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चेन्नै के रामनाथपुरम में 3 जनवरी को स्वामी विवेकानन्द जी की प्रतिमा को कुछ मजहबी उन्मादी तत्वों ने नुकसान पहंुचा दिया। उपद्रवी तत्वों के इस दुस्साहसिक कृत्य से हिन्दुओं की भावनाएं आहत हुईं हैं, स्थानीय हिन्दू काफी उत्तेजित हैं। प्रशासन की उदासीनता के चलते ऐसा हुआ है। शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण देने के बाद स्वामी जी सबसे पहले भारत लौटने पर रामनाथपुरम ही पहंुचे थे।
उनके भारत लौटने पर इस प्रतिमा को शाही परिवार से संबंध रखने वाले रामनदु के राजा ने 25 जनवरी, 1897 में बनवाया था। स्वामी जी रामेश्वरम के मार्ग से होकर स्वदेश लौटे थे और यहां पर एक पखवाड़े तक राजा सेतुपति के मेहमान बनकर रहे थे। इस प्रतिमा का परिवार के मुखिया एस. रामनाथ के नेतृत्व में 5 नवम्बर, 1968 को नवीनीकरण भी कराया गया था। यह स्मारक न केवल रामनाथपुरम के लोगों के लिए प्रभावशाली ही था, बल्कि देश की संस्कृति का धरोहर भी रही है। यह स्वामी जी के स्वाभिमान और सम्मान का प्रतीक भी है। यद्यपि इस स्मारक को पहले भी कई बार क्षति पहंुचाई जा चुकी है। इस संबंध में हिन्दू संगठन अनेक बार संबंधित एजेंसियों को शिकायत के माध्यम से अवगत करा चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने कभी कोई गंभीरता नहीं दिखायी। चर्चा है कि जानबूझकर कुछ मुस्लिम तत्व स्मारक को हटवाकर वहां कब्रिस्तान बनवाना चाहते हैं। प्रतिनिधि
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