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'इशरत और उसके साथी आतंकी गतिविधियों में शामिल थे'

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Feb 15, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 15 Feb 2014 15:30:47

चर्चित इशरत जहां मुठभेड़ मामले में आरोपी पूर्व आईबी अधिकारी राजेंद्र कुमार ने एक न्यूज चैनल पर पहली बार अपनी सफाई पेश की है। राजेंद्र ने अपने साक्षात्कार में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि इशरत और उसके साथी आतंकी गतिविधियों में शामिल थे। गौरतलब है कि सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र में राजेंद्र कुमार को आरोपी बताया गया है। कुमार ने चैनल पर अपनी सफाई में कहा कि हमारी कार्रवाई आतंक को रोकने और आतंकवादियों पर लगाम लगाने के लिए थी। परंतु उसे गलत रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्हांेने इशरत और उसके साथियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य होने की बात भी कही है। कुमार मुठभेड़ के समय गुजरात राज्य में आईबी प्रमुख थे। राजेंद्र कुमार के अलावा उनके तीन सहकर्मियों का नाम भी आरोपपत्र में शामिल है।
राजेंद्र कुमार को आरोपी बनाए जाने पर सीबीआई और आईबी की तकरार के बीच भाजपा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए राष्ट्रहित में विवाद को निपटाने की अपील की है। सीबीआई सूत्रों के अनुसार पूछताछ के बाद राजेंद्र कुमार को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। राजेंद्र कुमार ने गुजरात में आईबी के संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात रहते हुए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और लालकृष्ण आडवाणी पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आत्मघाती दस्ते के हमले के बारे में राज्य सरकार को सचेत किया था। उसी सूचना को आधार बनाते हुए अमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने इशरत और उसके साथियों को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था। लेकिन खुफिया जानकारी देने वाले अधिकारी को आरोपी बनाए जाने को लेकर आईबी में भारी नाराजगी है। आईबी निदेशक आसिफ इब्राहिम सीबीआई निदेशक से मिलकर इसे स्पष्ट भी कर चुके हैं। यही नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने प्रधानमंत्री को भी इससे अवगत करा दिया है। भाजपा ने आईबी की नाराजगी को सरकार की दो एजेंसियों के बीच बढ़ते अविश्वास का नतीजा बताया है। भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री को तत्काल हस्तक्षेप पर राष्ट्रहित में फैसला लेना चाहिए। उनके अनुसार देश की आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से यह अत्यंत गंभीर मामला है। ल्ल प्रतिनिधि
हिमाचल प्रदेश में जमीन को लेकर विवादों में घिरे प्रशांत भूषण
हिमाचल प्रदेश में ह्यआआपाह्ण नेता और वकील प्रशांत भूषण की जमीन को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। हिमाचल प्रदेश प्रवर्तन विभाग ने सिफारिश की है कि प्रशांत भूषण को पालमपुर की टी एस्टेट में दी गई 122 कनाल जमीन का दुरुपयोग हो रहा है अत: इस आवंटन को रद्द करते हुए जमीन को जब्त कर लिया जाना चाहिए। यह जमीन कुमुद भूषण एजुकेशन सोसाइटी के नाम से एजुकेशन सोसाइटी बनाने के लिए आवंटित हुई थी, किंतु इसमें नियमों का उल्लंघन पाया गया। जांच दल ने पाया कि आवंटित प्लॉट पर किसी प्रकार की शैक्षणिक सोसाइटी का अस्तित्व नहीं है। प्रशांत भूषण ने प्रवर्तन विभाग के इस कदम को राजनीतिक द्वेष से जुड़ा बताया है। उन्होंने कहा कि यह मामला तभी उठा है जब उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह एक पुराना मुद्दा है, जो कभी भी उठता रहता है। भूषण ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई में शिकायत की थी। ल्ल प्रतिनिधि
नौसैनिकों पर पसीजी सरकार, पर इटली का विरोध जारी
केन्द्र सरकार ने 10 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय को सूचित कर दिया कि मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के नौसैनिकों से मौत की सजा के प्रावधान हटा लिए गए हैं। वहीं इटली ने एंटी पाइरेसी कानून ह्यसुआह्ण को लेकर आपत्ति जारी रखी। उस पर न्यायालय ने मामले को 18 फरवरी को विस्तृत सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया है। वहीं इटली ने कहा है कि यदि भारत उनके नौसैनिकों पर दस्यु रोधी और आतंकवाद रोधी कानून के तहत मुकदमा बरकरार रखेगा तो उसके रोम और यूरोपीय संघ से संबंधों पर असर पड़ेगा। इटली के प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि उनका देश कोई आतंकवादी देश नहीं है।
मौत की सजा के प्रावधान हटा लिए जाने के बावजूद इटली का विरोध जारी रहने पर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने सख्त शब्दों में कहा कि इन्होंने दो लोगों की हत्या की है। इन्हें कानूनी प्रक्रिया का तो सामना करना ही होगा। आरोपी नौसैनिकों और इटली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर मुकदमे में देरी को आधार बताते हुए मुकदमा निरस्त करने की मांग की है। इटली ने पत्र में नौसैनिको पर कांटिनेंटल शेल्फ में समुद्री परिवहन व पोत के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून-2002 ह्यसुआह्ण, लगाने पर भी आपत्ति जताई गई है। इटली का कहना है कि ये कानून तो समुद्री डाकुओं के खिलाफ लगाया जाता है और इसमें मौत की सजा का प्रावधान है।
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने कहा कि सरकार ने नौसैनिकों से ह्यसुआह्ण कानून की धारा 3(1)(जी) के आरोप हटा लिए हैं जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है। उन्होंने मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान की पीठ को संशोधित आरोपों का नोट भी दिया। उसे देख कर पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में मौत की सजा का प्रावधान होने पर अटॉर्नी जनरल से सवाल भी किया। लेकिन अटॉर्नी जनरल ने कहा कि धारा 302 में मौत की सजा तो सिर्फ कुछ ही मामलों में दी जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं इस बारे में दिशा-निर्देश तय कर रखे हैं। उधर इटली के नौ सैनिकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने ह्यसुआह्ण लगाए जाने का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा धारा 3(1)(जी) में आरोप वापस ले लेने भर से कुछ नहीं होगा। अंतिम फैसला तो अदालत करती है और अदालत चाहेगी तो उस धारा में भी आरोप तय कर देगी। इसलिए ह्यसुआह्ण के आरोप पूरी तरह हटाए जाने चाहिए। हालांकि पीठ ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से मना कर दिया। ल्ल पाञ्चजन्य ब्यूरो
ह्यसिमीह्ण पांच साल के लिए गैरकानूनी घोषित
संसद में 12 फरवरी को सरकार ने बताया कि देश की अखंडता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्टूडेन्ट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को एक फरवरी, 2014 को पांच वर्ष की अवधि के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया गया है।
गृह राज्य मंत्री आर. पी. एन. सिंह ने राज्यसभा को बताया कि सिमी की गतिविधियों के बारे में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और जांच एजेंसियों से सूचनाएं मिली हैं। इन सूचनाओं के अनुसार, सिमी की गतिविधियां देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं और शांति तथा सद्भाव में बाधा डालने के साथ साथ देश के पंथनिरपेक्ष ढांचे को प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि अनेक राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और एनआईए ने पूर्व सिमी कैडरों के खिलाफ मामले दर्ज किए और अपराध साबित होने की सूचना भी दी है। सिंह ने डॉ. के. पी. रामलिंगम के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्र सरकार ने सिमी को पांच वर्ष अवधि के लिए गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक कानून 1967 के प्रावधानों के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है। ल्ल प्रतिनिधि
मेरठ में यादव समाज ने कहा- नहीं देंगे समाजवादी पार्टी को वोट
मेरठ में लोगों के घरों और डेरियों से पशु चोरी कर उन्हें काटने की घटनाएं बढ़ गई हैं। इस कारण पशु पालने वालों का रोष काफी बढ़ता जा रहा है। 13 फरवरी को मेरठ कैंट के बकरी मोहल्ले के डेयरी वाले अपनी गायों की निरंतर चोरी और पुलिस की निष्क्रियता पर उबल पड़े। इस मोहल्ले की डेयरियों से पिछले तीन माह में 125 पशु चोरी हो चुके हैं।
डेयरी मालिक अधिकांश यादव समाज से हैं और ऐसा माना जाता रहा है कि यादव समाज को मुलायम-अखिलेश सरकार का समर्थन मिलता रहता है। लेकिन वास्तविकता उससे परे है क्योंकि कसाई बिरादरी पशुओं को काटकर मांस का व्यवसाय कर अमीर बनती जा रही है। ये लोग सपा सरकार को अपने इशारों पर नचा रहे हैं। तीन माह में यादव डेयरी वालों ने कई दर्जन शिकायतें की हैं, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं की गई। पशु चोरी कर काटने के लिए कार से लेकर बड़े वाहनों तक का प्रयोग किया जा रहा है।
13 फरवरी को पशु चोरी से आहत यादव समाज के लोग लालकुर्ती थाने में पहंुचे। इनका नेतृत्व केदारनाथ यादव डेयरी वाले ने किया। इन लोगों ने थाने में सपा सरकार, प्रशासन व पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। स्वयं केदारनाथ के घर के बाहर से गो तस्कर बीती 8 फरवरी को गाय चोरी कर ले गये थे। इन लोगों ने हंगामा करते हुए कहा कि 125 पशु चोरी होने के बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ रखकर बैठी हुई है। इस मौके पर उन्होंने साफ कर दिया कि वे लोग लोकसभा चुनाव में सपा सरकार का बहिष्कार करेंगे क्योंकि उनके शासनकाल में गोकशी करने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां की सात भैंसें रामपुर से चोरी हो गई थीं। उन्हें बरामद करने के लिए पूरा पुलिस-प्रशासन तीन दिनों तक सिर के बल खड़ा रहा था। बाद में दावा किया गया था कि अलग-अलग स्थानों से 7 भैंस बरामद कर ली गई हैं। चर्चा है कि आजम की भैंसें तो काटी जा चुकी थीं और उनकी भरपाई के लिए पशु पालने वाले दूसरे लोगों की भैंस वहां पहंुचाई गई थी। लेकिन इन लोगों का भाग्य मंत्री आजम खां की तरह नहीं है कि उन्हें चोरी होने पर बदले में पशु मिल जाएं। ल्ल अजय मित्तल, मेरठ

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