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बच्चों आज हम आपको बिल्ली प्रजाति के एक ऐसे प्राणी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बहुत कम दिखाई देता है। यह दुर्लभ, बेहद शर्मीला पर खतरनाक जीव है हिम तेंदुआ। पिछले दिनों उत्तराखंड के गंगोत्री नेशनल पार्क में हिम तेंदुए की तस्वीरे खींची गई।
हिम तेंदुआ एक सुंदर जानवर है। यह बेहद दुर्लभ जीव है जो यदा-कदा ही नजर आता है। यह जानवर अकेले रहना पसंद करता है। हिमालय की ऊंची पर्वत श्रंखलाओं में जहां बर्फ और बेहद ठंड होती है साथ ही समुद्रतल से 35 सौ मीटर से लेकर 41 सौ मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। अंग्रेजी में इसे स्नो लैपर्ड कहते हैं। सामान्य तेंदुए की तुलना में यह थोड़ा छोटा होता है। इसकी पंूछ काफी लंबी लगभग 90 सेंटी मीटर तक की होती है। हिम तेंदुए का वजन 65 से 70 किलोग्राम तक हो सकता है। इसका रंग सफेद होता है। जिस पर काले धब्बे होते हैं। इसकी खाल बेहद चमकीली और मखमली होती है। हिम तेंदुए के पैरों के तलुए में भी रोंए होते हैं, जो इसे बर्फ में ठंड से बचाते हैं। यह बेहद फुर्तीला व चालक जानवर होता है। अपने रंग के कारण यह बर्फ और चट्टानों के बीच आसानी से नजर नहीं आता । हिम तेंदुआ शिकार करने के लिए बहुत फुर्ती से छलांग लगाता है। यह 10 मीटर से से ज्यादा लंबी छलांग लगा सकता है। पहाड़ी भेड़, हिरण, खरगोश, लोमड़ी इनका शिकार होती हैं। ऊंचाई पर और ठंडे प्रदेशों में रहने के कारण हिम तेंदुए कम दिखाई देते हैं, लेकिन इनकी खाल के लिए शिकारी इन्हें मार डालते है। इसलिए हिम तेंदुए को संरक्षित प्राणियों की श्रेणी में रखा गया है। सामान्यत: हिम तेंदुए अकेले रहते हैं और आमतौर पर रात के समय शिकार करते हैं। ये अपनी आंखों से अंधेरे में भी बहुत अच्छी तरह से देख पाते हैं। जब बर्फबारी ज्यादा हो जाती है तो शिकार न मिलने के कारण ये थोड़ा निचले इलाके में आ जाते हैं। कभी-कभी वन्य अधिकारियों को या फिर पहाड़ी प्रदेशों में घूमने जाने वाले पर्यटकों को हिम तेंदुआ दिखाई दे जाता है।
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