अगस्ता-वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर करार रद्द
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3,546 करोड़ रुपए का था करार
भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ किए गए 3,546 करोड़ रुपए के करार को भारत सरकार ने रद्द कर दिया है। इस करार में 360 करोड़ रुपये की दलाली के भुगतान का आरोप लगने के बाद भारत ने इसे एक जनवरी को इसे रद्द करने का फैसला लिया। अगस्ता-वेस्टलैंड कंपनी
के दो शीर्ष अधिकारियों द्वारा अनुबंध प्राप्त करने के लिए कथित तौर पर दलाली के भुगतान की खबरें आने के कारण ऐसा हुआ है। फरवरी, 2010 में यह करार किया गया था।
उल्लेखनीय है कि भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एस. पी. त्यागी समेत 14 लोग इस मामले में आरोपी हैं। संबंधित मामले की जांच सीबीआई कर रही है। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी की 1 जनवरी को सुबह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हुई मुलाकात के बाद करार रद्द करने का फैसला किया गया। 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति से जुड़ी है और अगस्ता-वेस्टलैंड तीन हेलाकॉप्टर की आपूर्ति पहले ही कर चुकी है। भारत ने सरकार ने इस संबंध में एंग्लो-इतालवी कंपनी के खिलाफ पंचाट में जाने का फैसला किया है। वैसे भी चुनावी वर्ष होने की वजह से सरकार के फैसले पर कांग्रेस और अन्य दलों की भी आंखें टिकी थीं। इस संबंध में इटली की अदालत में भी वहां के कानून के तहत दलालों पर अभियोग चल रहा है। साथ ही विश्वसनीयता के उपबंध का उल्लंघन करने के लिए वेस्टलैंड से भरपाई के तौर पर 4 हजार करोड़ की मांग कर सकता है। साथ ही कंपनी की ओर से दी गई 1700 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भी जब्त हो सकती है। प्रतिनिधि
क्या था पूरा मामला
दलाली के भुगतान की खबरें आने के बाद भारतीय वायु सेना को दिए जाने वाले 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के अनुबंध पर सरकार ने पिछले साल फरवरी माह में रोक लगा दी थी। इस मामले में आरोपी कंपनी के दो शीर्ष अधिकारियों को इटली में गिरफ्तार किया जा चुका है। जिस समय अनुबंध पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया उस समय भारत 30 फीसदी भुगतान कर चुका था और तीन अन्य हेलीकॉप्टरों के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी। रक्षा मंत्रालय पिछले 10 महीनों में अगस्टा-वेस्टलैंड को दो कारण बताओ नोटिस जारी कर चुका है। कंपनी ने अपने जवाब में किसी भी गलत काम से मना किया है पर सरकार उनका पक्ष अस्वीकार कर चुकी है। सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय को इटली में कथित बिचौलिये से जब्त किए गए दस्तावेज भी हाथ लगे और उम्मीद जतायी जा रही है कि उन्हीं के आधार पर करार रद्द करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में सीबीआई का जांच दल 6 जनवरी को दलाल हैश्के से इटली में पूछताछ कर सकता है।
हैश्के ने दूसरे दलालों के साथ मिलकर करार पर हस्ताक्षर होने से पूर्व एक सूची तैयार की थी जिसमें उन लोगों के कोड नाम थे जिन्हें भारत में घूस की रकम दी जानी थी। इस सूची में अंग्रेजी अक्षर के पीओएल के आगे एपी लिखा गया जिसे 30 लाख यूरो दिए जाने की योजना थी। इसी तरह एफएएम यानी फैमिली को लाखों यूरो दिए लाने की बात लिखी गई थी। इटली सरकार ने यह सूची वहां की अदालत में पेश की है।
कंपनी ने भारत पर लगाया आरोप
कई महीने पहले रक्षा मंत्रालय द्वारा अनुबंध पर रोक लगाने के तुरंत बाद कंपनी ने आरोप लगाया था कि भारत ह्यएक तरफाह्ण तरीके से पेश आ रहा है और उसके खिलाफ पंचाट की कार्यवाही शुरु कर दी है। मंत्रालय ने उस समय कंपनी के साथ कानूनी लड़ाई से मना कर दिया था। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने भी इस करार में खामियां बतायी थीं।
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