|
तहलका पत्रिका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गोवा पुलिस ने गिरफ्तारी के 80 दिन बाद 17 फरवरी को तेजपाल के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया। पुलिस ने 2900 पन्नों के आरोपपत्र में तेजपाल पर पिछले साल 7-8 नवंबर को एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में महिला सहकर्मी के साथ दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न और शील हरण करने समेत कई आरोप लगाए गए हैं। दोषी साबित होने पर उन्हें सात साल से अधिक की कैद हो सकती है। पुलिस न्यायालय से प्रतिदिन मामले की सुनवाई करने का आग्रह करेगी। ताकि जल्द से जल्द मामले की सुनवाई पूरी हो सके। यदि न्यायालय पुलिस का यह आग्रह स्वीकार कर लेता है तो दो महीनों के भीतर मामले की सुनवाई पूरी हो जाएगी। तेजपाल के खिलाफ आरोपपत्र दायर होने के बाद गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर ने इस मामले की जांच को दिल्ली दुष्कर्म कांड के बाद अति सावधानी से जांच की एक और उपलब्धि बताया है।
आरोपपत्र में तेजपाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354 ए (यौन उत्पीड़न), 341 और 342 (गलत तरीके से रोकना), 376 (दुष्कर्म), 376 (2) (एफ) और 376 (2) (के) (अपने आधिकारिक पद का लाभ उठाना और अपने संरक्षण में महिला के साथ दुष्कर्म) के तहत आरोप लगाए गए हैं। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अनुजा प्रभुदेसाई के समक्ष दायर 2,684 पन्नों की आरोपपत्र में पीडि़ता व तहलका पत्रिका के कर्मचारियों समेत 152 गवाहों के बयान हैं। गोवा का दावा है कि दस्तावेज और बयानों के तौर पर ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं कि अपराध करने के बाद तेजपाल पुलिस से बच रहे थे। आरोप पत्र में आरोपी और पीडि़ता के बीच हुए एसएमएस और ई-मेल का व्यापक तौर पर हवाला दिया गया है। आरोप पत्र में कहा गया है कि यह सिद्ध करने के लिए रिकॉर्ड में पर्याप्त बयान हैं कि तेजपाल ने दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न और पीडि़ता का शील भंग करने की बात स्वीकारी। तेजपाल को पिछले साल 30 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से वह यहां से 40 किलोमीटर दूर वास्को शहर की उपजेल में बंद हैं। प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ