जारी है बंगलादेश में हिन्दुओं का संहार
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बंगलादेश में हिन्दुओं को छांट-छांटकर मारा जा रहा है।
लोगों को घरों में बंद कर आग लगाई जा रही है।
अब तक हजारों हिन्दू बेघर हो चुके हैं और बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं।
हमारे पड़ोसी देश बंगलादेश में 1971 जैसे हालात पैदा हो गए हैं। 1971 में चुन-चुन कर जिस तरह हिन्दुओं को मारा गया था ,वैसा ही कत्लेआम इस समय भी हिन्दुओं का किया जा रहा है। हिन्दुओं को छांट-छांटकर मारा जा रहा है, हिन्दुओं की बहू-बेटियों के साथ खुलेआम बलात्कार किया जा रहा है ,मन्दिरों और घरों को आग के हवाले किया जा रहा है। कई जगहों से ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि हिन्दुओं के खेतों और खलिहानों पर भी मुस्लिमों ने कब्जा कर लिया है। राजशाही,दिनाजपुर,चटगांव सहित अनेक जिलों में हिन्दुओं पर हमले हो रहे हैं। 8 जनवरी को नेत्रकोना जिले में एक काली मन्दिर के एक बड़े हिस्से में तोड़फोड़ करने के बाद दंगाइयों ने उसमें आग लगा दी । दिनाजपुर जिले के एक पीडि़त हिन्दू ने टेलीफोन से पाञ्चजन्य को बताया कि 5 जनवरी को चुनाव खत्म होते ही जमाते इस्लामी और बंगलादेश नेशनल पार्टी के कार्यकर्ता हथियारों से लैस होकर हिन्दुओं पर हमला करने लगे। हिन्दुओं के गांव के गांव जला दिए गए। उन्होंने यह भी बताया कि कई घरों में तो हिन्दुओं को बंद करके आग लगा दी गई है। यह सिलसिला इस समाचार को लिखे जाने तक चल रहा था। हजारों हिन्दू बेघर हो गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बड़ी संख्या में हिन्दू मारे जा रहे हैं। जो लोग किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल हुए हैं वे अब भूख-प्यास और ठण्ड से जान गंवा रहे हैं। बेघर हुए लोगों के पास न तो खाने के लिए अन्न है और न ही पहनने के लिए वस्त्र। कई जगहों पर हिन्दुओं ने हमलों का विरोध भी किया है। इसी का नतीजा है कि बंगलादेश की सरकार ने हिन्दुओं पर हुए हमलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधिकरण बनाने की घोषणा की है।
बंगलादेशी अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर कहर बरप रहा है, फिर भी भारत सरकार ने अभी तक इस पर चिंता भी व्यक्त नहीं की है। राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने भारत सरकार से मांग की है कि वह इस मुद्दे पर बंगलादेश की सरकार से बात करे। भाजपा को छोड़कर और किसी भी राजनीतिक दल ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है। वे वामपंथी बुद्घिजीवी भी चुप हैं,जो एक आतंकवादी के मारे जाने पर भी गला फाड़कर चिल्लाते हैं कि यह मानवाधिकार का खुला उल्लंघन है। वह सेकुलर मीडिया भी बंगलादेशी हिन्दुओं पर कोई बड़ी खबर नहीं दे रहा है,जो इन दिनों मुजफ्फरनगर में शिविरों में रह रहे मुसलमानों की व्यथा बताने में अपने आपको आगे दिखाने की कोशिश कर रहा है।
इस वर्ष अमरीका में जबरदस्त ठण्ड पड़ रही है। अमरीका के सभी 50 राज्यों में पारा शून्य के नीचे पहुंच गया। 1896 के बाद यह पहला अवसर है जब अमरीका में इतनी ठण्ड पड़ रही है। इतनी सर्दी हुई कि नदियां भी जम गईं। अमरीका के मध्य पश्चिमी भाग और पूर्वी हिस्सों में तापमान अंटार्कटिका से भी नीचे चला गया। बर्फबारी से कई जगह रेल गाडि़यां फंस गईं,तो कई नदियों में नावें जम गईं। ठण्ड से अब तक दो दर्जन से अधिक लोग मर चुके हैं। वहीं अमरीका को भारी आर्थिक क्षति हुई है।
विदेशों में भी शहीद हो रहे हैं हमारे सपूत
तंजानिया के बाद विदेशों में सबसे अधिक शहीद हो रहे हैं भारतीय सैनिक। हाल ही में जारी एक रपट के अनुसार 2013 में विभिन्न देशों में तैनाती के दौरान हुए हमलों में सात भारतीय सैनिक और तंजानिया के दस सैनिक शहीद हुए। मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर दुनिया के विभिन्न देशों में चल रहे संघषोंर् को शांत कराने के लिए अलग-अलग देशों के सैनिक तैनात होते हैं,जिनको शांति सैनिक कहा जाता है। 2013 में संयुक्त राष्ट्र संघ के 33 शांति सैनिक और 25 असैन्य नागरिक एवं सहायक कर्मी मारे गए हैं। 2012 में 17 शांति सैनिक और 20 नागरिक मारे गए थे। 2011 में 26 असैन्य नागरिक,9 शांति सैनिक एवं 1 सैन्य सलाहकार की हत्या हुई थी। 2013 में दारफुर में शांति बहाली के दौरान विभिन्न देशों के 16 सैनिक शहीद हुए ,जबकि दक्षिणी सूडान में सात सैनिकों ने शहादत पाई।
प्रस्तुति: अरुण कुमार सिंह
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