कांग्रेस का मकसद भ्रम फैलाना
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कांग्रेस का मकसद भ्रम फैलाना

by
Feb 15, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 15 Feb 2014 14:23:26

-राजनाथ सिंह 'सूर्य'-

कांग्रेस सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए कटिबद्ध है। आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार तो मुस्लिमों को आरक्षण दे भी चुकी है। कांग्रेस के नेतृत्व में चलने वाली संप्रग सरकार ने जाटों को भी आरक्षण देने को हरी झण्डी दे ही दी है। संप्रग सरकार ने हाल ही में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित किया है। इसी कांग्रेस के कद्दावर महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने पिछले दिनों अचानक कहा कि आरक्षण का आधार आर्थिक हो। उनके इस बयान ने खुलासा किया है कि कांग्रेस पार्टी दिशाहीन होकर डूबते हुए व्यक्ति के समान हाथ-पांव मार रही है। जनार्दन द्विवेदी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सर्वेसर्वा राहुल गांधी के अत्यंत विश्वासपात्र माने जाते हैं। यह भी स्थापित तथ्य है कि जनार्दन द्विवेदी सोनिया और राहुल की मर्जी से ही मुंह खोलते हैं। लेकिन सोनिया गांधी ने उनकी अभिव्यक्ति से असहमति जताई है। वहीं राहुल गांधी अभी तक मौन हैं, जबकि द्विवेदी अपनी अभिव्यक्ति की सार्थकता के लिए आग्रही बने हुए हैं। जनार्दन द्विवेदी ने पिछड़ेपन के लिए जिस आर्थिक आधार पर चर्चा शुरू की है उसके औचित्य का प्रतिपादन बहुत से विचारवान पहले भी कर चुके हैं। यहां तक कि पहले पिछड़ा वर्ग आयोग का प्रतिवेदन सौंपते हुए काका कालेलकर ने तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद को अलग से पत्र लिखकर जातिगत आधार पर पिछड़ापन निर्धारित करने पर भयावह स्थिति की चेतावनी भी दी थी,लेकिन उनकी चेतावनी की अनदेखी की गई। न केवल जातिगत पिछड़ेपन को आरक्षण का आधार बनाया गया, बल्कि उसका विस्तार किया जाता रहा है। इस्लाम में आस्था रखने वाली कुछ जातियों को पिछड़े या अनुसूचित जाति की श्रेणी में लाने का प्रयास इन वर्गों के आरक्षित लोगों के विरोध के बावजूद जारी है। बहुत से विचारवान लोगों का यह तर्क भी मानने से इंकार किया जाता रहा है कि जाति के आधार पर आरक्षित वर्ग में जो सम्पन्न होकर अब पिछड़े नहीं रह गए हैं उनको इस श्रेणी से अलग कर उसी वर्ग के निर्धन तबके को लाभान्वित होने का अवसर दिया जाए। ऐसे सुझाव को अपूर्व ढंग से लाभान्वित तबके ने 'सवर्णों की साजिश' की संज्ञा दी है। जिन्हें आरक्षण का लाभ प्राप्त है वे न केवल पिछड़ेपन को आर्थिक आधार देने को 'साजिश' बता रहे हैं, अपितु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इन वर्गों में लाभान्वित हुए लोगों के लिए जो 'क्रीमी लेयर' बनाने का सुझाव दिया गया है उसे अनुसूचित वर्ग में तो लागू ही नहीं किया गया, और पिछड़ा वर्ग में लागू करने की जो 'नियमावली' बनाई गई है, उसके अंतर्गत एक भी व्यक्ति 'क्रीमी लेयर' में शामिल नहीं हो सकता। उसमें एक प्रावधान है कि पति या पत्नी में से यदि एक भी स्नातक नहीं है तो चाहे जितनी आय क्यों न हो, वह 'क्रीमी लेयर' में शामिल नहीं किया जा सकता।
पिछड़ेपन के आकलन का जातिगत आधार यदि आजादी के साठ वर्ष बाद भी कायम है तो उसे सामाजिक समरसता के शासकीय प्रयास की नाकामी ही माना जा सकता है। जो गरीब और वंचित हैं उनकी जाति के आधार पर नहीं, हैसियत के आधार पर ही पहचान बनी हुई है। ऐसी स्थिति में पिछड़ेपन या आधार जाति को मानने का अब फिलहाल कोई औचित्य नहीं रह गया है। जो वंचित है, वह चाहे जिस वर्ग, जाति या संप्रदाय का हो, उपेक्षित और उत्पीडि़त है। इस परिस्थिति को देखते हुए जनार्दन द्विवेदी के आह्वान को समाजिक समरसता की दिशा में प्रयास का आह्वान करार दिया जाना चाहिए। लेकिन क्या जनार्दन द्विवेदी का आह्वान इसी निहितार्थ से हुआ है? इस बात को भी कोई शायद ही स्वीकार करे कि उन्होंने बिना सोनिया गांधी या राहुल गांधी की मर्जी से ऐसा किया है। पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस के विभिन्न नेतृत्वभक्त लोगों से जो अभिव्यक्तियां कराई गईं और बाद में उन्हें व्यक्तिगत अभिव्यक्ति कहकर पीछा छुड़ाया गया, यह अभिव्यक्ति और उस पर प्रतिक्रिया भी उसी प्रकार से है। ऐसा केवल सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही नहीं हो रहा है। इंदिरा गांधी के करीबी समझे जाने वाले कुछ लोगों ने आपात स्थिति के दौरान राष्ट्रपति प्रणाली की वकालत शुरू की थी। कांग्रेसियों ने उसका ढोल बजाने में देरी नहीं की। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सम्मेलन में इसी मत के समर्थन में श्री त्रिलोक सिंह बोल रहे थे कि श्रीमती गांधी, पंडित कमलापति त्रिपाठी के साथ मंच पर पहुंचीं और पंडित जी से कहा, यह क्या बेवकूफी की बातें हो रही हैं। त्रिलोकी सिंह, जो राष्ट्रपति प्रणाली की खूबियां गिना रहे थे, तत्काल उसकी बुराइयों के उल्लेख पर उतर आए। कांग्रेस में ऐसे आचरण का सबसे चर्चित उदाहरण है शाहबानो का मामला। संसद में जब इस विषय पर चर्चा हुई तो एक राज्यमंत्री आरिफ मोहम्मद खान को बोलने के लिए पार्टी ने खड़ा किया। उन्होंने बड़े ही तर्कपूर्ण ढंग से सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का प्रतिपादन किया। उनके भाषण से ऐसा लग रहा था जैसे सरकार दकियानूसी लोगों के दबाव से बाहर निकलकर मुस्लिम महिलाओं के हित में कानून बनाएगी। दूसरे दिन की बहस में एक और राज्यमंत्री जियाउर रहमान अंसारी को खड़ा कर कांग्रेस ने फैसले का ऐसा विरोध कराया कि राजीव गांधी को कदम उठाने का साहस छोड़ना पड़ा। जनार्दन द्विवेदी से जो अभिव्यक्ति कराई गई उसका उद्देश्य महज 'सवर्ण' मतों को प्रभावित करना था। लेकिन जब इस चर्चा से अनुसूचित और पिछड़े वर्ग में नियामक हैसियत रखने वाले बलबला उठे तो उसे उनका व्यक्तिगत अभिमत कहकर मामले को ठंडा कर दिया गया। कांग्रेस का यह कदम मतदाताओं की अनुकूलता पाने के लिए उसी प्रकार से उठाया गया प्रमाणित हो गया है जैसे मुस्लिम समुदाय की बेहतरी के लिए कई हजार करोड़ 'उत्थान' योजनाएं, जाटों को आरक्षण और जैनियों को अल्पसंख्यक बनाना। जो सरकार वर्गीय, जातीय और सांप्रदायिक आधार पर 'उत्थान' की राह पर बढ़ती जा रही है उसके नियंत्रक द्वारा पिछड़ेपन को समानता का आधार देने का माहौल तैयार करने के लिए चर्चा को उभारना वोट बैंक की राजनीति के अलावा और कुछ भी नहीं है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies