सिलीगुड़ी में दिखी वनवासी संस्कृति की झलक
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गत दिनों सिलीगुड़ी में वनवासी सम्मेलन आयोजित हुआ। वनवासी कल्याण आश्रम के संस्थापक स्व. बालासाहब देशपाण्डे की जन्मशती के अवसर पर आयोजित इस सम्मेलन के मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्व प्रवक्ता श्री राम माधव। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए श्री राम माधव ने कहा कि देश के लगभग 5 करोड़ वनवासी भारत की आन बान और शान हैं। इस समाज ने देश को आजादी दिलाने में और उसके बाद देश को प्रगति के पथ पर बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभाई है। इस समाज ने कई ऐसे योद्धा दिए हैं जिनका नाम सुनकर आज भी अंग्रेज डर जाते हैं। उनकी वीर गाथा का बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता है,लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस की सरकारों ने वनवासियों का इस्तेमाल केवल वोट बैंक के लिए किया। यही कारण है कि आज यह समाज शिक्षा,स्वास्थ्य और स्वाभिमान से वंचित हो गया है। इनके भोलेपन का लाभ मतान्तरण में लगे ईसाई उठा रहे हैं। उन्हें प्रलोभन देकर मतान्तरित कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि बंगाल सरकार उड़ीसा और मध्य प्रदेश सरकार की तरह मतान्तरण पर रोक लगाने वाला कानून लाए। ऐसा करने से वनवासियों को लाभ मिलेगा और उनका कोई मतान्तरण भी नहीं कर सकेगा। सम्मेलन के मुख्य अतिथि पद्मश्री सोनाम छिरिंग लेप्चा ने कहा कि लेप्चा संस्कृति को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है,जबकि यह संस्कृति बहुत ही पुरानी है। सम्मेलन में लगभग 5000 से अधिक वनवासी उपस्थित थे। सम्मेलन में वनवासियों ने अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों को तालियां बजानके लिए मजबूर कर दिया। सम्मेलन से पूर्व वनवासियों ने नगर में शोभा यात्रा भी निकाली जिसका भव्य स्वागत हुआ।
गत दिनों मण्डोली,दिल्ली में राष्ट्रीय सिख संगत के तत्वावधान में सांझीवालता कौमी अधिवेशन आयोजित हुआ। इसी दौरान संगत की आम सभा बैठक भी हुई। इसमें जयपुर निवासी सरदार गुुरु चरण सिंह गिल को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय सिख संगत क ा अध्यक्ष बनाया गया।
इस अवसर पर शिरोमणि समिति के सभी अधिकारी और सदस्य एवं सभी प्रदेशों के अधिकारी उपस्थित थे। चुनाव अधिकारी थे संगत के राष्ट्रीय संयोजक श्री रमेश प्रकाश। सरदार चिरंजीव सिंह ने अपनी प्रस्तावना में संगत में सरदार गुरु चरण सिंह गिल के योगदान की बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने ही अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम को प्रस्तावित किया,जिसका समर्थन वहां उपस्थित सभी लोगों ने किया।
शाखा पर उन्मादियों का हमला
गत दिनों पूर्वी दिल्ली के गीता कालोनी स्थित रानी गार्डन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा पर मजहबी उन्मादियों ने सरेआम हमला किया। इन तत्वों ने स्वयंसेवकों के साथ मारपीट की और पवित्र भगवा ध्वज को फाड़ दिया। जब लोगों ने पुलिस से शिकायत की तो पुलिस वालों ने उल्टे हिन्दुओं को ही पीटा।
घटनाक्रम के अनुसार, पूर्वी दिल्ली के अम्बेडकर पार्क स्थित रानी गार्डन में पिछले अनेक वषोंर् से लग रही बाल शाखा पर मजहबी उन्मादियों ने हमला बोल दिया जिसके चलते न सिर्फ वहां खेल रहे स्वयंसेवकों को चोटें पहुंचीं बल्कि हिन्दू समाज के परम पूज्य भगवा ध्वज को भी हमलावरों ने फाड़ डाला। इतना ही नहीं जब स्वयंसेवकों ने इसका विरोध किया तो उपद्रवियों ने पार्क में और अधिक संख्या में पहुंच स्वयंसेवकों पर फिर हमला बोला। हैरानी की बात तो यह है कि घटना की शिकायत दिल्ली पुलिस को 100 नम्बर पर की तो गई किन्तु हमलावरों को पकड़ने की बजाय पुलिस पीडि़त बाल स्वयंसेवकों पर ही टूट पड़ी और उनको बुरी तरह मारा। इसका विरोध स्थानीय हिन्दू समाज ने देर रात्रि गीता कालोनी थाने पर प्रदर्शन कर प्रकट किया। विहिप का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में मजहबी उन्मादियोंें के हौसले बहुत बढ़ गए हैं जिसके कारण जगह-जगह हिन्दू समाज पर हमले हो रहे हैं। संघ की शाखा पर हमला और भगवा ध्वज का अपमान अक्षम्य अपराध है जिसे सरकार को गंभीरता से लेना होगा। प्रतिनिधि
मेवात बना जिहादियों का अड्डा
हरियाणा क ा मेवात जिला जिहादियों का अड्डा बनता जा रहा है। यह बात अब सुरक्षा एजेन्सियां भी मानने लगी हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों मेवात से पकड़े गए लश्कर के दो आतंकियों ने पुलिस को बताया है कि लश्करे तोयबा मुजफ्फरनगर और गोपालगढ़ (राजस्थान) में हुए दंगों का बदला लेने के लिए भारत में बम विस्फोट करने की तैयारी में जुटा है। उन्हीं आतंकियों ने यह भी बताया है कि लश्कर दंगा पीडि़त युवकों को आतंकी बनाने में लगा है। मालूम हो कि लश्कर की गतिविधियां मेवात में काफी बढ़ गई हैं। पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मेवात से राशिद और शाहिद को पकड़ा है। ये दोनों नूंह के पास के दो गांवों में रहते थे और मस्जिद में इमाम का काम करते थे। मेवात में मौजूद हमारे सूत्रों के अनुसार इन दिनों वहां बड़ी संख्या में अजनबी किस्म के लोग घूम रहे हैं। तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों की भी गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं। यही लोग स्थानीय मुस्लिम युवकों को बहला-फुसलाकर आतंकी संगठनों से जोड़ रहे हैं।
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