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13 दिसम्बर, 2001 को लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर भारतीय संसद पर आतंकवादियों ने हमला कर देश की एक एकता और अखंडता को चुनौती दी थी, लेकिन 13 फरवरी को संसद में सांसदों ने जिस तरह से मर्यादा को ताक पर रखकर जो कुछ भी किया, वह कभी न भूलने वाला इतिहास बन गया है। इससे पहले 11 फरवरी को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विधायकों ने एक-दूसरे पर कुर्सी-मेज फेंके थे। मामला दिल्ली विधानसभा का हो या संसदीय गरिमा को कलंकित करने वाला अध्याय यह, अराजकता की स्थिति के लिए केन्द्र में बैठी कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ही है। एक अल्पमत सरकार को समर्थन का झूठा भरोसा दिखाना और फैसलों के समय उसी सरकार के पैरों तले से कालीन खींच लेना…जनलोकपाल विधेयक के मुद्दे पर दिल्ली कांग्रेस का दोमुंहापन पूरे देश ने देखा। हालांकि सदन की प्रक्रियाओं को तार-तार करने में ह्यआआपाह्ण सबसे आगे दिखी, लेकिन झूठे समर्थन की ढाल देकर अराजकता को बढ़ावा देने की असली दोषी कांग्रेस दिखती है।
13 फरवरी की सुबह अलग तेलंगाना राज्य का बिल जैसे ही ससंद के निचले सदन में पेश हुआ सीमांध्र से जुड़े कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी के सांसदों ने जमकर हंगामा शुरू कर दिया। विजयवाड़ा से कांग्रेस के सांसद लगदापति राजगोपाल ने सांसदों के ऊपर काली मिर्च का पाउडर स्प्रे कर दिया। इससे कई सांसद खांसने लगे और उनकी हालत बिगड़ गई। सांसदों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। हाथापाई के दौरान टीडीपी सांसद वेणुगोपाल पर चाकू निकालने तक के आरोप लगे। इसी दौरान एक सदस्य ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन पर रखे कागजों को छीनना शुरू कर उनके मेज पर लगे माइक को तोड़ दिया। हंगामे और अव्यवस्था की स्थिति में स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर सदन को खाली करा दिया। इस मामले में 17 सांसदों को निलंबित कर दिया गया, जबकि सीमांध्र के तीन सांसदों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। लोकसभा अध्यक्ष ने जैसे ही गुरुवार को तेलंगाना बिल पेश करने के लिए गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का नाम लिया। सीमांध्र से जुड़े सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और शिंदे के हाथ से बिल फाड़ने की कोशिश की। भारी अफरातफरी में वेणुगोपाल द्वारा कागज छीने जाने और माइक तोड़े जाने के बीच कांग्रेस के राजगोपाल ने पहले रिपोर्टर टेबल पर रखे बक्से को तोड़ दिया और उसके बाद जेब से स्प्रे निकालकर उसे चारों तरफ फेंकना शुरू कर दिया, जिससे सदन और उसकी दीर्घाओं में लोग खांसने लगे। इस कारण ऐंबुलेंस तक बुलाकर कुछ सांसदों को अस्पताल तक भेजना पड़ा। अपनी ओर से सफाई देते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने महासचिव के सामने वाला माइक तोड़ा था, जिसे चाकू बताया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विधायक भूले मर्यादा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 10 फरवरी को सदन की मर्यादा तार-तार हो गई। नई प्रशासनिक इकाइयों के मुद्दे पर विधायकों ने जमकर हंगामा किया। सदन में नारेबाजी हुई, कुर्सियां-मेज फेंके गए, नौबत मारपीट तक पहुंच गई और एक विधायक ने दूसरे पर माइक तक उठा लिया। हालात को नियंत्रण में लेने के लिए मार्शलों को बुलाना पड़ा। इस दौरान हुई धक्का-मुक्की में प्रमुख विपक्षी दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक मुश्ताक अहमद शाह गंभीर रूप से घायल हो गए, उन्हें उपचार के लिए तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा।
10 फरवरी को विधानसभा अध्यक्ष मुबारक गुल जैसे ही सदन में आकर बैठे तो पीडीपी के विधायक चौ. जुल्फिकार हाथों में बैनर लिए सीधे वेल में जा पहुंचे। उन्होंने बुद्धल में तहसील की मांग को लेकर जारी जनांदोलन की तरफ अध्यक्ष का ध्यान दिलाते हुए तहसील का दर्जा देने की मांग की। उनके पीछे-पीछे पीडीपी के विधायक सैयद बशीर भी नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन में अपने इलाके की उपेक्षा पर बंदर-बांट नहीं चलेगी की नारेबाजी करते हुए स्पीकर के समक्ष पहुंच गए। कुछ समय बाद निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने वहां बैठे सत्ताधारी विधायकों की तरफ संकेत करते हुए कहा कि यहां सभी चोर हैं। इस पर रशीद ने लोन पर हमला करने के लिए माइक तक उठा लिया। उसके बाद उत्तेजित विधायक नारेबाजी करते हुए कुर्सियां उठाकर फेंकने लगे। इसी दौरान त्राल के विधायक मुश्ताक अहमद शाह की एक मार्शल के साथ कुर्सी को लेकर छीना-झपटी हुई। विधायक जमीन पर नीचे गिर पडे़। उनकी कमर में गंभीर चोट आई और उन्हें उसी समय अस्पताल ले जाना पड़ा। महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि कैबिनेट सब कमिटी ने जिस रपट को पेश किया उसमें विपक्ष के विधायकों के क्षेत्रों को नजरअंदाज किया गया है। एक बात साफ है कि सदन में एक बार फिर से घाटी और सुन्नी मुसलमानों के लिए पक्षपात और राज्य के अन्य हिस्सों की उपेक्षा का भाव उजागर हुआ है। पाञ्चजन्य ब्यूृरो
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