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संकल्प-महाशिविर में करीब 1 लाख स्वयंसेवकों ने लिया देश को परम वैभव पर ले जाने का संकल्प
गत 3-5 जनवरी को जबलपुर में सम्पन्न संकल्प-महाशिविर में करीब एक लाख स्वयंसेवकों ने आने वाले समय में देश और समाज निर्माण में अहम भूमिका निभाने का संकल्प लिया। स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती के संदर्भ में आयोजित संकल्प-महाशिविर में महाकौशल प्रंात के 29 जिलों से आए स्वयंसेवकों ने स्वामी जी के आदर्शों पर चलकर एवं देश व समाज को परम वैभव तक पहुंचाने की शपथ ली। करीब एक लाख स्वयंसेवकों ने राष्ट्रभक्ति का अनुपम उद्घोष गुंजाया। शिविर के दौरान स्वयंसेवकों के पथ संचलन ने लोगों के संघ के कड़े अनुशासन का भान कराया। यह तीन दिवसीय शिविर उन लोगोंं को लिए यादगार रहा, जिन्होंने शहर की सड़कों पर स्वयंसेवकों के पथ संचलन का अप्रतिम दृश्य देखा। संकल्प महाशिविर के समापन अवसर पर हजारों की संख्या में उपस्थित स्वयंसेवकों और लोगों को सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने स्वामी विवेकानंद के जीवन के अनेक पहलुओं से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व पूरे विश्व को मार्ग दिखाया है। आज भारत को महाशक्ति बनाने की चर्चा हो रही है। विश्व में कई देशों ने महाशक्ति के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है, लेकिन भारत का लक्ष्य महाशक्ति बनना नहीं, बल्कि विश्व का नेतृत्व करना है। इसके लिए हमें अपने आपको जागृत करना होगा। देश के प्रत्येक व्यक्ति का लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए। उसी हिसाब से हमें समाज में परिवर्तन लाना है। डॉ. भागवत ने संघ मूल्यों से अवगत कराते हुए कहा कि व्यक्ति निर्माण के बाद समाज का निर्माण होता है। स्वयंसेवक इसके लिए पूरी मेहनत करते हैं। समाज में परिवर्तन तभी हो सकता है, जब हम जागृत हों और राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका तय करें। उन्होंने यह भी कहा कि संघ किसी को कुछ देता नहीं है। स्वयंसेवक स्वयं खर्च कर अपनी व्यवस्था करता है। संघ द्वारा देशभर में 1 लाख 30 हजार सेवा कार्य चलाए जा रहे हैं। स्वयंसेवक सभी भेदभाव छोड़कर भारत माता की सेवा में लगे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र, समाज का मान-सम्मान, विकास, प्रगति और प्रतिष्ठा स्वत्व के आधार पर होती है। भौतिकवादी समाज समस्याएं ही दे सकता है। हमारी संस्कृति उदारता और वसुधैव कुटुंबकम की रही है। सरसंघचालक ने आगे कहा, हम सब शुरुआत से ही हिन्दू हैं, लेकिन आज कुछ लोग अपने-आप को हिन्दू कहने में शर्म महसूस करते हैं। कुछ अपने को आधे मन से हिंदू कहते हैं, तो कुछ लोग होते तो हिन्दू हैं, लेकिन मानते नहीं हैं। हमारे समाज को हिन्दू शब्द की महत्ता को समझना होगा। विश्व के दूसरे देशों में रहने वाले लोगों से पूछो कि उन्हें अपनी पहचान बताने के लिए क्या करना पड़ता है। विदेश में रहने वाले हिन्दू तो जाग गए हैं, अब यहां रहने वाले लोगों को जागना होगा। महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर श्री भागवत ने कहा कि नारी को लेकर विश्व में अलग-अलग धारणाएं हैं। कहीं उसे माता का दर्जा प्राप्त है तो कहीं पत्नी का दर्जा। लेकिन हमारा समाज नारी को आदर्श मातृत्व का दर्जा देता है। घर में बहू के मां बनने के बाद उसे घर में बराबरी का दर्जा मिलता है। हमारे यहां कमाता तो पति है, लेकिन तिजोरी की चाबी पत्नी के पास होती है।
इस अवसर पर उपस्थित निवर्तमान शंकराचार्य एवं भारतमाता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंदगिरी महाराज ने कहा कि पथ संचलन एवं महाशिविर से जो ऊर्जा उपजी है, उससे निश्चित ही राष्ट्र का वातावरण बदलेगा। संघ मानव में संस्कृति को जागृत करने का कार्य कर राष्ट्र निर्माण में जुटा है। उन्होंने कहा कि संकल्प महाशिविर पूरे देश में परिवर्तन लाएगा। उन्होंने आगे कहा, हिन्दुओं में उदारता की भावना रही है। लेकिन आज समाज जातियों में बंट कर बिखर रहा है। हिन्दुओं की उदारता की परंपरा रही है। प्रजातंत्र ने गरीबी हटाने के नारे दिए, लेकिन गरीबी नहीं हटी। वनवासी अंचल के लोग आज भी वैसा जीवन जी रहे हैं। उनकी जीवन शैली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। प्रतिनिधि
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