अमरीका में बज रहा है भारतवंशियों का डंका
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वाशिंगटन में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे पर आरोप लगाया कि वह अपनी नौकरानी को अमरीकी कानून के हिसाब से तनख्वाह नहीं देती हैं। इसी आधार पर उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। इस मुद्दे पर भारत और अमरीका के बीच तनातनी भी हुई । इसी तनातनी के बीच भारत ने भी यह जानकारी ली कि नई दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास में काम करने वालों कर्मचारियों को भारतीय नियम के अनुसार वेतन दिया जाता है कि नहीं ? पता लगा है कि अमरीकी दूतावास में भी जमकर भारतीय कानून को तोड़ा जा रहा है। ज्यादातर कर्मचारियों को नियमानुसार वेतन नहीं दिया जाता है। क्या इसके लिए अमरीकी राजदूत के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?
अमरीका भारतीय राजनयिक के साथ चाहे जो सलूक करे, पर वह यह बात मानने लगा है कि अमरीका में भारतवंशियों का डंका बजने लगा है। एक जानकारी के अनुसार इस समय अमरीका में ओबामा प्रशासन में 50 से अधिक भारतवंशी अमरीकी शीर्ष पदों पर काम कर रहे हैं। अकेले व्हाइट हाउस में एक दर्जन से ज्यादा भारतवंशी विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। कहा जा रहा है कि अमरीका में शायद ही कोई ऐसा सरकारी विभाग होगा जहां भारतवंशीय लोग काम न करते हों। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। ओबामा प्रशासन में भारतीयों को कुछ ज्यादा ही तरजीह मिल रही है। यूएसएड के प्रशासक राजीव शाह ओबामा प्रशासन में शीर्ष पद पर कार्यरत भारतवंशी अमरीकी हैं। 2013 में निशा बिस्वाल को दक्षिण एशियाई मामलों के लिए सहायक विदेश मंत्री नियुक्त किया गया था। पिछले ही दिनों यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूसटन की कुलपति रेणु खाटर को फेडरल रिजर्व बैंक की डलास शाखा का उपाध्यक्ष नामित किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस समय अमरीका में लगभग 30 लाख भारतवंशी रह रहे हैं। अमरीकी अंतरिक्ष संस्थान नासा में करीब 30 प्रतिशत वैज्ञानिक भारतीय हैं। चिकित्सा क्षेत्र में भी भारतीयों की अच्छी खासी-संख्या है।
सऊदी अरब में जिन भारतीय श्रमिकों पर बेरोजगारी की तलवार लटक रही थी अब वे चैन की सांस ले सकते हैं। सऊदी अरब और भारत सरकार के बीच हुआ कामगार सहयोग समझौता उन्हें कवच के रूप में मिल गया है। इस समझौते पर 2 जनवरी को नई दिल्ली में अप्रवासी मामलों के मंत्री व्यालार रवि और सऊदी अरब के श्रम मंत्री आदेल बिन मोहम्म्द फाकेह ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते से लगभग 8 लाख भारतीयों को सऊदी अरब में घरेलू कामगार का दर्जा मिल गया है। अब उन्हें सऊदी अरब छोड़ने की जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष सऊदी अरब ने निताकत कानून बनाया था। इस कानून के अनुसार कम से कम 49 कर्मचारियों वाली निजी कम्पनियों में 10 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार देना अनिवार्य कर दिया गया है। इस कारण अब तक करीब डेढ़ लाख भारतीयों को भारत वापस होना पड़ा है। ये लोग अभी भी बेरोजगार हैं। भारत सरकार इसी तरह के समझौते खाड़ी के अन्य पांच देशों के साथ भी करना चाहती है। यदि उन देशों के साथ भी यह समझौता होता है तो लगभग 70 लाख भारतीयों को इसका फायदा मिलेगा। ये सभी भारतीय अभी खाड़ी के देशों में काम कर रहे हैं। इनसे लाखों भारतीय परिवारों का गुजर-बसर हो रहा है।
आस्ट्रेलिया में रुक नहीं रहा है भारतीयों पर हमला
आस्ट्रेलिया में आए दिन किसी न किसी भारतीय पर हमला होता है। पिछले दिनों भारतीय छात्र मनराजविंदर सिंह पर अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया। इस समय मनराजविंदर अस्पताल में मौत और जिन्दगी के साथ संघर्ष कर रहा है। समाचार है कि इस मामले में पुलिस ने एक शख्स को पकड़ा है। वह शख्स अफ्रीकी मूल का है। वहां की पुलिस के अनुसार वह युवक इस समय जमानत पर है। कुछ दिन पहले भी उसने एक भारतीय पर हमला किया था। उसी सिलसिले में वह जेल में था। पुलिस ने अदालत को बताया कि यदि उसे जमानत दी जाती है तो वह फिर से किसी भारतीय को निशाना बना सकता है। पुलिस की इस दलील को देखते हुए न्यायालय ने उसे जमानत देने से मना कर दिया है। वह युवक एक ऐसे गिरोह से जुड़ा है,जो भारतीयों पर हमला करवाता रहता है। इस गिरोह का नाम है ह्यकिल योर राइवलह्ण। भारत सरकार आस्ट्रेलिया सरकार से कहे कि वहां भारतीयों की सुरक्षा का प्रबंध करे।
मुसीबत में मुशर्रफ
पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक मुशर्रफ की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। उन पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है। 2 जनवरी को वे रावलपिंडी की सैन्य अदालत में पेशी के लिए जा रहे थे तो उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। अभी वे इलाजरत हैं। इसी बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि कारगिल मामले की जांच की जानी चाहिए और 1999 में हुए तख्तापलट के लिए मुशर्रफ और उनके तत्कालीन सहयोगियों पर मामला दर्ज होना चाहिए।
सत्ता की खातिर हत्या
सत्ता ऐसी चीज है कि उसके लिए लोग अपनों को भी सूली पर टांग देते हैं। दक्षिण कोरिया में कुछ ऐसा ही हुआ है। दक्षिण कोरिया के शासक किम-जोंग-उन ने 12 दिसम्बर 2013 को अपने फूफा जांग-सोंग-थाएक को सूली पर टंगवा दिया। उल्लेखनीय है कि जांग सोंग दक्षिण कोरिया के मंत्रिमंडल में किम के बाद दूसरे सबसे बड़े ताकतवर नेता थे। कुछ दिन पहले उन पर आरोप लगा था कि वे सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी के अन्दर एक गुट बना कर किम की सरकार को गिराने का षड्यंत्र रच रहे थे। जांग सोंग को फांसी पर लटकाने की निंदा विश्व समुदाय ने की थी, किन्तु इस पर दक्षिण कोरिया सरकार ने कोई बयान नहीं दिया। 1 जनवरी,1014 को किम ने इसकी सफाई में कहा कि हमारी पार्टी ने अपने अन्दर मौजूद गन्दगी की सफाई के लिए ऐसा कठोर कदम उठाया है। प्रस्तुति: अरुण कुमार सिंह
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