देवयानी प्रकरण से फिर उजागर हुई अमरीकी हेकड़ी
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दे व यानी खोबरागाडे। न्यूयार्क में भारतीय दूतावास में कार्यरत 39 वर्षीया वरिष्ठ राजनयिक देवयानी। उस दिन और दिनों की तरह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने गई थीं कि अचानक अमरीकी पुलिस आई और उन्हें सबके सामने हथकडि़यां पहनाकर ले गई, जैसे वह कोई शातिर अपराधी हों। नौकरानी को कम वेतन देने और वीसा में गड़बड़ी जैसे बेसिरपैर के आरोप में 12 दिसम्बर को गिरफ्तार करने के बाद देवयानी को 7-8 घंटे हवालात में नशेबाजों और घिनौने अपराध करने वालों के साथ रखा गया। मानसिक यातना की हद तब हो गई जब उनकी ह्यगहनह्ण तलाशी ली गई। अदालत ने बाद में 250,000 अमरीकी डालर के मुचलके पर छोड़ा। अमरीका के दरोगा अच्छी तरह जानते थे कि देवयानी भारतीय राजनयिक हैं लिहाजा उनके साथ ऐसे नहीं पेश आया जा सकता। पर अमरीकी हेकड़ी और दरोगाई ने आंखें बंद रखीं। जैसा कि भाजपा नेता अरुण जेतली ने लिखा, कई मसलों पर अमरीका ने भारत की नरमाई ही देखी है, चाहे वह पड़ोसियों की घुड़कियों पर चुप्पी साधना हो या अमरीकी फरमानों पर बिछ-बिछ जाना। भारत पर थानेदारी करना जैसे अमरीका का शगल बन गया है। इसी मानसिकता में आए ओबामा के अफसर राजनय की परंपराओं को भी धता बता गए।
लेकिन देवयानी के मामले पर भारत में सड़क से संसद तक जैसा आक्रोश दिखा वह असाधारण था। प्रधानमंत्री सहित सरकार में मंत्रियों तक ने अमरीका से माफी मांगने और राजनय परंपराओं का सम्मान करने की मांग तो की। दिल्ली में अमरीकी राजदूत को बुलाकर पूछाताछी तो की, अमरीकी दूतावास पर सख्ती के कदम तो उठाए। संसद में तमाम पार्टियों के नेताओं ने राजनीति लांघकर देश की साख के नाम पर एक बेंच पर बैठने की हिम्मत तो दिखाई। वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने अमरीका से माफी की मांग करते हुए कहा कि भारत में अमरीकी राजनयिक अपने साथ ह्यसहयोगीह्ण वीसा पर साथियों को लाए हैं। समलैंगिकता के अपराध में इन लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए । सड़कों पर देशभक्त संगठनों ने अमरीका को लानतें भेजीं, जस को तस के व्यवहार की मांग की। विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष प्रवीण भाई तोगडि़या ने देवयानी मामले पर अमरीका से कड़ाई से पेश आने और अमरीकी चीजों का बहिष्कार करने का आह्वान किया। दबाव जबरदस्त था। अमरीका के विदेश मंत्री जॉन कैरी को समझ आ गया, गलती हुई। उन्होंने खेद जताया, मामले की तहकीकात कराने के वादे किए। इधर भारत ने देवयानी को संयुक्त राष्ट्र के स्थायी दूतावास में नियुक्त कर उनकी ह्यडिम्लोमेटिक इम्यूनिटीह्ण सुरक्षित की। लेकिन अमरीकी विदेश विभाग खटास को और बढ़ा गया। कहा गया कि ह्यअमरीका देवयानी पर लगे गंभीर आरोपों की जांच से पीछे नहीं हटेगा।ह्ण
1999 बैच की आई.ए.एस. अधिकारी देवयानी भारतीय दूतावास में अधिकारी ही नहीं हैं, परदेस में देश की आन-बान-शान की प्रतिनिधि भी हैं। हम अमरीका की किसी भी दरोगाई को नहीं सहेंगे, भारत सरकार में जिस दिन यह भाव दृढ़ता से जग जाएगा, उस दिन के बाद अमरीका क्या, कोई देश भारत को सतही तौर पर नहीं लेगा।
जमाते इस्लामी के नेता कादिर मुल्ला को 12 दिसम्बर की रात ढाका में फांसी दिए जाने के बाद ढाका और तमाम शहरों में कट्टरवादी उन्मादियों ने जमकर कहर बरपाया। इसके आसार पहले से थे। लेकिन तब भी हिन्दुओं पर खासतौर से साधे गए इस निशाने में करीब 10 लोगों की मौत हुई, करोड़ों का सामान स्वाहा हो गया, सड़कों-बाजारों में अफरातफरी मची। जमाते इस्लामी पर वहां पाबंदी लगी हुई है, पर मुल्ला की फांसी से जमात के नेता यकायक हरकत में आ गए हैं और मुल्क में ह्यइस्लामह्ण को फिर उभारने की कसमें खाने लगे हैं।
शेख हसीना की सरकार भी इस बार कमर कसे हुए है, चौकसी के पुख्ता इंतजाम हैं। फिर भी आने वाले कुछ दिन उन्मादियों के उत्पात देखने में आ सकते हैं। आने वाले आम चुनाव में जमाते इस्लामी व्यवधान डाल सकती है।
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