श्रद्धाञ्जलि
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गत 15 जनवरी को मुम्बई के एक अस्पताल में वंचित वर्ग के विख्यात साहित्यकार श्री नामदेव ढसाल का निधन हो गया। वे 64 वर्ष के थे और काफी समय से आंत के कैंसर से पीडि़त थे। दलित पैंथर्स पार्टी के संस्थापक श्री ढसाल को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें सोवियत लैंड पुरस्कार और महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था। ढसाल का पहला काव्य ह्यगोलपीठाह्ण बहुत ही चर्चित रहा। उनके दो उपन्यास भी हैं-ह्यआंधले शतकह्ण और ह्यआंबेडकरी चालवालह्ण। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी स्व. ढसाल को भावपूर्ण श्रद्धाञ्जलि दी। संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने उन्हें श्रद्धाञ्जलि देते हुए कहा कि श्री ढसाल के निधन से सभी स्वयंसेवकों को बड़ा दु:ख हुआ है। नागपुर से जारी एक पत्र में उन्होंने श्री ढसाल की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा की और उन्हें वंचित वगोंर् के बीच काम करने वाला एक अच्छा कार्यकर्ता बताया। उन्होंने कहा कि वे हर किसी के साथ तुरंत घुल-मिल जाते थे और विभिन्न वगोंर् के बीच सेतु का काम करते थे।
सरदार उजागर सिंह का निधन
्रगत 14 जनवरी को विश्व हिंदू परिषद, दिल्ली के उपाध्यक्ष व प्रसिद्घ समाजसेवी सरदार उजागर सिंह का हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। वे 65 वर्ष के थे।
सरदार उजागर सिंह ने दिल्ली के अपने पीतमपुरा स्थित आवास में अंतिम सांस ली। श्री उजागर सिंह लगभग आठ वषोंर् से विहिप के प्रदेश उपाध्यक्ष थे। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय सिख संगत, शिरोमणि अकाली दल व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सहित अनेक धार्मिक व सामाजिक संगठनों में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी थीं। परिवार में उनकी दो बेटियां और दो बेटे हैं।
उनके अन्तिम संस्कार में भाव-भीनी श्रद्घाञ्जलि देने वालों में विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंहल, केन्द्रीय मंत्री श्री महावीर प्रसाद, प्रान्त अध्यक्ष श्री स्वदेश पाल गुप्ता, महामंत्री श्री रामकृष्ण श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष श्री सत्येन्द्र मोहन, श्री अशोक कुमार सहित अनेक संगठनों के पदाधिकारी व समाजसेवी उपस्थित थे।
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