वाशिंगटन से एजेंसी के जरिए मिली एक खबर के अनुसार अमरीकी कम्पनियां भारतीय कम्पनियों से डरने लगी हैं। इस डर की वजह से इन कम्पनियों ने अमरीका में भारत विरोधी अभियान चला रखा है। इतना ही नहीं हाल ही में अमरीकी कम्पनियों के एक समूह(जिसमें दवा और निर्माण से जुड़ी कम्पनियां हैं) ने अमरीका की सरकार से मांग की है कि भारत को 'प्राथमिकता वाला देश' घोषित किया जाए। बता दें कि इस सूची में अमरीका ऐसे देशों को रखता है जहां व्यापार में बौद्धिक सम्पदा अधिकार का सबसे अधिक उल्लंघन होता है और इस कारण अमरीकी कम्पनियों की प्रतिस्पर्द्धा शक्ति कम होती है। भारत विरोधी अभियान चलाने वाली अमरीकी कम्पनियों का आरोप है कि भारत की व्यापारिक नीतियां बहुत ही भेदभावपूर्ण हैं और ये नीतियां बौद्धिक सम्पदा की अच्छी तरह सुरक्षा नहीं कर पाती हैं। जबकि अमरीकी प्रशासन के ही कुछ अधिकारियों का कहना है कि अमरीकी कम्पनियों की यह मांग सही नहीं है,क्योंकि भारत का बौद्धिक सम्पदा अधिकार विश्व व्यापार संगठन के साथ ही सभी वैश्विक नियमों का पालन करता है। इधर भारतीय कम्पनियों के एक समूह का कहना है कि अमरीकी बाजार में भारतीय दवा कम्पनियों की बढ़ती साख से अमरीकी कम्पनियां घबरा गई हैं। इसलिए ये कम्पनियां अपनी सरकार पर भारतीय कम्पनियों को लेकर दबाव डाल रही हैं। खबर है कि यदि अमरीका भारत को ह्यप्राथमिकता वाला देशह्ण घोषित करेगा तो भारत इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन में ले जा सकता है।
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वाशिंगटन से एजेंसी के जरिए मिली एक खबर के अनुसार अमरीकी कम्पनियां भारतीय कम्पनियों से डरने लगी हैं। इस डर की वजह से इन कम्पनियों ने अमरीका में भारत विरोधी अभियान चला रखा है। इतना ही नहीं हाल ही में अमरीकी कम्पनियों के एक समूह(जिसमें दवा और निर्माण से जुड़ी कम्पनियां हैं) ने अमरीका की सरकार से मांग की है कि भारत को 'प्राथमिकता वाला देश' घोषित किया जाए। बता दें कि इस सूची में अमरीका ऐसे देशों को रखता है जहां व्यापार में बौद्धिक सम्पदा अधिकार का सबसे अधिक उल्लंघन होता है और इस कारण अमरीकी कम्पनियों की प्रतिस्पर्द्धा शक्ति कम होती है। भारत विरोधी अभियान चलाने वाली अमरीकी कम्पनियों का आरोप है कि भारत की व्यापारिक नीतियां बहुत ही भेदभावपूर्ण हैं और ये नीतियां बौद्धिक सम्पदा की अच्छी तरह सुरक्षा नहीं कर पाती हैं। जबकि अमरीकी प्रशासन के ही कुछ अधिकारियों का कहना है कि अमरीकी कम्पनियों की यह मांग सही नहीं है,क्योंकि भारत का बौद्धिक सम्पदा अधिकार विश्व व्यापार संगठन के साथ ही सभी वैश्विक नियमों का पालन करता है। इधर भारतीय कम्पनियों के एक समूह का कहना है कि अमरीकी बाजार में भारतीय दवा कम्पनियों की बढ़ती साख से अमरीकी कम्पनियां घबरा गई हैं। इसलिए ये कम्पनियां अपनी सरकार पर भारतीय कम्पनियों को लेकर दबाव डाल रही हैं। खबर है कि यदि अमरीका भारत को ह्यप्राथमिकता वाला देशह्ण घोषित करेगा तो भारत इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन में ले जा सकता है।

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Mar 3, 2014, 12:00 am IST
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अमरीका में भारत विरोधी अभियान

दिंनाक: 03 Mar 2014 14:38:19

 

हिन्दुओं को मुआवजा देने का आदेश

हाल ही में बंगलादेश की एक अदालत ने नवम्बर, 2013 में हुए दंगों की वजह से जिन हिन्दुओं को आर्थिक नुकसान हुआ था उन्हें मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने बंगलादेश की सरकार से कहा है कि उन हिन्दुओं को 43 लाख 40 हजार टका मुआवजे के रूप में दिए जाएं। उल्लेखनीय है कि नवम्बर, 2013 में बंगलादेश के पाबना जिले में कट्टरवादियों ने एक हिन्दू युवक पर आरोप लगाया था कि उसने फेसबुक पर इस्लाम की तौहीन की है। इसके बाद मुस्लिम कट्टरवादियों ने हिन्दुओं के मकान,दुकान और मन्दिरों पर हमला कर दिया था। 7 मन्दिर, 10 दुकान और 29 मकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया था। लोगों ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई थी। अदालत ने यह भी कहा है कि दंगाइयों को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार भी किया जाए। अदालत के इस आदेश के बावजूद बंगलादेशी दंगाई बेखौफ होकर अभी भी हिन्दुओं पर हमले कर रहे हैं। आम चुनाव के बाद हिन्दुओं पर हमले का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह अभी भी नहीं रुका है।

 

तालिबान ने कहा – बल्ला फेंको, बन्दूक पकड़ो

आतंकवादी संगठन तालिबान को क्रिकेट भी पसन्द नहीं है। तालिबान का कहना है कि चाहे क्रिकेट हो या अन्य खेल इनसे मुस्लिम युवा जिहाद से दूर हो रहे हैं। तहरीक-ए-तालिबान-पाकिस्तान ने पिछले दिनों खास तौर से क्रिकेट की कड़ी आलोचना की है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान ने कहा था कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच वार्ता की बहाली के लिए तालिबान हथियार फेंक कर क्रिकेट का बल्ला उठाए और मैदान पर आए। चौधरी के इस बयान को ह्यक्रिकेट नीतिह्ण के नाम से बड़ी ख्याति मिली थी,पर तालिबान ने इस क्रिकेट नीति को भाव नहीं दिया और इसका मजाक भी खूब उड़ाया।

तालिबान के प्रवक्ता शहीदुल्लाह ने कहा कि सेकुलर लोग क्रिकेट के जरिए मुस्लिम युवाओं को इस्लामी शिक्षा और जिहाद से दूर कर रहे हैं। हम क्रिकेट के कट्टर विरोधी हैं और इसको रत्तीभर भी पसन्द नहीं करते हैं। तालिबानी प्रवक्ता के इस बयान के दूसरे ही दिन तालिबानी आतंकवादियों ने पाकिस्तान के 23 सुरक्षाकर्मियों को भी मार गिराया। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ हवाई हमले का निर्णय लिया।

समाचार है कि हवाई हमले से अब तक 50 से अधिक तालिबानी आतंकवादी मारे जा चुके हैं। यहां यह भी बता दें कि ह्यतहरीक-ए-तालिबान-पाकिस्तानह्ण पाकिस्तान में 2007 से सक्रिय है और इसने अब तक 40 हजार से अधिक लोगों की जान ले ली है।

– प्रस्तुति : अरुण कुमार सिंह

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