सुसंस्कारित बनाने वाली शिक्षा पद्धति जरूरी
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मेरठ में पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सात वनवासी छात्रावासों में रहने वाले छात्रों का तीन दिवसीय शीत शिविर संपन्न हुआ। इसमें देहरादून, सितारगंज, सहारनपुर, बरेली, अलीगढ़, वृंदावन और मेरठ के वनवासी छात्रावासों में रह रहे पूर्वोत्तर के 219 छात्र शामिल हुए। शिविर का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सेवा प्रमुख श्री अजीत महापात्र ने किया। शिविर का समापन रा.स्व.संघ सरकार्यवाह श्री भैय्या जी जोशी द्वारा हुआ। इस अवसर पर उपस्थित भैय्या जी जोशी ने कहा कि भारत में सब प्रकार की क्षमता है, यहां हिम्मती युवा वर्ग है, श्रेष्ठ वैज्ञानिक मस्तिष्क है, श्रेष्ठ सेना है, विश्व की एकमात्र सुजलाम, सुफलाम् कहलाने वाली श्रेष्ठ भूमि हैं, कमी है तो सिर्फ विश्वास जगाने वाले नेतृत्व की और व्यक्तिगत जीवन को सोद्देश्य व सुसंस्कारित बनाने वाली शिक्षा पद्धति के अभाव की। शिक्षा आज व्यवसाय बन गई है। इसलिए वह व्यक्ति निर्माण का साधन नहीं रही। अपने यहां तो विद्या को व्यापार नहीं बल्कि सर्वेश्रेष्ठ दान माना गया है। इसी कारण भारत में अंग्रेजों के आगमन के पूर्व तक श्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था थी। गांधीवादी विद्वान धर्मपाल ने अपनी पुस्तक ह्य ए ब्यूटीफुल ट्री ह्ण में उसका वर्णन किया है। अंग्रेजों में भी उस व्यवस्था का देखकर हीन भावना हो गई। उन्हें लगा कि यदि भारत में शासन करना है तो इस व्यवस्था को नष्ट करना होगा। हमारी शिक्षा पद्धति को नष्ट करने के लिए अंग्रेज ह्य मैकाले शिक्षा पद्धति ह्ण लेकर आए, उसने हमें विचार, संस्कार और व्यवहार में अंग्रेज बनाने की कोशिश की। श्री जोशी ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों को यह अनुभूति कराना जरूरी है कि वे भी भारतमाता के पुत्र हैं। आज हालत यह है कि नागालैंड की फुटबॉल टीम दिल्ली के हवाई अड्डे पर उतरी तो वहां अधिकारियों ने उनसे पासपोर्ट मांगे। ऐसी बातें मनोवैज्ञानिक खाई पैदा करती हैं। तीन दिवसीय शिविर में विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर हुए विभिन्न कार्यक्रमों में पूर्वोत्तर की एनईआई एसोसिएशन, हाफलोंग के अध्यक्ष राम किंगबे जेमे, पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रचारक उल्हास कुलकर्णी, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के संचालक डॉ. अतुल कृष्ण, मेरठ के सांसद राजेंंद्र अग्रवाल, मेयर हरिकांत अहलूवालिया समेत प्रांतस्तर के कार्यकर्ता उपस्थिति थे। अजय मित्तल
मैसूर के महाराज नरसिंह राजा वाडियार के निधन पर शोक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मैसूर राजघराने के उत्तराधिकारी महाराज श्रीकांतदत्ता नरसिंह राजा वाडियार की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। गत 10 दिसंबर को उनकी हृदयघात के कारण मृत्यु हो गई थी। उनकी छाती में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें बेंगलूरू स्थित विक्रम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। वह 60 वर्ष के थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने उनकी मृत्यु पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री भागैया ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वह अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति समर्पित थे। महाराज श्रीकांतदत्ता नरसिंह राजा वाडियार बहादुर को श्रीकांत वाडियार के नाम से भी जाना जाता था। वर्ष 1953 में पैदा हुए श्रीकांत वाडियार मैसूर राजघराने के वशंज थे। इस राजघराने ने वर्ष 1399 से लेकर 1950 तक मैसूर पर शासन किया। वह मैसूर के अंतिम शासक महाराज जयाचामराजेंद्रा वाडियार की दूसरी पत्नी महारानी त्रिपुरा सुंदरी अम्मानी अवरू के पुत्र थे। श्रीकांत मैसूर लोकसभा सीट से चार बार सांसद भी रहे। अपने पिता की मृत्यु के बाद परंपरा के अनुसार उनका राज्याभिषेक किया गया। इसके बाद उन्होंने मैसूर राजघराने की कमान संभाली। उनकी शादी महारानी प्रमोदा देवी से हुई थी। दोनों ने मैसूर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री ली थी। वह कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। प्रतिनिधि
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