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नक्सलियों का एक गुट बंदूक के बल पर अराजकता पैदा करने में जुटा है, जबकि उनका दूसरा बुद्धिजीवी समूह लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में दखलंदाजी करके उसे अपने हिसाब से चलाने का प्रयास कर रहा है। वनवासी सरकार की नीतियों से उपेक्षित होकर हथियार उठा रहे हैं। उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में चीन ने भारत की हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया हुआ है। वहीं वह पूर्वोत्तर राज्यों में माओवादियों को हथियार और धन देकर पोषित करने के काम करने में भी जुटा है। इन सब बातों से सरकार अनभिज्ञ नहीं है, लेकिन बात चाहे नक्सलियों से निबटने की हो या फिर भारत की जमीन पर चीन के लगातार बढ़ते कदमों को रोकने की, सरकार हर बार हर मोर्चे पर असफल रही है। कारण चाहे जो भी रहे हों लेकिन अब वह समय आ गया है कि हम इन मुद्दों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
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