जिहादी आतंकवाद पर सेकुलर जमात चुप क्यों?
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

जिहादी आतंकवाद पर सेकुलर जमात चुप क्यों?

by
Mar 3, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 03 Mar 2014 14:32:48

– तुफैल चतुर्वेदी

और फिर कृष्ण ने अर्जुन से कहा

जंग रहमत है कि लानत ये सवाल अब न उठा

जंग जब आ ही गयी सर पे तो रहमत होगी

दूर से देख न भड़के हुए शोलों का जलाल

इन्हीं शोलों के किसी कोने में जन्नत होगी।

– कैफी आजमी

 

पिछले सप्ताह नाइजीरिया में घटी एक घटना सेकुलर मीडिया के महारथियों की कृपा से वंचित रही है। सेकुलर मीडिया के सारे तीरंदाज इस घटना को ऐसे छुपा गए जैसे यह घटी ही नहीं।

नाइजीरिया के एक स्कूल को रात के दो बजे बोको हराम नाम के इस्लामी आतंकवादी संगठन के लोगों ने घेर लिया। ग्यारह साल से अट्ठारह साल के बच्चों के छात्रावास के दरवाजे बाहर से बंद कर के छात्रावास में पेट्रोल बमों से आग लगा दी गई। जिन बच्चों ने खिड़कियों से छलांग लगाकर भागने की कोशिश की उनके गले भेड़-बकरियों की तरह काट डाले गए। चाकुओं, गोलियों और जलाकर मारे गए बच्चों की संख्या चालीस की है। बोको हराम को 2002 में मुहम्मद युसूफ ने स्थापित किया थ़ा। यह संगठन अल-कायदा से ह्यप्रेरणाह्ण प्राप्त करता है। इसके लोग 2001 से 2013 तक 10,000 लोगों की हत्या कर चुके हंै। यह संगठन 10-12 साल के बच्चों तक को अपने सैनिक बनाने के लिए कुख्यात है। इसका घोषित लक्ष्य शरिया का राज स्थापित करना है। भारत का पूरा सेकुलर मीडिया ही इस घटना पर मौन नहीं रहा। जनवादी लेखक संघ,प्रगतिशील लेखक संघ सहित सारे लेखक संगठन, मेधा पाटकर से लेकर शबनम हाशमी, अरुंधति राय जैसे सारे मानवाधिकारवादी, शहाबुद्दीन से लेकर भारतीय फिलिस्तीन मैत्री संघ के सारे भाड़े के टट्टू, कश्मीर पर बेहूदा बकने वाले आम आदमी पार्टी के प्रशांत भूषण जैसे बयान-वीर सारे के सारे मौन रह गए।

एक मुहावरा है-ह्यऐसे चुप बैठे हो जैसे गोद में सांप रखा है और हिलना मना हैह्ण। क्या इस्लामी आतंकवाद की स्थिति गोद में रखे सांप की सी है? इस प्रश्न पर विचार करना और नीति तय करना बहुत आवश्यक है। यह प्रश्न नाइजीरिया का ही नहीं है, अपितु सारी मानव सभ्यता के भविष्य का है। आइए इतिहास के झरोखे से रोशनी लेते हैं। मानवता का यह रूप जिसकी परिणति वयस्क मताधिकार, प्रजातंत्र, मानवाधिकार, रजस्वला होने के बाद विवाह, स्त्री अधिकार के रूप में हुई, वह एक दिन में नहीं आया। मानव सभ्यता इस जगह तक बड़े संघषोंर् के बाद पहुंची है।

हमारे पूर्वज विदेशी आततायी मुगल सत्ता को ध्वस्त कर चुके थे, किन्तु शक्तिशाली केंद्रीय सत्ता का अभाव था। मथुरा, हरिद्वार, काशी दर्शन उस काल के प्रत्येक हिन्दू का सपना होता था। सारे भारत के लोग समूह बना कर यात्रा के लिए निकलते थे। पाया गया कि मध्य भारत में ऐसे बहुत से समूह गायब हो जाते हैं। इक्की-दुक्की घटनाएं जंगली जानवरों, दुर्घटनाओं का परिणाम मानी जा सकती थीं,मगर ऐसा बड़े पैमाने पर होने लगा तो उन दिनों केंद्रीय सत्ता के रूप में उभर रहे अंग्रेजों के कान खड़े हुए। विलियम हैनरी स्लीमैन को इसकी जांच-पड़ताल सौंपी गयी। उन्होंने इन घटनाओं के लिए ठग समूहों को जिम्मेदार पाया। ठगों का पहला उल्लेख फिरोज शाह के समकालीन जिया-उद-दीन बरनी ने 1356 में किया है। ठगों के गिरोह लगभग 450 साल तक सक्रिय रहे। स्लीमैन ने इस समूह के एक सरदार सैयद अमीर अली, जो फिरंगिया नाम से जाना जाता था, को पकड़ लिया। अमीर अली ने सूचनाएं दीं। सैकड़ों लोगों की सामूहिक कब्रें दिखायीं। उसके बाद हजारों अन्य लोग पकड़े गए। 1400 ठगों को सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई। उन्हीं में से एक बहराम नाम का सरदार भी था। मुकदमे के दौरान उसने ब्रिटिश न्यायाधीश को तर्क दिया कि हम लोगों को मारते नहीं हैं,हम बलि चढ़ाते हैं। न्यायाधीश ने धार्मिक रीति की आड़ लेकर ऐसे अघोरी कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों को बच कर जाने नहीं दिया।

मगर आज का सभ्य समाज उसी तरह के कृत्यों में संलग्न लोगों की अनदेखी कर रहा है। यह स्थिति समाज को कहां ले जाएगी ?

बोको हराम, अल-कायदा जैसे अन्य संगठन और उसकी प्रेरणा-स्रोत वहाबियत यानी शुद्घ इस्लाम अपनी दृष्टि में पूर्ण जीवन प्रणाली है। इस सोच का मानना है कि उसके अतिरिक्त सभी विचार गलत ही नहीं हैं, इस हद तक गलत हैं कि उनका पूर्ण रूप से उन्मूलन किए बिना मनुष्यता ठीक नहीं हो सकती। सोचिए कि वे कैसे लोग होंगे, जो 11 साल से 18 साल के सोते हुए बच्चों को आग लगा कर, गले काट कर मार सकते हैं? ऐसा काम विक्षिप्त मानसिकता ही करवा सकती है। इस विचार के मूल स्रोत कुरआन और हदीस हैं। सम्भव है कुछ मित्र मेरी बात से असहमत हों इसलिए कुरान की कुछ आयतें देखिए-

ओ मुसलमानो, तुम गैर-मुसलमानों से लड़ो। तुममें उन्हें सख्ती मिलनी चाहिए(9-123)

और तुम उनको जहां पाओ कत्ल करो (191)

काफिरों से तब तक लड़ते रहो जब तक दीन पूरे का पूरा अल्लाह के लिए न हो जाए (8-39)

ऐ नबी! काफिरों के साथ जिहाद करो और उन पर सख्ती करो। उनका ठिकाना जहन्नुम है (9-73 व66-9)

अल्लाह ने काफिरों के रहने के लिए नर्क की आग तय कर रखी है(9-68)

उनसे लड़ो जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं, न आखिरत पर, जो उसे हराम नहीं जानते जिसे अल्लाह ने अपने नबी के द्वारा हराम ठहराया है। उनसे तब तक जंग करो जब तक कि वे जलील होकर जजिया न देने लगें (9-29)

तुम मनुष्य जाति में सबसे अच्छे समुदाय हो, और तुम्हें सबको सही राह पर लाने और गलत को रोकने के काम पर नियुक्त किया गया है (3-110)

जो कोई अल्लाह के साथ किसी को शरीक करेगा, उसके लिए जन्नत

हराम कर दी है। उसका ठिकाना जहन्नुम है (5-72 लम्बे समय  इन पंक्तियों की, इस सोच की अवहेलना करते जाने के कारण आज सभ्य समाज को ये दिन देखने पड़ रहे हैं। इसे नाइजीरिया की ही घटना मान लेने से कुछ न होगा कि आज उनकी तो कल हमारी बारी है,यही इस्लाम है। अफगानिस्तान, कश्मीर में ये अभी कुछ साल पहले हो कर चुका है। इस बात को सदियों पहले बीती बात कह कर नहीं टाल सकते कि मुहम्मद का स्तर सामान्य पैगम्बरों जैसा नहीं है। स्वयं मुहम्मद और उनके साथियों ने जीवन भर यह किया था। उनका किया सुन्नत है यानी उनके किए को, जो सारा हदीसों में लिखा है, अपने जीवन में उतारना सबाब का, पुण्य का काम है। फर्ज अर्थात् कर्तव्य है। आतंकवाद तब भी इसलिए फैलाया गया था कि लोग इस्लाम के आक्रामक प्रहारों पर डर कर चुप हो जाएं। आज भी आतंकवाद का यही लक्ष्य है। आतंकवाद इस्लाम को बढ़ाने के लिए उसके पक्ष में डर पैदा करके उसकी आक्रामकता पर चुप रखने की योजना है। यह कार्य स्वयं मुहम्मद, उनके साथियों ने सफलतापूर्वक अरब इत्यादि देशों में किया था। यही अब सारी दुनिया में चल रहा है। यह वैचारिक लड़ाई है और इसे विचार के आधार पर चुनौती दी ही जानी चाहिए, मगर वैचारिक आधार के लिए भी सशक्त राजदंड की आवश्यकता है। सारे संसार के सभ्य समाज को इसका सशक्त विरोध करना चाहिए। नाइजीरिया सहित जहां-जहां ये चल रहा है भारत को उन देशों को सैन्य सहायता देनी चाहिए। अब खुल कर ताल ठोके बिना इससे छुटकारा नहीं मिल सकता।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies