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आवरण कथा 'कब टूटेगा ताला' में यह बताने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार से राजनीतिक पार्टियां अनुच्छेद 370 की आड़ लेकर अपना स्वार्थ सिद्घ करने में लगी हुई हैं। लेकिन संकेत साफ है कि आज समय है जब अनुच्छेद 370 को समाप्त कर पूरे देश को एक ही सूत्र में पिरोकर डॉ़ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक विधान,एक प्रधान,एक निशान के सपने को मूर्तरूप देकर साकार बनाना है।
-बी.एल. सचदेवा
263, आईएनए मार्केट (नई दिल्ली)
० जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक पार्टियां अनुच्छेद 370 का जमकर दुरुपयोग करती हैं। इसकी आड़ में राज्य में अलगाववाद, आतंकवाद, उग्रवाद को भी बढ़ावा मिलता है साथ ही अनुच्छेद 370 के चलते राज्य के लोगों को अनेक प्रकार की वे सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं,जो अन्य राज्यों के लोगों को प्राप्त होती हैं।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर, हैदराबाद (आं.प्र.)
० जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का आज दुरुपयोग ही नहीं हो रहा बल्कि इसकी आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा भी मिल रहा है। अलगावादी इसको एक हथियार के रूप में प्रयोग करते हैं, जिससें प्रदेश में ही नहीं देश में अशान्ति की स्थिति उत्पन्न होती है। समय के अनुरूप अब इसे समाप्त करना चाहिए।
-राममोहन चन्द्रवंशी
विट्ठल नगर, स्टेशन रोड, टिमरनी, जिला-हरदा (म.प्र.)
० आज जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 की जरूरत न होकर विकास की जरूरत है। प्रदेश में रोजगार, शिक्षा, महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न व राज्य में व्याप्त आतंकवाद आदि प्रमुख मुद्दे हैं। कांग्रेस पार्टी व उसके सहयोगी दल इन चीजों पर ध्यान क्यों नहीं देते हैं ?
-रमेश कुमार मिश्र
कान्दीपुर पोस्ट-कटघरमूसा,
जिला-अम्बेडकरनगर (उ.प्र.)
० आज के परिदृश्य में अनुच्छेद 370 का कोई भी महत्व नहीं है साथ ही यह देश की अखंडता के लिए खतरा है। इसके लागू होने से देश की राज्य से दूरी बन जाती है। इसलिए आज इस कलंक रूपी रोग को समाप्त कर राष्ट्र को एक ही सूत्र में बांधना समय की मांग है।
-सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम (म.़प्ऱ)
० जम्मू-कश्मीर को अब्दुल्ला परिवार एवं कांग्रेस पार्टी अपनी विरासत वाला आतंकी राज्य बनाना चाहते हैं। राज्य को मुख्यधारा से अलग करने वाले अनुच्छेद 370 को बनाए रखने के लिए ये पार्टियां राज्य के लोगों को दिग्भ्रमित कर इसकी आड़ में अपनी सियासी रोटियां सेकती हैं और राष्ट्र को जोड़ने के बजाय राष्ट्र को तोड़ने का काम करती हैं।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्ऱ)
० देश जानता है कि इस अनुच्छेद का सियासी लाभ कांग्रेस पार्टी ने उठाया है और वोट बैंक के लालच के चलते चुप्पी साध रखी है। जम्मू-कश्मीर को भारत का स्वर्ग कहा जाता है लेकिन अनुच्छेद 370 के चलते यहां नरक जैसी स्थिति है।
-अशोक गंगवार
14/26 आया नगर (नई दिल्ली)
तेजपाल पर चुप्पी
तेजपाल द्वारा अपनी सहयोगी पत्रकार के साथ किया गया कृत्य पूरे महिला जगत को शर्मसार करता है। दूसरों को उपदेश और सत्य का पाठ पढ़ाने वाले ही जब ऐसा कृत्य करंेगे तो फिर क्या होगा। ऐसे लोगों को कड़ा से कड़ा दण्ड दिया जाना चाहिए।
-मनोज पटेल
चानस्पा, जिला-पाटन (गुजरात)
० एक महिला पत्रकार के साथ बलात्कार की घटना घटती है तो पत्रकारिता जगत से कुछ लोग और अनेक वामपंथी संगठन इस घटना को समान्य घटना करार देते हैं और आरोपी को छोड़ने की वकालत करते हैं। अगर यही कार्य उनके परिवार के किसी व्यक्ति के साथ हुआ होता तो भी वह इसी प्रकार तरुण तेजपाल को छोड़ने की वकालत करते ?
-लक्ष्मी चन्द्र
ग्राम बांध कसौली, जिला सोलन (हि.प्र.)
साम्प्रदायिक विधेयक
संप्रग सरकार साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक को संसद में पेश कर पूरी तरीके से हिन्दुओं को फंसाने की तैयारी में है। इस विधेयक में स्पष्ट है कि बहुसंख्यक हिन्दू ही अल्पसंख्यकों को सताते हैं एवं उनके द्वारा ही हिंसा की जाती है। कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव को देखते हुए मुसलमानों के वोट बैंक पाने के लिए हिन्दुओं के खिलाफ इस प्रकार का विधेयक प्रस्तुत कर रही है।
-रामसूरत सिंह
ग्राम व पो़-भुल्लनपुर
जिला-वाराणसी (उ.प्र.)
० इस विधेयक में देश को बांटने व आतंकी मानसिकता का घिनौना भाव छिपा हुआ है। यह विधेयक हिन्दू-मुस्लिम एकता का भी शमन करेगा। राजनीतिक पार्टियां राष्ट्र को बांटने का षडयंत्र कर रही हंै इसलिए सभी को इसका पुरजोर विरोध करना होगा।
-रमेश गुजराल
वांदला मार्केट, खन्ना (पंजाब)
कांग्रेस का दोमुंहापन
संसद का शीतकालीन सत्र दो दिन पूर्व ही स्थगित कर दिया गया,जबकि दो महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार -विरोधी बिल पास होने के लिए रह गए थे। ह्यविसिलब्लोअर सुरक्षा बिल 2011ह्ण तथा ह्यसामान व सेवा की समयबद्घ देन का जनाधिकार एवं शिकायतों का निपटान विधेयक 2011ह्ण, संक्षेप में जिसे ह्यनागरिक चार्टर बिलह्ण कहते हैं, जो दो साल से पास होने की प्रतीक्षा में हैं, लेकिन जानबूझ कर इसे लटकाया गया है।
-अजय मित्तल
खंदक,मेरठ (उ.़प्ऱ)
हिन्दू अधिकारों पर चुप्पी क्यों?
मुजफ्फरनगर की बात आती है तो सेकुलर लोगों की आंखों में मुसलमानों के लिए आंसू आ जाते हैं और वे उनके मानवाधिकारों की वकालत करने लगते हैं लेकिन क्या यहां लोग कश्मीर के हिन्दुओं के विषय में कभी उनके मानवाधिकार के विषय में सोचते हैं ?
-योगेन्द्र पाल सिंह
एस-5 कृष्णपुरी
मुरादाबाद (उ.़प्ऱ)
मुजफ्फरनगर हिंसा
उत्तर प्रदेश की सपा सरकार अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए मुसलमानों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दे रही है, लेकिन जो हिन्दू दंगे में पीडि़त हैं उनकी कोई भी नहीं सुन रहा है। सपा प्रदेश को इस्लामिक प्रदेश बनाने पर तुली है।
-शक्ति कुमार मिश्र
ग्राम व पो. बावन
जिला-हरदोई (उ.प्ऱ)
० सभी पार्टियों को दंगे में पीडि़त मुसलमानों की चिन्ता है, लेकिन कोई भी हिन्दुओं की स्थिति के बारे में सुध नहीं लेता है। जो भी राहत सामग्री आती है वह मुसलमानों को दी जा रही है लेकिन हिन्दुओं तक यह राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है।
– पंकज कुमार चौहान
ग्राम व पो़ खुजराहा
जिला-शाहजहांपुर(उ.प्र.)
सपा का इस्लामीकरण अभियान
सन् 1947 से पहले भारत में केवल एक मुस्लिम कट्टरवादी दल मुस्लिम लीग था। उसने अपने दम पर तत्कालीन कांग्रेस के कमजोर नेताओं को भय दिखाकर भारत का विभाजन हिन्दू-मुसलमान के आधार पर करा डाला था। परन्तु आज तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनेक मुस्लिमपरस्त दल खड़े हो चुके हैं, जिनकी सारी नीतियां ही मुसलमानों को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही हैं। इन्हीं में से एक समाजवादी पार्टी तो उत्तर प्रदेश की मुस्लिम लीग बनती जा रही है। मुस्लिम कट्टरवादियों के आगे निरन्तर समर्पण करती जा रही इस पार्टी द्वारा निरन्तर हिन्दुओं को अपमानित करने का प्रयास भी हो रहा है।
मुजफ्फरनगर दंगों में सभी मुसलमान दंगाई नेताओं को छोड़ने और सम्मान सहित लखनऊ बुलाकर चर्चा, वार्ताएं करने, केवल मुस्लिमों को शरणार्थी बताकर हर परिवार को 5-5 लाख रुपए देने, दंगों में नामजद मुस्लिम मौलानाओं को सरकारी पद व सरकारी सुरक्षा प्रदान करने, पीडि़त जाटों के हथियार लाइसेंस निरस्त करने, जाट पुलिस वालों को प्रदेश के दूरदराज इलाकों में स्थानान्तरित करने, दंगे समाप्त होने के बाद भी महीनों तक सरकारी खर्चे पर मुस्लिम राहत शिविर चलाने आदि के बाद भी जब मुसलमान पूरी तरह संतुष्ट दिखाई नहीं दिये, तो सपा सरकार ने उन्हें प्रसन्न करने के लिए पुलिस-प्रशासन का इस्लामीकरण और तेज करने के प्रयास शुरू कर दिए। इसी क्रम में सपा सरकार द्वारा घोषणा की गयी कि प्रदेश के सभी थानों में मुस्लिम दरोगा व सिपाहियों की नियुक्तियां अवश्य की जाएं। इससे मुसलमानों में पुलिस के प्रति सदभाव व विश्वास जागेगा। इससे पहले सपा सरकार सभी दसवीं पास मुस्लिम छात्राओं को 30-30 हजार रुपए की खैरात बांट ही रही है।
इसी क्रम में सपा नेता मुलायम सिंह ने सरकारी संस्थानों के हिन्दू नामों का भी इस्लामीकरण प्रारंभ कर दिया। गत 23 नवम्बर को उन्होंने सहारनपुर के निर्माणाधीन मान्यवर कांशीराम मेडिकल कालेज का नाम बदलकर दारूल उलूम देवबन्द के संस्थापक सदस्य कट्टरवादी मौलाना मोहम्मद हसन के नाम पर रखे जाने की घोषणा कर दी। यह निश्चित रूप से एक दलित हिन्दू महापुरुष कांशीराम का घोर अपमान है तथा समस्त हिन्दू समाज के मुंह पर एक तमाचा है। परन्तु कांशीराम के नाम पर राजनीति करने वाले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेताओं की भी इस पर जुबान सिली हुई नजर आती है, क्योंकि उन्हें भी मुस्लिम वोटों की राजनीति करनी है। अत: वह केवल इतना ही कह पा रहे हैं कि नाम बदलने की बजाय सरकार को मोहम्मद हसन के नाम पर कोई दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहिए था। यह है इस देश में मुस्लिम तुष्टीकरण की पराकाष्ठा।
इससे पहले सपा की प्रदेश में सरकार बनते ही उसने वर्षों से चली आ रही हिन्दू सन्त शिरोमणि गुरु रविदास जयन्ती के सरकारी सार्वजनिक अवकाश को समाप्त करके उसे अनुबंधित अवकाश घोषित कर दिया है, जबकि दूसरी ओर राजस्थान के अजमेर में स्थित शेख मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर होने वाले उर्स पर सपा सरकार ने सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया। यह हिन्दू समाज का घोर अपमान है।
इसी प्रकार कई बार डॉ. अम्बेडकर, सरदार पटेल, गांधी आदि महापुरुषों के अपमान को मूक समर्थन दे चुकी समाजवादी पार्टी के मुस्लिम कट्टरपंथी नेता आजम खां ने जिस मौलाना मोहम्मद अली जौहर के नाम पर रामपुर में उर्दू-फारसी विश्वविद्यालय बनवाया है, उस जौहर ने 1923 ई. में काकीनाड़ा में हुए कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए भी मंच से खुलेआम वन्दे मातरम गान का विरोध किया था। मोहम्मद अली जौहर ने ही महात्मा गांधी को नमाज न पढ़ने वाले निकृष्ट मुसलमान से भी निम्न बताया था।
मुस्लिम तुष्टीकरण व इस्लामीकरण की राह पर चलते हुए समाजवादी पार्टी ने अपने हिन्दू नामधारी नेताओं को तो अपमानित किया है, वहीं मुस्लिम कट्टरपंथी नेताओं को निरन्तर प्रोत्साहित किया है। कुछ महीनों पूर्व ओरैया जिले की विधूना सीट से सपा विधायक प्रमोद गुप्ता ने अपने क्षेत्र की खराब कानून व्यवस्था का मामला उठाते हुए विधानसभा से अपनी सदस्यता का सांकेतिक त्यागपत्र मुख्यमंत्री के पास भिजवा दिया था। परन्तु मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार होने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने प्रमोद गुुप्ता को 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। वहीं दूसरी ओर इसी समयावधि में बरेली दंगों के आरोपी राज्यमंत्री स्तर प्राप्त इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने साम्प्रदायिक दंगों की जांच के लिए समिति बनाने व पीसीएस (जे) प्रवेश परीक्षा में उर्दू का पर्चा बहाल करने आदि कुछ मांगों को लेकर राज्यमंत्री स्तर से त्यागपत्र दे दिया, तो उनकी नाराजगी दूर करने के लिए पहले मुलायम सिंह यादव खुद 21 जून को उनसे मिले और फिर उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में उनसे मिलने गए। इससे पहले मुलायम सिंह यादव मुस्लिम वोटों की खातिर दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल्ला बुखारी के आगे निरन्तर नतमस्तक होते रहे हैं। गत विधानसभा चुनावों में बुरी तरह से चुनाव हारे बुखारी के दामाद उमर अलीखान (पश्चिमी विधानसभा, सहारनपुर) को तुरन्त विधान परिषद सदस्य बनाकर सपा ने वहां के मतदाताओं का घोर अपमान किया था। मुस्लिम तुष्टीकरण एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। देश का इतिहास गवाह है कि आजादी से पहले यही मुस्लिम तुष्टीकरण हिन्दू-मुसलमानों के बीच दूरियां बढ़ा
चुका है।
-डॉ. सुशील गुप्ता
शालीमार गार्डन कालोनी, बेहट बस स्टैण्ड, सहारनपुर (उ.प्र.)
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