इसके जरिये वह अपने पार्टी के नेता ,जो नरेन्द्र मोदी से डरे हुए हैं,उनमें आत्मविश्वास पैदा करना चाह रही थीं । भोज पर लगभग 100 से ज्यादा सांसद और सभी प्रमुख मंत्री उपस्थित थे। सोनिया ने उन सभी को नसीहत देते हुए कहा कि किसी से डरने की जरूरत नहीं है। सभी को चुनाव में लगकर सरकार की नीतियों क ो जन-जन तक पहुंचाना है। इस मौके पर उनके साथ राहुल गांधी भी थे,जो डरे सांसदों को ढांढस बंधा रहे थे । कांग्रेस सरकार इतनी डरी हुई है कि वह कोई भी कार्य करने के लिए तैयार है। इसी कड़ी में पिछले दिनों बिहार में उसने भ्रष्टाचार के मामले में न्यायालय द्वारा आरोपी घोषित किए जाने के बाद लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन करके बता दिया कि वह न तो भ्रष्टाचार करने वाले लोगों के विरुद्ध है और न भ्रष्टाचार के खिलाफ है।
उल्लेखनीय है कि संप्रग सरकार इस बार के चुनाव में पूरी तरीके से जनता की नजरों में हैं क्योंकि इस बार के शासनकाल में उसने आम जनमानस की कमर को तोड़ने का काम किया है। महंगाई,भ्रष्टाचार, भय, भूख ,असुरक्षा अपने चरम पर रही है,जिसके कारण देश का प्रत्येक व्यक्ति इस सरकार से गुस्सा है।
ह्यभ्रष्ट शासन का होगा अंतह्ण
इस बार का लोकसभा चुनाव जनता को भ्रष्ट शासन से मुक्ति दिलायेगा तथा यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक होगा, क्योंकि यह चुनाव सामान्य चुनाव जैसा नहीं है। यह बात गत 4 मार्च को श्रीपेरंबदूर (तमिलनाडु) में अपने प्रत्याशी के समर्थन में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने कही। उन्होंने केन्द्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह चुनाव भ्रष्ट शासन से तो मुक्ति दिलायेगा ही साथ ही पड़ोसी देशों की धमकियों से भी आम जनता को मुक्ति दिलायेगा । उन्होंने कहा कि आज देश में महंगाई,रुपये का अवमूल्यन,पट्रोलियम पदार्थों में बेतहाशा वृद्धि और कृषि क्षेत्र की दुर्दशा केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के कारण ही है। अगर उनकी नीतियां देश हित और आम जनता के हित में होती तो लोगों को महंगाई से जूझना नहीं पड़ता । आज रक्षा क्षेत्र की भी हालत खस्ता है उसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह केन्द्र सरकार ही है। जयललिता का यह रुख कांग्रेसी खेमे में बेचैनी पैदा कर सकता है।
कब-कब कहां होंगे चुनाव
7 अप्रैल- दो राज्य, 6 निर्वाचन क्षेत्र
9 अप्रैल- पांच राज्य,7 निर्वाचन क्षेत्र
10 अप्रैल- 14 राज्य ,92 निर्वाचन क्षेत्र
12 अप्रैल 3 राज्य,5 निर्वाचन क्षेत्र
17 अप्रैल 13 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश,
122 निर्वाचन क्षेत्र
24 अप्रैल 12 राज्य,117 निर्वाचन क्षेत्र
30 अप्रैल 9 राज्य,89 निर्वाचन क्षेत्र
7 मई 7 राज्य, 64 निर्वाचन क्षेत्र
12मई 3 राज्य, 41 निर्वाचन क्षेत्र
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