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सहारनपुर मंडल में दो शादियों में दंगाइयों ने डाला विघ्न
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद से एक संप्रदाय विशेष में असहिष्णुता की प्रवृत्ति ने केवल बढ़ रही है, बल्कि पहले से भी ज्यादा हिंसक और उग्र हो रही है। इस संप्रदाय में बढ़ते उन्माद और हिंसक प्रतिक्रिया के चलते हमारे परंपरागत समाज का ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो रहा है और गंगा-जमुनी तहजीब और हमारी सांझी विरासत पर बड़े सवालियां निशान लग रहे हैं।
यह बढ़ती प्रवृत्ति कानून-व्यवस्था के लिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है। शासन-प्रशासन असामाजिक तत्वों की निरंकुश गतिविधियों के सामने लाचार और बेबस दिख रहा है। हालात इतने खराब और नियंत्रण से बाहर हो गए लगते हैं कि हिन्दू धर्म के लोगों को शादी-विवाह की रस्मों को अपनी जान गंवाने की कीमत पर निभाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सहारनपुर मंडल में एक सप्ताह के दौरान दो ऐसी शर्मनाक घटनाएं हुइंर् जिसने शासन-प्रशासन और समाज, सभी को शर्मसार कर रख दिया। पहली घटना मुजफ्फरनगर जिले की खतौली कोतवाली के साढ़े तीन हजार की आबादी वाले गांव पलड़ी में बीती 26 फरवरी की है। दोपहर करीब सवा तीन बजे गांव निवासी दीपचंद उपाध्याय की बेटी की शादी में दूल्हे अभिषेक की घुड़चढ़ी के दौरान एक दर्जन से ज्यादा मुस्लिम युवकों ने मस्जिद के पास बैण्ड-बाजा बजाने का न केवल हिसंक विरोध किया, बल्कि आसपास की छतों से बारातियोंे पर जमकर पथराव और गोलीबारी की जिससे बारात में भगदड़ मच गई। घटना में दूल्हे अभिषेक समेत दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। दुल्हन पक्ष के लोगांे ने हमले के प्रति रोष जताया और पुलिस से मदद की गुहार लगाई। हालात नियंत्रण से बाहर होने की सूचना मिलने पर जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरि नारायण सिंह पुलिस बल के साथ गांव पहुंचे और स्थिति पर काबू पाने क ा प्रयास किया। आला अधिकारियों ने अपनी उपस्थिति में विवाह की सभी रस्में संपन्न कराकर दुल्हन को विदा कराया। पुलिस उपाधीक्षक अजय कुमार के मुताबिक अभी तक गांव में तनाव है और पीएससी एवं अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है। खतौली कोतवाली में हमलावरों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने नामजद आरोपियों में से फिरोज कुरैशी, युसूफ कुरैशी और मोबिन कुरैशी पुत्र याकूब कुरैशी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अन्य दस आरोपी फरार हैं जिन्हें पुलिस पकड़ने की फिराक में लगी है। पुलिस के मुताबिक फिरोज कुरैशी जानसठ पुलिस द्वारा पहले भी गोकशी के मामले में जेल भेजा जा चुका है।
गांव का दौरा करने पर पता चला कि वहां मुश्किल से 25-30 ही मुस्लिम घर हैं। उनके हौंसले इस कदर बढे़ हुए है कि गांव का अमन-चैन खतरे में है। घरों से बहू-बेटियों का निकलना, विवाह-शादी एवं अन्य समारोह का आयोजन करना बिल्कुल भी आसान नहीं है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने माना है कि गांव के दर्जनों मुस्लिम अमन-चैन के लिए खतरा बने हुए हैं। जिलाधिकारी ने पुलिस-प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि वह असामाजिक तत्वों के खिलाफ विधि के अनुसार कार्यवाही अमल में लाएं।
सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली एक बड़ी घटना सहारनपुर जिले के थाना चिलकाना के गांव हरड़ाखेड़ी में तीन मार्च की सुबह 8:30 बजे हुई। उसमें करताराम कश्यप के दो बेटों जयवीर कश्यप एवं संदीप कश्यप की घुड़चढ़ी के दौरान मस्जिद के आसपास गाना बजाने का मुस्लिम पंथ के लोगांे ने विरोध किया और आपत्ति जताने पर छतों से पथराव कर एक दर्जन लोगों को घायल कर दिया गया। उपद्रवियों ने हिंदुओं के पूजा स्थल भूमिया खेड़ा को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। इस उपद्रव में एक महिला रमेशो की जान चली गई। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी संध्या तिवारी, एसएसपी डा़ॅ मनोज कुमार, एसपी सिटी पूनम मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने बड़ी मुश्किल से लोगांे को समझा-बुझाकर शांत किया और दोनों दुल्हों की बारात को गांव धोलापड़ा के लिए रवाना कराया। जिलाधिकारी ने उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने एसडीएम को क्षतिग्रस्त भूमिया खेड़ा का
पुनर्निर्माण कराने के भी निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने मृतका के परिजनों को मुआवजा दिए जाने का भी भरोसा दिया।
सहारनपुर में छोटी-मोटी बातों को लेकर मुस्लिम के उन्माद फैलाने और कानून-व्यवस्था को धता बताने की घटनाएं सपा सरकार में हो चुकी हैं। पिछले साल छह अगस्त को शिवरात्रि पर जलाभिषेक को लेकर भी दोनों समुदायों के बीच हिंसक टकराव हुआ था। मुस्लिम समुदाय के लोग जलाभिषेक करने का हिंसक विरोध कर रहे थे। तत्कालीन एसएसपी डी.के. चौधरी और डीएम अजय यादव ने मौके पर पहुंचकर दंगाइयों का मुकाबला किया था और अपनी उपस्थिति में जलाभिषेक का अनुष्ठान संपन्न कराया था। इसी साल 4 फरवरी को घुड़चढ़ी में गाने बजाने को लेकर दूसरे संप्रदाय ने हमला बोल दिया था। विगत माह की 14 फरवरी को रविदास जयंती के मौके पर निकाली जा रही शोभायात्रा का भी मुस्लिम पंथ के कुछ लोगों द्वारा विरोध किया गया था।
फिलहाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में इतना मजहबी तनाव है कि दूसरे समुदाय के लिए अपने सामाजिक और धार्मिक दायित्वों का निर्वहन करना बेहद कठिन साबित हो रहा है। सुरेंद्र सिंघल
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