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अमदाबाद की स्थानीय अदालत ने एसआईटी की 'क्जोजर' रपट के खिलाफ दायर जाकिया जाफरी की याचिका खारिज की
गुजरात में हुए दंगों के मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वहां के स्थानीय न्यायालय ने निर्दोष करार दिया है। दंडाधिकारी न्यायालय ने दंगा मामलों में विशेष जांच दल (एसआईटी) की 'क्लोजर' रपट को मान्य करते हुए मोदी समेत 63 लोगों को ह्यक्लीन चिटह्ण के खिलाफ दायर जकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया। गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया ने फरवरी 2012 को ह्यएसआईटीह्ण की ह्यक्लोजर रिपोर्टह्ण को खारिज कर मोदी, मंत्रिमंडल सदस्यों और पुलिस अफसरों पर आपराधिक अभियोग दर्ज करने की मांग की थी।
याचिका में 'क्लीन चिट' पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि गुजरात कैडर के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक आर.बी. श्रीकुमार, आईपीएस राहुल शर्मा, निलंबित आइपीएस संजीव भट्ट के बयान व सबूतों के साथ खुद ह्यएसआईटीह्ण की ओर से जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर मोदी और उनके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए, लेकिन न्यायालय ने 350 पृष्ठ के अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्ट्या कोई मामला नहीं बनता है। महानगर दंडाधिकारी बीजे गणात्रा ने फैसले में कहा, 'मैं आपकी याचिका खारिज करता हूं।' जकिया ने कहा कि वह इस मामले में ऊपरी न्यायालय में याचिका दायर करेंगी।
इस संबंध में एसआईटी के अधिवक्ता एसआर जमुवार का कहना है कि जांच सही दिशा में है, न्यायालय के फैसले से यह सिद्ध हो गया है कि एसआईटी की 'क्लोजर' रपट कानूनी दृष्टि से सही थी। अदालत के इस फैसले से उस सेकुलर जमात के मुंह पर करारा तमाचा पड़ा है जो किसी न किसी तरह गुजरात दंगों से नरेन्द्र मोदी को जोड़ने की मुहिम छेड़े थी। झूठे गवाहों बनाई गई कहानियों और बेबुनियाद आरोपों के बार-बार उजागर होने के बावजूद तीस्ता सीतलवाड़ और संजीव भट्ट जैसे सेकुलरों को मुंह की खानी पड़ी है। प्रतिनिधि
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