शंकराचार्य के तप के सामने भस्म हुआ षड्यंत्र
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शंकराचार्य के तप के सामने भस्म हुआ षड्यंत्र

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Dec 28, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 28 Dec 2013 14:48:54

आवरण कथा 'सत्यं शिवं सुन्दरम्' में यह बताने का प्रयास किया गया है कि कांची कामकोटिपीठ के पूज्य शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती जी की गिरफ्तारी एक षड्यंत्र के अन्तर्गत हुई थी। शंकर रमन नामक एक व्यक्ति की हत्या का आरोप उन पर लगाया गया था। न्यायालय ने शंकराचार्य जी को बरी कर यह सिद्घ कर दिया है कि झूठ के पांव नहीं होते हैं।
-विशाल कुमार
शिवाजी नगर, वडा, थाणे (महा़)
० पूज्य शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती जी  को संप्रग सरकार,सेकुलर मीडिया और विस्तारवादी ईसाइयत ने फंसाया था। न्यायालय के निर्णय से इन सबकी असलियत बाहर आ गई है।
-राममोहन चन्द्रवंशी
विट्ठल नगर, स्टेशन रोड टिमरनी जिला-हरदा (म.प्र.)
० न्यायालय के इस फैसले से देश की जनता में उसके प्रति श्रद्घा उत्पन्न हुई है। न्यायालय ने इस निर्णय में सत्य को जान कर श्री शंकराचार्य जी पर लगे आरोपों को झूठा करार दिया। इससे प्रत्येक देशवासी न्यायालय के प्रति अभारी है।
-मनोहर मंजुल
 पिपल्या -बुजुर्ग, प़  निमाड़ (म.़प्ऱ)
० हिन्दू समाज और हिन्दू संत-परम्परा को बदनाम करने का जो षड्यंत्र ईसाई मिशनरियों द्वारा रचा गया था उसका पर्दाफाश हो गया। हिन्दू समाज ने धैर्यपूर्वक इस चुनौती का सामना किया।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर, हैदराबाद (आं़.प्ऱ)
० स्वामी जी के बरी हो जाने के बाद मानो अंग्रेजी मीडिया को सांप संूघ गया है। स्वामी जी को दीपावली के दिन गिरफ्तार किया गया था। तब इसी अंग्रेजी मीडिया ने मानो एक प्रकार से उन्हें अपराधी घोषित कर  दिया था। लेकिन अब जब न्यायालय ने उन्हें बरी कर  दिया तो मीडिया की आवाज नहीं निकल रही है।
-हरिहर सिंह चौहान
जंबरी बाग नसिया, इन्दौर (म.़प्ऱ)
० देश का सेकुलर मीर्डिया और कुछ राजनीतिक दल हिन्दुओं,हिन्दू संस्कृति,धर्माचायोंर् को नष्ट करने पर तुले हंै। सेकुलर मीडिया हिन्दुओं की एक छोटी सी भी गलती को बढ़ा-चढा़ कर दिखाता है, जबकि दूसरी ओर यही मीडिया अन्य मत-पंथों की करतूतों पर चुप्पी साध लेता है। समाज को मीडिया की इस दोमुंही चाल को समझना होगा।
-किरनभाई वघेला
पटेलनगर,राजकोट(गुजरात)
समलैंगिकता पर निर्णय सही
सर्वोच्च न्यायालय ने  समलैंगिकता को अपराध घोषित कर भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं की रक्षा की है। समलैंगिकता अपराध ही नहीं यह मानव जीवन में अप्राकृतिक क्रिया भी है, जिसे समाज स्वीकार नहीं करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय संस्कृति एवं परम्परा के लिए ऐतिहासिक फैसला दिया है।
-महेश चन्द्र शर्मा
विवेकानंद पुरी, किशनगंज (दिल्ली)
० सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिकता पर जैसे ही फैसला सुनाया कांग्रेसी नेता और स्वयं राहुल गांधी उनकी पैरवी करने के लिए मीडिया के सामने आ गए । लेकिन वह और भी मामले में इतनी सक्रियता नहीं दिखाते हैं। कश्मीर में जब हमारे जवानों के सर काट लिए जाते हैं तब यही राहुल गांधी कहां होते हैं और न ही उनकी ओर से कई दिनों तक कोई बयान आता है ?
-रमेश कुमार मिश्र
कान्दीपुर, पोस्ट-कटघरमूसा
जिला-अम्बेडकरनगर (उ.प्र.)
मोदी विरोधियों में डर
नरेन्द्र मोदी की देशभर में लहर है। इस कारण विरोधी दलों में  हड़कम्प मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी के सांसद द्वारा बयान देना कि एक चाय वाला प्रधानमंत्री नहीं बन सकता इसी बात की ओर दर्शाता है कि मोदी का खौफ किस प्रकार इनके दिलों में है।
-शेख करीम मुंशी
चपरा, जिला-नदिया (प. बंगाल)
० नरेन्द्र मोदी आज जन-जन की आवाज बन चुके हैं। उनके विरोधियों में इसी बात को लेकर जलन मची हुई है। आज मोदी की प्रत्येक सभा में लाखों-लाख लोगों की भीड़ जमा हो जाती है वह भी टिकट लेकर, जबकि कुछ नेताओं को लोग पैसे पर भी नहीं मिलते हैं।
-आर. जी. शर्मा
खुशहालपुर रोड, मुरादाबाद (उ.प्र.)
० नरेन्द्र मोदी पूरे देश के समग्र विकास की बात कर रहे हैं,लेकिन फिर भी विरोधी उनकी आलोचना में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। गुजरात में उन्होंने जो काम करके दिखाया है वह अपने आप में अभूतपूर्व है। उनकी आलोचना करने वाले नेताओं को उनके विकास की पड़ताल करनी चाहिए उसके बाद उनकी आलोचना करनी चाहिए।
तेजपाल पर चुप्पी
तेजपाल द्वारा अपनी सहयोगी पत्रकार के साथ किया गया कृत्य पूरे पत्रकार जगत को शर्मसार करता है। दूसरों को उपदेश और सत्य का पाठ पढ़ाने वाले ही जब ऐसा कृत्य करंे तो फिर क्या होगा।  ऐसे लोगों को कड़ा से कड़ा दण्ड दिया जाना चाहिए।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)
० तरुण तेजपाल के मामले को जैसे लग रहा है मीडिया के लोगों ने भुला सा दिया है। तेजपाल और तहलका की कार-गुजारियों को मीडिया क्यों नहीं दिखा रहा है ? तेजपाल ने पूरी पत्रकारिता जगत को बदनाम किया है।
-सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा,रतलाम (म.प्र.)

० पत्रकारिता के नाम पर अपनी घृणित इच्छा पूरी करना बहुत बड़ा अपराध है। इसकी तरुण तेजपाल को जितनी भी सजा दी जाए कम है। उससे भी बड़ी बात यह है कि वामपंथियों की चुप्पी। जो छोटी से छोटी बात को उठाने से नहीं चूकते वे इस पर क्यों चुप हैं ?
-अरुण मित्र
रामनगर(दिल्ली)

सपनों का सौदागर-अरविन्द केजरीवाल
इन दिनों समाचार चैनलों पर आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविन्द केजरीवाल की खूब चर्चाएं हो रही हैं। लोग कह रहे हैं कि केजरीवाल की एक साल पुरानी पार्टी ने कमाल कर दिया। किन्तु कोई केजरीवाल की असलियत को बाहर नहीं ला रहा है। बहुत लोगों का मानना है कि अरविन्द केजरीवाल विदेशी शक्तियों के हाथ का खिलौना हैं। वे दो गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.)- ह्यपरिवर्तनह्ण तथा ह्यकबीरह्ण और एक क्षेत्रीय पार्टी आप के सर्वेसर्वा हैं। उनकी संस्थाएं विदेशी पैसों से चलती हैं। उन्होंने अपनी संस्थाओं के लिए फोर्ड फाउण्डेशन, अमरीका से वर्ष 2005 में 1,72000 डॉलर और 2006 में 1,97000 डॉलर प्राप्त किए, जिसके खर्चे का हिसाब-किताब वे आज तक नहीं दे पाये हैं, जबकि उक्त धनराशि प्राप्त करने की बात उन्होंने स्वीकार की है। फोर्ड एक मंजे हुए उद्यमी हैं। बिना लाभ की प्रत्याशा के वे एक फूटी कौड़ी भी नहीं दे सकते। केजरीवाल की संस्थाओं के संबंध विश्व के तीसरे देशों की सरकारों को अस्थिर कर अमरीकी हित के अनुसार सत्ता परिवर्तन कराने के लिए बेहिसाब धन खर्च करने वाली कुख्यात संस्था ह्यआवाजह्ण से है। ह्यआवाजह्ण एक अमरीकी एनजीओ है जिसका संचालन सरकार के इशारे पर वहां के कुछ बड़े उद्योगपति करते हैं। इस संस्था का बजट भारत के आम बजट के आस-पास है। यह संस्था अमरीका के इशारे पर अमरीका या पश्चिम विरोधी सरकार के खिलाफ आन्दोलन चलवाती है। वहां व्यवस्था और संविधान को नष्ट-भ्रष्ट कर देती है और अन्त में अपनी कठपुतली सरकार बनवाकर सारे सूत्र अपने हाथ में ले लेती है। जैसमिन क्रांति के नाम पर इस संस्था ने लीबिया में सत्ता- परिवर्तन किया, तहरीर चौक पर आन्दोलन करवाया, मिस्र को अव्यवस्था और अराजकता की स्थिति में धकेल दिया तथा सीरिया में गृह युद्ध कराकर लाखों निर्दोष नागरिकों को भेड़-बकरी की तरह मरवा दिया। वही पश्चिमी शक्तियां ह्यआवाजह्ण और ह्यफोर्डह्ण के माध्यम से केजरीवाल में पूंजी निवेश कर रही हैं।
उन्होंने दिल्ली की जनता से जो झूठे और कभी पूरा न होने वाले हवाई वायदे किये हैं, वे भी जानते हैं कि उन्हें पूरा करना कठिन ही नहीं असंभव है। दिल्ली की जनता उन्हें 70-70 सीटें भी दे दें, तो क्या वे बिजली के बिल में 50 प्रतिशत की कटौती कर पाएंगे, नि:शुल्क पानी दे पाएंगे या बेघर लोगों को पक्का मकान दे पाएंगे?
पुरानी हिन्दी फिल्म ह्यश्री 420ह्ण की कहानी आंखों के सामने आ जाती है- नायक ने बड़ी चालाकी से मुम्बई के फुटपाथ पर सोने वालों में इस बात का प्रचार किया कि गरीबों की भलाई के लिए एक ऐसी कंपनी आई है जो सिर्फ सौ रुपए  में उन्हें पक्का मकान मुहैया कराएगी। गरीब लोगों ने पेट काटकर रुपए बचाए और कंपनी को दिए। लाखों लोगों द्वारा दिए गए करोड़ों रुपए पाकर कंपनी अपना कार्यालय बन्द कर भागने की फिराक में लग गई। फुटपाथ पर सोने वालों का अपना घर पाने का सपना, सपना ही रह गया। राज कपूर ने आज की सच्चाई की भविष्यवाणी सन् 1954 में ही कर दी थी। आज भी तमाम चिट-फंड कंपनियां सपने बेचकर करोड़ों कमाती हैं और फिर चंपत हो जाती हैं। अरविन्द केजरीवाल भी सपनों के सौदागर हैं। इस खेल में फिलवक्त उन्होंने कम से कम दिल्ली में राहुल गांधी और सोनिया गांधी को मात दे दी है। वे राजनीति की प्रथम चिट-फंड पार्टी के जनक हैं। कांग्रेस के समर्थन से वे सरकार भी बना सकते हैं। सवाल उठता है कि दिल्ली की अधिकारविहीन सरकार के पास गिरवी रखने के लिए है भी क्या? कोई ताजमहल भी तो नहीं है। वे चन्द्रशेखर की तरह भारत के प्रधानमंत्री भी नहीं होंगे जो देश के संचित सोने को गिरवी रखकर कम से कम चार महीने अपनी सरकार चला लें।
जिस अण्णा हजारे के कंधे पर खड़े होकर उन्होंने प्रसिद्धि पाई, उसी का साथ छोड़ा। अण्णा ने पिछले साल 6 दिसम्बर को संवाददाता सम्मेलन में केजरीवाल को स्वार्थी और घोर लालची कहा था। अण्णा कभी झूठ नहीं बोलते। केजरीवाल का उद्देश्य कभी भी व्यवस्था परिवर्तन नहीं रहा है। सिर्फ हंगामा खड़ा करना और अव्यवस्था फैलाना ही उनका मकसद है। भारत को सीरिया और मिस्र बनाना ही उनका लक्ष्य है। साथ देने के लिए सपना देखने वाले गरीब, हत्या को मजहब मानने वाले नक्सलवादी और पैन इस्लाम का नारा देने वाले आतंकवादी तो हैं ही। लेकिन पानी के बुलबुले का अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता। जनता सब देख रही है। जिस जनता ने राहुल की उम्मीदों पर झाड़ू फेर दिया है, अपनी उम्मीदों और सपनों के टूटने पर सपनों के सौदागर केजरीवाल के मुंह पर भी झाड़ू फेर दे, तो कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं होगा।
-बिपिन किशोर सिन्हा
लेन-8सी, प्लाट नं. 78, महामनापुरी विस्तार, पो.-बीएचयू, वाराणसी (उ.प्र.)  

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