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यह भारतीय लोकतंत्र के लिए विडम्बना ही है कि सत्ता में बैठे लोग आज वोट बैंक की राजनीति करने के लिए हर प्रकार का छल-प्रपंच अपनाते हंै। सत्ता चलाने वाले किस प्रकार का छल करते हैं,यह मराठी में आई एक पुस्तक ह्यमालेगांव-बम विस्फोटगील अदृश्य हाथह्ण में बताया गया है। यह पुस्तक विक्रम भावे ने लिखी है। विक्रम भावे पर आरोप था कि वह मालेगांव बम विस्फोट में शामिल था। इसी आरोप के आधार पर उसे काफी दिनों तक जेल में बन्द कर रखा गया था। बाद में उसे अदालत ने बरी कर दिया था। पुस्तक में विक्रम ने बताया है कि अपराध कबूलने के लिए उसे जेल में किस तरह की यातनाएं दी गईं। पुस्तक में इस मामले के कथित आरोपियों की मार्मिक कथाएं भी बताई गई हैं।
भावे ने तथाकथित ह्यहिन्दू आतंकवादह्ण में शामिल युवकों को लेकर भी कई सवाल उठाए हैं। मालेगांव बम विस्फोट के आरोप में किस तरह बिना सबूत के हिन्दू युवकों को पकड़ा गया और प्रताडि़त किसा गया, यह भी बताया गया है। बिना तथ्य तथाकथित ह्यभगवा आतंकह्ण को स्थापित करने का षड्यंत्र भी किया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि लेखक इसका जुड़ाव इशरत जहां और डेविड हेडली के मामलों तक लेकर आया है,जो हमारी जांच एजेसियों के आकाओं की मंशाओं और क्षमताओं पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
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