दिल्ली में हिन्दू जागो यात्रा
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.गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में बजरंग दल ने 26 जनवरी को तिरंगा फहराकर ह्यहिन्दू जागो यात्राह्ण निकाली। पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर क्षेत्र में विहिप के जिला मंत्री श्री प्रमोद जैन के नेतृत्व में निकाली गई इस यात्रा में सैकड़ों युवकों, महिलाओं, बुजुगोंर् और बच्चों ने भाग लिया। इस अवसर पर देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए विहिप, दिल्ली के उपाध्यक्ष श्री बृज मोहन सेठी ने कहा कि आजादी के पश्चात् हमारे गणतंत्र की स्थापना को भी आज 65 वर्ष पूरे हो गए, किन्तु हिन्दू समाज अभी भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। देश की राजनीति पर जिस प्रकार अल्प-संख्यक तुष्टीकरण की महामारी हावी है वह न सिर्फ देश को एक और विभाजन की ओर बढ़ा रही ह,ै बल्कि हिन्दू समाज के अधिकारों पर भी कुठाराघात कर रही है।
अजीत नगर स्थित गली नं 15 के पथवारी मन्दिर से प्रारम्भ हुई यह हिन्दू जागो यात्रा धर्मपुरा, कैलाश नगर, पुराना सीलमपुर, सुभाष मुहल्ला होती हुई प्रारम्भिक स्थान पर ही समाप्त हुई।
गत 23 मार्च को सिलीगुड़ी में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 118वीं जयन्ती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पथ संचलन निकाला। इस संचलन में सिलीगुड़ी और उसके आसपास के लगभग तीन हजार स्वयंसेवकों ने भाग लिया। संचलन स्थानीय बाघा जतिन पार्क से शुरू हुआ और विभिन्न मार्गों से होते हुए वहीं आकर समाप्त हुआ। संचलन में शामिल स्वयंसेवकों ने तख्तियां पकड़ी हुई थीं, जिन पर नेताजी, भारतमाता,डा.हेडगेवार के चित्र बने हुए थे। संचलन से पूर्व विशिष्ट लोगों ने नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इनमें प्रमुख थे विभाग संघचालक श्री कुलछत्र प्रसाद अग्रवाल,उत्तर बंग प्रान्त प्रचारक श्री गोबिन्द घोष और सह प्रान्त प्रचारक श्री जलधर महतो।
रायगंज में संस्कृत प्रशिक्षण शिविर
ँपश्चिम बंगाल के रायगंज स्थित रामकृष्ण उच्च विद्यालय में 10 से 19 जनवरी तक संस्कृत सम्भाषण प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ। इस शिविर का आयोजन संस्कृत भारती,उत्तर बंग के सहयोग और इस विद्यालय में संस्कृत भाषा के प्राध्यापक श्री टिंकू हालदार के विशेष प्रयास से हुआ। प्रतिदिन सायं 5 से 7 बजे तक प्रतिभागियों ने संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण लिया। कड़ाके की सर्दी के बीच भी शिविरार्थियों में संस्कृत सीखने की जबर्दस्त ललक दिखी। मुख्य प्रशिक्षक थे संस्कृत भारती, उत्तर बंग के प्रान्त संयोजक श्री समीरण। उनके साथ थे तिरुपति विश्वविद्यालय में संस्कृत पढ़ने वाले भास्कर घोष एवं शुभम दास।
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