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सोनिया-मनमोहन सरकार दिल्ली वक्फ बोर्ड को 123 सम्पत्तियां सौंपने को तैयार
-अरुण कुमार सिंह-
दिल्ली में मुआवजा लेकर लार टपकाने वालों की बाढ़ आई है और सोनिया-मनमोहन सरकार उनकी पीठ थपथपा रही है। बात हो रही है दिल्ली वक्फ बोर्ड की। दिल्ली वक्फ बोर्ड अब 123 उन सम्पत्तियों को वापस मांगने लगा है, जिनका अधिग्रहण 1911-1915 के बीच किया गया था और जिनका मुआवजा भी उसी समय दे दिया गया था। वक्फ बोर्ड की यह हिम्मत अल्पसंख्यक मंत्रालय (जिसको आप ह्यमुस्लिम तुष्टीकरण मंत्रालयह्ण कह सकते हैं) की वजह से हुई है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले मीडिया में यह समाचार आया था कि केन्द्र सरकार दिल्ली वक्फ बोर्ड को दिल्ली की 123 सम्पत्तियां वापस करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इनमें से 61 भूमि विकास विभाग (शहरी विकास मंत्रालय) और 62 दिल्ली विकास प्राधिकरण(डीडीए) की हैं। ये सम्पत्तियां कनाट प्लेस, संसद मार्ग, पहाड़गंज, मथुरा रोड, मौलाना आजाद रोड, करोलबाग, सदर बाजार, दरियागंज, पंडारा रोड, अशोक रोड, जनपथ आदि जगहों पर हैं। कई सम्पत्तियां तो बहुत ही संवेदनशील जगहों पर हैं। इन जगहों का सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से काफी महत्व है। एक सम्पत्ति उप राष्ट्रपति आवास परिसर में है। वहां कोई बाहरी व्यक्ति नहीं जा सकता है। यदि ये सम्पत्तियां वक्फ बोर्ड को दे दी जाती हैं तो इनमें आम लोगों का प्रवेश बेरोकटोक होगा,जो सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है। यह मामला सरकारी सम्पत्ति के प्रति सोनिया-मनमोहन सरकार की उदासीनता को भी प्रकट करता है।
ये अरबों रु. की सम्पत्तियां हैं। इनका अधिग्रहण राजधानी नई दिल्ली को विकसित करने के लिए किया गया था। अंग्रेजों के समय तक इन सम्पत्तियों पर दावा किसी भी मुस्लिम संस्था यहां तक कि मुस्लिम लीग ने भी नहीं किया था। कारण यही था कि इनका मुआवजा दे दिया गया था,लेकिन 1970 में 16-31 दिसम्बर के बीच दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इन सम्पत्तियों की एक सूची जारी कर कहा कि ये सम्पत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड की हैं। इसका तत्कालीन केन्द्र सरकार ने विरोध किया और इसे न्यायालय में चुनौती दी। सभी 123 सम्पत्तियों के लिए अलग-अलग 123 मामले दायर किए गए। करीब चार वर्ष तक ये मामले चलते रहे।
इसी बीच तत्कालीन खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री फखरुद्दीन अली अहमद ने 25 मई,1974 को एक बैठक बुलाई। इस बैठक में दिल्ली वक्फ बोर्ड, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए),भूमि विकास विभाग (केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय) के प्रतिनिधियों के साथ दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल भी उपस्थित थे। बैठक में इस मामले पर चर्चा हुई और वक्फ बोर्ड के दावे की कथित सत्यता जांचने के लिए एक समिति बनाई गई। इस समिति का अध्यक्ष दिल्ली वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष एसएमएच बर्नी को बनाया गया। यानी जिसकी जांच होनी थी उसी के अध्यक्ष को जांच की जिम्मेदारी दी गई। कहा जा सकता है कि यहीं एक साजिश के तहत इस मामले को वक्फ बोर्ड के पक्ष में कर दिया गया।
बर्नी समिति ने इस मामले की कई वर्ष तक जांच की और कहा कि ये सम्पत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपी जा सकती हैं। इसके बाद दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इन सम्पत्तियों को सौंपने की मांग की। फिर केन्द्र सरकार के सम्बंधित मंत्रालय ने 27 मार्च,1984 को एक आदेश (जे-20011/4/74-एलआईटी) पारित किया कि ये सम्पत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपी जाए। इस आदेश में यह भी कहा गया कि इनके बदले दिल्ली वक्फ बोर्ड सरकार को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 1 रु. देगा। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने मात्र एक रु. सलाना पर अरबों की सम्पत्ति दिल्ली वक्फ बोर्ड को दे दी। इसका विरोध होना स्वाभाविक था। विश्व हिन्दू परिषद् और कई सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों ने इसका विरोध किया। इसके बाद इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद् ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका(़1512/1984) दायर की और न्यायालय से सरकार के इस आदेश को निरस्त करने की मांग की। वर्षों तक यह मुकदमा चला। कई बार इसकी सुनवाई हुई। 26 अगस्त,2010 को केन्द्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को बताया कि चार सप्ताह में न्यायालय को इस सन्दर्भ की नीति बताई जाएगी,किन्तु सरकार की ओर से जनवरी,2011 तक कोई नीति नहीं बताई गई। अन्त में 12 जनवरी,2011 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस पर निर्णय देते हुए सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया। तभी से यह मामला ठण्डा पड़ा हुआ था।
दुर्भाग्यवश 2012 में इस मामले को फिर से सरकार ने ही बाहर किया। उस समय वर्त्तमान विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री थे। उनकी अध्यक्षता में 14 सितम्बर, 2012 को केन्द्रीय वक्फ परिषद् की साठवीं बैठक हुई। इस बैठक में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया था। बैठक को सम्बोधित करते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा था,ह्य123 वक्फ सम्पत्तियों का मामला जल्दी ही हल कर लिया जाएगा। इस मामले को लेकर मैं खुद सभी सम्बंधित मंत्रालयों से बात करूंगा और अन्त में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की मंजूरी भी ली जाएगी। यह मसला कानूनी पेचिदगियों में फंसा है,इसलिए एटर्नी जनरल से भी राय मांगी गई है।ह्ण
अब जब लोकसभा चुनाव सिर पर खड़ा है तो केन्द्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने मुस्लिम वोट के लिए इस मुद्दे को फिर से बाहर कर दिया है। उल्लेखनीय है कि जब से के.आर. रहमान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बने हैं तब से इस तरह के मामले जोर पकड़ने लगे हैं। गड़े हुए मामलों को उठाकर इस सरकार के मंत्री खुलेआम संसद द्वारा पारित उस कानून का उल्ल्ंाघन कर रहे हैं,जिसमें कहा गया है कि श्रीराम जन्मभूमि को छोड़कर 1947 से पूर्व धार्मिक स्थलों की जो स्थितियां थीं उन्हें बनाए रखा जाए। इसके बावजूद अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इन 123 सम्पत्तियों क ा मामला उठाया।
उच्च न्यायालय में विश्व हिन्दू परिषद् की ओर इस मुकदमे को लड़ने वाले अधिवक्ता श्री आलोक कुमार ने पाञ्चजन्य से कहा कि यदि केन्द्र सरकार 123 सम्पत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपेगी तो इसका विरोध न्यायालय से लेकर संसद और सड़क तक किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बर्नी समिति ने अपनी रपट में लिखा है कि समिति ने उन जगहों पर जाकर उनकी जांच की। यह विरोधाभासी बात है। जब उप राष्ट्रपति आवास परिसर के स्थान पर किसी का जाना मना है तो बर्नी समिति वहां कैसे गई? श्री कुमार ने यह भी कहा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए कोई सरकार अधिग्रहित की गई किसी भूमि को किसी सम्प्रदाय विशेष को नहीं लौटा सकती है। उस समय केवल मुस्लिमों की ही नहीं,बल्कि अन्य धर्म और पंथों के लोगों की भी जमीन ली गई थी। उनकी जमीन लौटाने की बात क्यों नहीं हो रही है? श्री कुमार ने यह भी बताया कि इन सम्पत्तियों पर बनीं मस्जिदों में नमाज पढ़ना मना है। इन सम्पत्तियों पर दिल्ली वक्फ बोर्ड अपना बोर्ड भी नहीं लगा सकता है। किन्तु इस संवाददाता ने देखा कि कई मस्जिदों के बाहर दिल्ली वक्फ बोर्ड के बोर्ड लगे हुए हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है ह्यये सम्पत्तियां नई दिल्ली क्षेत्र की प्रमुख सम्पत्तियां हैं। इनके चारों ओर बस्तियां बस बस गई हैं। कहीं पार्क बने हुए हैं,तो कहीं सामुदायिक केन्द्र। इन सब सम्पत्तियों को वक्फ को देने से इन सब क्षेत्रों में अशांति फैल जाएगी और साम्प्रदायिक विद्वेष बढ़ जाएगा। लोधी रोड क्षेत्र में जो झगड़े पिछले कुछ वर्षों से हो रहे हैं वैसे ही झगड़े सभी 123 क्षेत्रों में बढ़ जाएंगे। सरकार चुनावी स्वार्थों के लिए इस प्रकार के गैरकानूनी और साम्प्रदायिक विद्वेष फैलाने वाली योजना से बाज आए।ह्ण
वहीं दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और कांग्रेसी विधायक चौधरी मतीन अहमद ने पाञ्चजन्य से बातचीत करते हुए कहा, ह्यइन सम्पत्तियों को अंग्रेजों ने मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों से नाराज होकर अपने कब्जे में ले लिया था। इन्दिरा गांधी के समय इन्हें वक्फ बोर्ड को लौटाने की बात चली तो कुछ लोग उच्च न्यायालय चले गए और यह मामला अब तक लटका हुआ है। होना तो यह चाहिए था कि आजादी मिलते ही ये सम्पत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड को वापस कर दी जातीं। हालांकि अभी ये सम्पत्तियां वक्फ बोर्ड के कब्जे में हैं। पर सरकारी कागजों में यह कब्जा नहीं है।ह्ण
इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद् के मीडिया प्रभारी श्री विनोद बंसल ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर विहिप जल्दी ही राष्ट्रपति और दिल्ली के उपराज्यपाल से भेंट करेगी और उनको ज्ञापन सौंपेगी।
ये हैं 123 सम्पत्तियां, जिन्हें केन्द्र सरकार दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपना चाहती है
1. अब्दुल नबी मस्जिद, मथुरा रोड
2. बाबरशाह मस्जिद, तिलक ब्रिज
3. बाबर रोड मस्जिद, रेलवे लाइन, तिलक ब्रिज
4. निजामगली हाउस मस्जिद, हैदराबाद हाउस
5. अब्दुल हक मस्जिद, कर्जन रोड
6. कब्रिस्तान, मथुरा रोड
7. मस्जिद एवं दरगाह,
फिरोजशाह कोटला
8. कब्रिस्तान कुदुसिया, मथुरा रोड
9. दरगाह हजरत कुतुब,
विकास मीनार
10. मिंटो ब्रिज मस्जिद, कनाट पैलेस
11. मस्जिद, इर्विन अस्पताल
12. पुका मजार, जे.पी.अस्पताल के पास
13. घोसाई मस्जिद, मथुरा रोड
14. शाह सरदुल्ला का मकबरा, प्लाजा सिनेमा, कनाट प्लेस
15. मीरदर्द रोड मस्जिद, इर्विन अस्पताल
16. दरगाह शेख कलीमुल्ला, लालकिला
17. दरगाह सदाउद्दीन, लालकिला
18. मौलाना मस्जिद, मौलाना आजाद मेडिकल कालेज
19. मस्जिद एवं कब्रिस्तान
तुर्कमान गेट
20. मीरदर्द मस्जिद, भैरों रोड
21. दरगाह पीर बहरे साहब, जामा मस्जिद के सामने
22. कब्रिस्तान लुडलो कैसल, आईएसबीटी
23. रासलो वाली मस्जिद,
सिविल लाइन
24. मस्जिद करनाल रोड
25. दरगाह शाह बड़े, सिविल लाइन
26. पहेरी वाली मस्जिद, माल रोड
27. मस्जिद तिबिया कालेज,
करोल बाग
28. कब्रिस्तान व मस्जिद,
चौंसठ खंभा
29. कब्रिस्तान व मजार सईद लाला उद्दीन, कर्जन रोड
30. मस्जिद, मानसिंह रोड
31. मस्जिद, काका नगर
32. मस्जिद, मोती लाल नेहरू मार्ग
33. मस्जिद एवं मजार बीबी फातिमा, काका नगर
34. बाबरी मस्जिद, पंडारा रोड
35. मस्जिद, लाजपत नगर
36. मस्जिद व मकबरा, सेवा नगर
37. मस्जिद एवं दरगाह फतेहशाह अब्दुल कादिर, निजामुद्दीन
38. अलीगंज मस्जिद, फिरोजशाह
39 कब्रिस्तान और दरगाह निजामुद्दीन, लोधी रोड
40. मुस्लिम कब्रिस्तान, लिंक रोड
41. मस्जिद चक्करवाली, बस्ती निजामुद्दीन
42. मुस्लिम कब्रिस्तान, जंगपुरा
43. मुस्लिम कब्रिस्तान, गांव अलीगंज
44. नूर मस्जिद, इर्विन रोड
45. वेस्टर्न कोर्ट मस्जिद, जनपथ
46. धोबई मस्जिद, लिंक रोड
47. मजार खुद्दनुमा, न्यू लिंक रोड
48. मस्जिद, मुनीरका गांव
49. मस्जिद, अशोक रोड
50. मस्जिद, चित्रगुप्त रोड
51. सुनहरी मस्जिद, समीप
उद्योग भवन
52. कलाली बाग मस्जिद, रामकृष्ण मार्ग
53. दरगाह एवं मस्जिद अब्दुल सलीम, लेडी हार्डिंग अस्पताल के सामने
54. इमामिया हाल, पंचकुइयां रोड
55. मस्जिद शांति निवास, कनाट प्लेस
56. कब्रिस्तान, टोडरमल लेन
57. मोहल्ला कब्रिस्तान, तुर्कमान गेट
58. मस्जिद हाजी इस्माइल
59. कब्रिस्तान वजीराबाद
पुल के पास
60. दरगाह हारोभारे, जामा मस्जिद के सामने
61. मस्जिद शोरेवाली, दरियागंज
62. मदरसा इस्लामिया, सदरबाजार उत्तर
63. मस्जिद तकियावाली, सदरबाजार दक्षिण
64. मस्जिद कप्तानवाली, फैज रोड, करोल बाग
65. मस्जिद आमवाली, बीबी रोड
66. बाड़ा हिन्दुराव, शीद्दीपुरा
67. दरगाह मामू भांजा, झंडेवाला
68. मजार भोलूशाह, सदरबाजार उत्तर
69. मस्जिद बेलनवाली, दरियागंज, उत्तर
70. कदम शरीफ बगीची, अलादुद्दीन
71. लाल मस्जिद, लाहौरी गेट
72. दरगाह व कब्रिस्तान हिंद पार्क, दरियागंज
73. मकबरा तुर्कमान गेट
74. मस्जिद खजूर वाली, खजूर रोड, करोलबाग
75. चूजा मेम,सदरबाजार, उत्तर
76. नाईवाला स्टेट, खसरा नं.934 करोल बाग
77. कुदमशरीफ, खसरा नं.94
78. नाईवाला स्टेट, खसरा नं. 1319/208/1 करोल बाग
79. नाईवाला स्टेट, खसरा नं. 277-278 करोल बाग
80. कुतुब रोड, हाउस नं. 3507 और 3531 से 3534 तक
81. जामा मस्जिद,
संसद भवन के पास
82. दरगाह हजरत ख्वाजा बकीउल्ला, कुतुब रोड
83. मस्जिद व कब्रिस्तान, शीदीपुरा
84. खसरा नं. 442/372 सदर बाजार उत्तर
85. सच्चों का घर, दरियागंज उत्तर
86. हरि मस्जिद, पहाड़गंज
87. मस्जिद ख्वाजा खुमारी, पहाड़गंज
88. खसरा नं. 114/34, 113/34, 116/34 शीदीपुरा
89. मस्जिद दर्जियां, शीदीपुरा
90. छत्ता मस्जिद, दरियागंज उत्तर
91. ईमामबाड़ा, दरियागंज उत्तर
92. मस्जिद शेरखान, शीदीपुरा
93. मस्जिद इमलीवाली, सदरबाजार उत्तर
94. बड़ी मकतब, सदरबाजार उत्तर
95. कदम शरीफ, खसरा नं. 81
96. खसरा नं. 153/56 वार्ड नं. 15, दरियागंज उत्तर
97. मस्जिद संगतराशा, पहाड़गंज
98. मस्जिद एवं दरगाह, पहाड़गंज
99. कदम शरीफ, फूलोवाली
100. कब्रिस्तान चैमलीन,खसरा नं. 201/169/36
101. मस्जिद बंदरिया वाली, खसरा नं. 165 कदमतस्तान शरीफ
102. सेनली मस्जिद और दरगाह, सदर बाजार
103. मस्जिद रुईन, रोड नं. 6515 वार्ड 14
104. मकान नं. 3450 जंगपुरा
105. खसरा नं. 607 बस्ती निजामुद्दीन
106. मस्जिद भीमकुराना, झील
107. खसरा नं. 1203/1140 नाईवाला, करोलबाग
108. वार्ड नं. 14 बाड़ा हिन्दुराव
109. दरगाह शाह अब्दुल हुसैन, दरियागंज दक्षिण
़़110. दरगाह अब्दुल खादूश, वार्ड नं. 14 दरियागंज
111. कर्बला अलीगढ़, अलीगंज
112. मस्जिद लेन खसरा नं. 187 जंगपुरा
113. खसरा नं. 185 एवं 187 चौकीदार वाली, सदरबाजार
114. मस्जिद जुंगल वाली,
बाड़ा हिन्दूराव
115. क्यू शरीफ, खसरा नं. 20 किला के दक्षिण
116. क्यू शरीफ, खसरा नं. 73 किला के दक्षिण
117. क्यू शरीफ, तीन बुर्ज
खसरा नं. 73
118. क्यू शरीफ मस्जिद बाबर, खसरा नं. 146/2
119. खसरा नं. 91 पान मंडी, सदर बाजार दक्षिण
120. खसरा नं. 295/80-81 और 296/82-83 जीबी रोड
121. खसरा नं. 1026 नाई वाला, करोल बाग
122. खसरा नं. 154 क्यू शरीफ
123. मस्जिद व मजार बीबी फातिमा, काका नगर
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