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ईरान और अमरीका के बीच दूरियां घटने लगीं

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Jan 18, 2014, 12:00 am IST
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इस्रायल के पूर्व प्रधानमंत्री एरियल शेरॉन का निधन

दिंनाक: 18 Jan 2014 14:39:21

इस्रायल के पूर्व प्रधानमंत्री एरियल शेरॉन (85) का 11 जनवरी को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। शेरॉन को 2006 में दिल का दौरा पड़ा था और वह तभी से कोमा में चल रहे थे। पिछले सप्ताह उनकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया था जिसके बाद से उनकी हालत बिगड़ गई थी। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ 13 जनवरी को उनके पैतृक स्थान नेगेव में किया गया। उसी स्थान पर उनकी पत्नी लिली का भी वर्ष 2000 में अंतिम संस्कार किया गया था। शेरॉन वर्ष 2001 में इस्रायल के प्रधानमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में सितम्बर, 2003 में उनके निमंत्रण पर वह भारत आए थे। इन्हें देशवासी ह्यमिस्टर सिक्योरिटीह्ण और अरब जगत ह्यसाबरा एवं शतीला का कसाईह्ण के नाम से पुकारता था। दोस्तों में एरिक नाम से पहचाने जाने वाले शेरॉन को देश में एक जुझारू राजनीतिज्ञ के तौर पर पहचाना जाता था। उनका पूरा जीवन सैन्य अभियानों और विवादों में बीत गया। इस्रायल के गठन के बाद हुई पहली लड़ाई में उन्होंने विरोधी सेनाओं को पीछे हटने के लिए विवश कर दिया था। इसलिए देश के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन ने उन्हें ह्यकवचह्ण कहकर सम्मानित किया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शेरॉन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को प्रोत्साहन देने में उनके योगदान को लंबे समय तक याद किया जाएगा। उन्होंने इस्रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को पत्र में लिखा कि प्रधानमंत्री शेरॉन ने क्षेत्र में शांति लाने के लिए साहसिक कदम उठाए थे। शोक की इस घड़ी में भारत की ओर से हार्दिक संवेदना और सहानुभूति स्वीकार करें। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी शेरॉन के निधन पर शोक प्रकट किया। अपने संदेश में ओबामा ने कहा कि शेरॉन बडे़ नेता थे, जिन्होंने अपना जीवन इस्रायल के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा कि शेरॉन की अंतिम विदाई के क्षणों में अमरीका-इस्रायल की जनता के साथ है।

अहमदेनिजाद के समय तक ईरान अमरीका की एक नहीं सुनता था। निजाद के सत्ता से बाहर जाने के बाद वही  ईरान अब अमरीका से संधि भी करने लगा है। अहमदेनिजाद अपने परमाणु कार्यकमोंर् को चलाने पर अड़े रहे और अमरीका को समय-समय पर धमकाते भी रहे। पर अब ईरान में खमीनी के चहीते हसन रूहानी  सरकार चला रहे हैं। यह बात जगजाहिर है कि खमीनी अमरीकी समर्थक हैं। अब ईरानी विदेश नीति में भी खमीनी की छाप दिखने लगी है। यही वजह है कि पिछले दिनों ईरान और अमरीका के बीच एक संधि हुई है। हालांकि व्हाइट हाउस ने इस संधि से इनकार किया है, लेकिन खुद कुछ अमरीकी सांसदों ने इस तरह की संधि होने की बात कही है। इस संधि के अनुसार ईरान को अपने सभी परमाणु संस्थान खुले रखने, यूरेनियम का संवर्धन जारी रखने, परमाणु शोध करने आदि की अनुमति दी जा सकती है। इसके लिए अमरीका को किस तरह के लाभ होंगे यह नहीं बताया गया।

अफगानिस्तान को लेकर दुनिया चिन्तित

अफगानिस्तान में तैनात अमरीकी सैनिक इस वर्ष के अंत तक अफगानिस्तान छोड़ देंगे। इसके बाद अफगानिस्तान को अल कायदा और तालिबान के आतंकवादियों से कौन बचाएगा,यह चिंता की बात है। यह भी चिंता है कि यदि अफगानिस्तान में अल कायदा और तालिबान के आतंकवादी फिर से मजबूत हो गए तो  एशियाई देशों के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में भी आतंकवादी घटनाओं में वृद्घि हो सकती है। इन्हीं कुछ चिन्ताओं को लेकर पिछले दिनों बीजिंग में चीन,अफगानिस्तान और भारत ने त्रिपक्षीय  बैठक की है। इसमें भारत ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के बदले हालात में भी अफगानिस्तान को जरूरी मदद देता रहेगा। उल्लेखनीय है कि इस समय अफगानिस्तान की मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने में  भारत अहम भूमिका निभा रहा है। सड़क, बिजली, शिक्षा आदि क्षेत्रों में भारत अफगानिस्तान की मदद कर रहा है। उधर यह भी खबर है कि अफगानिस्तान में अफीम की खेती दोगुनी हो चुकी है। आंकड़ों के अनुसार 2012 में 3700 टन अफीम का उत्पादन हुआ था,जो 2013 में बढ़कर 5500 टन हो गया है।

इस्रायल के पूर्व प्रधानमंत्री एरियल शेरॉन का निधन

इस्रायल के पूर्व प्रधानमंत्री एरियल शेरॉन (85) का 11 जनवरी को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। शेरॉन को 2006 में दिल का दौरा पड़ा था और वह तभी से कोमा में चल रहे थे। पिछले सप्ताह उनकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया था जिसके बाद से उनकी हालत बिगड़ गई थी। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ 13 जनवरी को उनके पैतृक स्थान नेगेव में किया गया। उसी स्थान पर उनकी पत्नी लिली का भी वर्ष 2000 में अंतिम संस्कार किया गया था। शेरॉन वर्ष 2001 में इस्रायल के प्रधानमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में सितम्बर, 2003 में उनके निमंत्रण पर वह भारत आए थे। इन्हें देशवासी ह्यमिस्टर सिक्योरिटीह्ण और अरब जगत ह्यसाबरा एवं शतीला का कसाईह्ण के नाम से पुकारता था। दोस्तों में एरिक नाम से पहचाने जाने वाले शेरॉन को देश में एक जुझारू राजनीतिज्ञ के तौर पर पहचाना जाता था। उनका पूरा जीवन सैन्य अभियानों और विवादों में बीत गया। इस्रायल के गठन के बाद हुई पहली लड़ाई में उन्होंने विरोधी सेनाओं को पीछे हटने के लिए विवश कर दिया था। इसलिए देश के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन ने उन्हें ह्यकवचह्ण कहकर सम्मानित किया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शेरॉन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को प्रोत्साहन देने में उनके योगदान को लंबे समय तक याद किया जाएगा। उन्होंने इस्रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को पत्र में लिखा कि प्रधानमंत्री शेरॉन ने क्षेत्र में शांति लाने के लिए साहसिक कदम उठाए थे। शोक की इस घड़ी में भारत की ओर से हार्दिक संवेदना और सहानुभूति स्वीकार करें। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी शेरॉन के निधन पर शोक प्रकट किया। अपने संदेश में ओबामा ने कहा कि शेरॉन बडे़ नेता थे, जिन्होंने अपना जीवन इस्रायल के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा कि शेरॉन की अंतिम विदाई के क्षणों में अमरीका-इस्रायल की जनता के साथ है।  प्रस्तुति: अरुण कुमार सिंह

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