अथ श्री महा-गारत कथा
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पिछले कई दिन से शर्मा जी सुबह-शाम टहलने नहीं आ रहे थे। ठंड में बुजुगोंर् का स्वास्थ्य सदा खतरे में रहता है। मुझे लगा कि शायद इसी कारण उन्होंने टहलना स्थगित किया है, पर जब उनसे मिले कई दिन हो गये, तो मैं उनके घर जा पहुंचा।
वहां शर्मा जी माथे पर हाथ रखे ऐसे बैठे थे, मानो कोई मर गया हो। उनके सामने रखे समाचार पत्रों में विधानसभा चुनावों के परिणाम छपे थे। भाभी जी ने बताया कि जब से परिणाम आये हैं, ये ऐसे ही गुमसुम बैठे रहते हैं। लोगों से मिलना-जुलना तो दूर, खाना-पीना भी बहुत कम कर दिया है। रात में नींद की गोली लेकर कुछ देर सोते हैं, पर सुबह फिर माथे पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं।
पुराना मित्र होने के नाते उनकी सहायता करना मेरा कर्तव्य था। इसलिए मैंने उनकी पीठ पर सहानुभूति का हाथ रखा।
– शर्मा जी, उठिये। चुनाव में हार-जीत तो लगी ही रहती है। तुलसी बाबा ने भी कहा है, ह्यह्यहानि लाभ जीवन मरण, यश अपयश बिधि हाथ।ह्णह्ण कब तक इसके लिए दुख मनाओगे ?
यह सुनते ही वे फफक कर रोने लगे – वर्मा जी, तुलसी बाबा ने कोई चुनाव लड़ा या लड़ाया होता, तो उन्हें इस दर्द का पता होता। मेरा दिल तो इतनी बुरी तरह टूट चुका है कि ह्यइस दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा कोई वहां गिराह्ण की तरह उन्हें समेटना ही कठिन हो रहा है।
– ऐसा न कहें शर्मा जी, मिजोरम में तो आपकी पार्टी जीती है।
– पूरा शरीर चोटों से भरा हो, तो कान या पूंछ के ठीक होने से क्या होता है? पहले कहीं सत्ता में होते थे, तो कहीं विपक्ष में, पर इस बार दिल्ली में तो तीसरे नंबर पर जा पहुंचे। राजस्थान में भी वह मार पड़ी है कि अशोक गहलोत दिन में तीन बार मालिश करवा रहे हैं। इस नमक हराम जनता ने कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रखा।
– शर्मा जी, भारत की जनता बहुत समझदार है। आप उसे गाली न दें। यह सब आपके नेताओं का ही किया धरा है।
– ठीक कहते हो। मैंने अम्मा मैडम और राहुल बाबा को पत्र लिखा था कि म़ प्ऱ में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ मिलकर सिंधिया की राह में कांटें बिछा रहे हैं; पर वे माने ही नहीं। राजस्थान में अशोक गहलोत को सी़ पी. जोशी और सचिन पायलेट ने ही हरवा दिया। छत्तीसगढ़ में तो अजीत जोगी के साथ चरणदास महंत भी थे। इसलिए ह्यज्यादा जोगी मठ उजाड़ह्ण होना ही था।
– पर शर्मा जी, दिल्ली में तो केजरी ह्यआपाह्ण (आम आदमी पार्टी) ने कांग्रेस के मुंह पर ऐसी झाड़ू मारी है कि कोई ब्यूटी सैलून पुरानी रंगत वापस लौटाने की गारंटी देने को तैयार नहीं है।
– हां, हमने सोचा था कि वे भाजपा के ही वोट काटेंगे। इसलिए हमने उनकी सहायता भी की, पर उस धोखेबाज ने झाडू़ मारकर हमें ही कूड़ेदान में डाल दिया। फिर भी हम सरकार बनाने के लिए समर्थन देने को तैयार हैं, जिससे भाजपा का हल्ला कुछ तो कम हो।
– लेकिन शर्मा जी, मोदी की आंधी को रोकना अब संभव नहीं है।
शर्मा जी उठकर खड़े हो गये – जी नहीं। कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा। मैडम ने फिर से पार्टी की कमान संभाल ली है। लोकसभा चुनाव में राहुल बाबा प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी होंगे।
– शर्मा जी, आप भी बड़े भोले हैं। तुम्हारी अम्मा मैडम के पल्ले से तो पार्टी और सरकार दोनों ही बंधे हैं। सच तो ये है कि कांग्रेस की बरबादी का कारण ये मां-बेटा ही हैं। बाकी कसर धरतीपकड़ दामाद जी पूरी कर देते हैं। यदि ये सब कुछ साल के लिए इटली चले जाएं, तो कांग्रेस का पुनरुद्घार हो जाएगा। अपने पैरों पर चलने के लिए आपको नकली गांधी रूपी इन बैसाखियों का मोह छोड़ना होगा।
– तुम चाहे जो कहो वर्मा, पर असली युद्घ तो अब होगा। जब एक तरफ नरेन्द्र मोदी होंगे, और दूसरी तरफ युवा हृदय सम्राट राहुल बाबा। यह महाभारत सचमुच देखने लायक होगा।
– हां बिल्कुल, पर इससे पहले अपनी पार्टी को महा-गारत होने से तो बचाओ। तुम्हारे महारथी तो लड़ाई से पहले ही घुटने टेक रहे हैंं। शुभचिंतक होने के नाते मैं आपको भी सावधान करना चाहता हूं।
न तुम ही बचोगे न साथी तुम्हारे, जो डूबेगी कश्ती तो डूबेंगे सारे॥
शर्मा जी का चेहरा पीला पड़ गया। वे माथे पर हाथ रखकर फिर नीचे बैठ गये।
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