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नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता है,
हमको आपस में लड़वाया जाता है
लोकतंत्र की नाव खा रही हिचकोले,
कौन यहां पर सच्ची बातों को बोले,
वादों से सबको बहलाया जाता है !
भ्रष्टाचारी रोजाना खींचंे खालें,
शासक ह्यबेचारोंह्ण के तन खंगालें,
जो उठने को हो उसे गिराया जाता है!
बिना मौत ही लोग यहां देखे मरते,
आंखों से मीठे-मीठे सपने झरते,
लाचारी का दर्द गिनाया जाता है!
घोटालों के गूंजें दुनिया में गाने,
सुविधा-शुल्क हो गया रिश्वत के माने,
न्यायालय से न्याय मिटाया जाता है!
सिंहासन पर झूमे अब तानाशाही,
भूख-प्यास की जीवन में आवाजाही,
खूब पीठ से पेट मिलाया जाता है!
सुनी नहीं जाए समानता की विनती,
अस्त-व्यस्तता की, मक्कारी की गिनती,
आतंकी को मान दिलाया जाता है!
उत्तर गायब प्रश्नों के ही घेरे हैं,
सुख के द्वारे पर सर्पों के डेरे हैं,
तर्कों में केवल उलझाया जाता है!
सोने की चिडि़या फिर भारत बन जाए,
सौ करोड़ से ज्यादा जनता मुस्काए,
राजनीति का रूप मिटाया जाता है!
घमंडीलाल अग्रवाल
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