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धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला जम्मू -कश्मीर हो या देश में सूर्य का सबसे पहले स्वागत करने वाला अरुणाचल प्रदेश । देवी कामाख्य का घर असम हो या जनजातीय विविधताओं से गूंजता नगालैंड। सीमा से लगते यह सभी राज्य ऐतिहासिक रूप से हमारी सांस्कृतिक, भौगोलिक पहचान के अमिट अंग हैं। लेकिन आज सीमांत प्रांतों की अकुलाहट और आक्रोश बता रहे हैं कि कहीं कुछ तो गलत हुआ है। भाइयों में पराएपन का गुस्सा सुलगता दिखे या हिंसा की लपटें, हमारे आंगन में चिंगारी फेंकने का काम पड़ोसियों ने भी किया है।
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