रायपुर का अप्रतिम सौंदर्य और स्वामी विवेकानंद
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

रायपुर का अप्रतिम सौंदर्य और स्वामी विवेकानंद

by
Jan 11, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Jan 2014 14:16:57

सामान्यत: लोगों को लगता है कि स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन का अधिक समय केवल कलकत्ता में ही गुजारा। लेकिन ऐसा नहीं है। देश को जानना चाहिए कि स्वामी जी के दो महत्वपूर्ण वर्ष छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गुजरे थे। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि अमरीका के बाद स्वामी जी का इतना अधिक समय अगर कहीं गुजरा तो वह रायपुर हो सकता है। यह समय महत्वपूर्ण इस मायने में है क्योंकि यहां उन्हें अलौकिक भावानुभूति हुई थी। सन् 1877 में जब नरेन्द्रनाथ के रूप में वे रायपुर आये थे तब उनकी उम्र मात्र 14 वर्ष की थी और वे मेट्रोपोलिटन विद्यालय की तीसरी श्रेणी (आज की आठवीं कक्षा के समकक्ष) में पढ़ रहे थे।  उनके पिताजी  श्री विश्वनाथ दत्ता अपने कुछ कार्य से  रायपुर में ही रह रहे थे। परिवार में साथ रहने की इच्छा से श्री विश्वनाथ दत्ता ने अपने परिवार के  सभी सदस्यों को रायपुर बुलवा लिया। नरेन्द्रनाथ अपने छोटे भाई महेन्द्र दत्ता, बहन जोगेन्द्रबाला और मां भुवनेश्वरी देवी के साथ कलकत्ता से रायपुर आये। उस समय कलकत्ता से सीधी रेल लाईन नहीं होती थी। रेल गाड़ी कलकत्ता से इलाहाबाद, जबलपुर और नागपुर होकर मुम्बई जाती थी। इसी ट्रेन से नरेन्द्रनाथ जबलपुर आये और बैल गाड़ी से अमरकंटक होकर रायपुर पहुंचे थे। इस यात्रा में स्वामी जी को 15 दिनों का समय लगा था। कुछ जीवनीकारों ने यात्रा के विषय में उनके भाव इस प्रकार लिखे हैं-'जिस रास्ते पर मैं जा रहा था उस पथ की शोभा अत्यंत मनोरम थी। रास्ते के दोनों किनारों पर पत्तों और फूलों से लदे हरे वन के वृक्ष थे। वन स्थल का सौंदर्य अपूर्र्व था। बिना किसी लोभ के जिन्होंने पृथ्वी को इस अनुपम वेशभूषा के द्वारा सजा रखा था, उनकी असीम शक्ति और अनंत प्रेम का पहले पहल साक्षात् परिचय प्राप्त कर मेरा हृदय मुग्ध हो गया था।'
आगे और भी बताते हैं कि वन के बीच जाते हुए उस समय जो कुछ भी मैंने देखा और अनुभव किया, वह स्मृति पटल पर सदैव के लिए अंकित हो गया। विशेष रूप से एक दिन की बात, उस दिन हम उन्नत शिखर विंध्याचल के नीचे से गुजर रहे थे। मार्ग के दोनों ओर विशाल पहाड़ की चोटियां आकाश को चूमती हुई खड़ी थीं। फल और फूल के भार से लदी हुई तरह-तरह की वृक्ष लताएं, पर्वत को अपूर्व शोभा प्रदान कर रही थीं। अपने मधुर कलरव से समस्त दिशाओं को गुंजायमान करते हुए रंग बिरंगे पक्षी घूम रहे थे या फिर कभी-कभी आहार की खोज में जमीन पर उतर रहे थे। इन दृश्यों को देखते हुए मैं अपने मन में अपूर्व शांति का अनुभव कर रहा था।ह्ण मंद-मंद गति से चलती हुई बैल गाड़ी एक ऐसे स्थान पर आ पहुंची, जहां पहाड़ की दो चोटियां मानो प्रेमवश आकृष्ट होकर आपस में स्पर्श कर रही हों।
स्वामी जी सहित पूरा परिवार रायपुर पहुंच गया था। रायपुर में उन दिनों कोई अच्छा स्कूल न होंने के कारण वह अपने पिता जी से ही विद्या अध्ययन किया करते थे। अनेक विषयों पर श्री विश्वनाथ दत्ता  पुत्र से चर्चा किया करते थे, यहां तक कि पुत्र के साथ तर्क- वितर्क भी करते  थे और हार भी मानते थे। वे हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया करते थे। उन दिनों उनके घर में अनेक विद्वानों का आगमन हुआ करता था और विभिन्न सांस्कृतिक तथा सामाजिक विषयों पर चर्चाएं होती रहती थी। नरेन्द्रनाथ बड़े ध्यान से उनकी बातों को सुनते थे और अवसर पाकर अपना विचार भी प्रकट  करते थे। उनकी बुद्घिमत्ता और ज्ञान से सभी अचम्भित हो उठते थे। इसलिए कोई भी उन्हें छोटा समझने की भूल नहीं करता था। एक दिन ऐसे ही चर्चा के दौरान नरेन्द्र ने बंगला भाषा के एक प्रसिद्घ लेखक की रचना का उदाहरण देकर सबको इतना आश्चर्यचकित कर दिया कि सभी उनकी प्रशंसा करते हुए बोले कि भविष्य में अवश्य ही किसी न किसी दिन तुम्हारा नाम विश्वपटल पर होगा।
नरेन्द्रनाथ बालक होकर भी अपना आत्म सम्मान करना जानते थे। अगर कोई उनकी आयु को देखकर उनकी अवहेलना करना चाहता तो वे इसे सहन नहीं करते थे। बुद्घि की दृष्टि से वे स्वयं को उससे छोटा या बड़ा समझने का कोई कारण नहीं खोज पाते थे और दूसरों को इस प्रकार सोचने का कोई अवसर देना नहीं चाहते थे। नरेन्द्र में कला के प्रति स्वाभाविक रुचि थी इसलिए श्री विश्वनाथ दत्ता ने घर में ही संगीत के लिए एक अच्छा वातावरण बना दिया था ताकि नरेन्द्र को संगीत सीखने में कोई भी कठिनाई न हो। अच्छा माहौल मिलने की वजह से स्वामी जी अपने पिता की सहायता से इस कला में भी निपुण हो गए थे। रायपुर में रहकर वे शतरंज भी खेलना सीख गए थे और साथ ही संगीत में भी पारंगत हो गए थे। वे एक अच्छे गायक भी थे। उनके व्यक्त्वि का यह पक्ष भी रायपुर में विकसित हुआ। दो वर्ष रायपुर में रहकर श्री विश्वनाथ दत्ता का परिवार कलकत्ता वापस लौट गया था।         पाञ्चजन्य ब्यूरो
स्वामी जी के बचपन की याद दिलाता है बूढ़ा तालाब
स्वामी विवेकानंद सरोवर रायपुर शहर के बीचों-बीच स्थित है, जिसे बूढ़ा तालाब के नाम से भी जाना जाता है। इस सरोवर का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है। इतिहास के अनुसार तालाब को 600 वर्ष पहले कल्चुरी वंश के राजाओं द्वारा खुदवाया गया था। यह पहले 150 एकड़ में था, जो अब मात्र लगभग 60 एकड़ में ही सीमित हो गया है। स्वामी विवेकानंद जी जब रायपुर में रहे थे तो वे इस तालाब में तैराकी व स्नान करने जाया करते थे। इसके कारण ही इस तालाब को विवेकानंद सरोवर का नाम दिया गया है। सरोवर के बीच में विवेकानंद जी की विशाल प्रतिमा और एक उद्यान बनाया गया है, ताकि इसके इतिहास को संजोकर रखा जा सके।
-सूर्यकांत देवांगन
विवेकानंद सरोवर कर दृश्य बड़ा ही मनोरम लगता है।  इसके पास जाते ही मानो ऐसा प्रतीत होता है कि स्वयं स्वामी जी यहां पर विराजमान हैं और हमें संदेश दे रहे हैं कि 'उठो जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम्हे अपना लक्ष्य न मिल जाये'। पूरे सरोवर सहित स्वामी जी की प्रतिमा पर्यटकों के लिए  आकर्षण का केन्द्र बिन्दु है। इसको लोक लुभावना बनाये रखने  के लिए हर वर्ग को अपनी सेवा देने की आवश्यकता है। वैसे तो इसे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित कर दिया गया है,जहां इस मनोरम दृश्य को देखने के लिए देश-विदेश सहित कई प्रदेशों से अनगिनत लोग यहां पहुंचते हैं।
-योगेश मिश्रा
बूढ़ा तालाब परिसर में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति स्थापित करके रायपुर ने स्वामी जी के इतिहास को संजोये रखा गया है।  आज भी उनकी याद व  किए गए कार्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वैसे तो रायपुर के लिए वो 2 साल स्वर्णिम ही रहे। उन्होंने बूढ़ा तालाब  के पास स्थित हरिनाथ परिसर में रह कर अपना जीवनयापन किया था। उस जमाने में वे लालटेन से अध्ययन किया करते थे। आज इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाये रखने की जरूरत है, ताकि युगों-युगों तक हम सभी उनके कार्यों व विचारों से प्रेरणा लेते रहे।
-विंदेश श्रीवास्तव

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies