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समलैंगिकता पर सर्वोच्च न्यायालय का इसे गैरकानूनी ठहराने का फैसला आते ही समलैंगिता के समर्थकों के साथ राहुल गंाधी भी आवाज उठाने लगे॥ राहुल गंाधी ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा ह्यकि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और चुनाव का मसला है । इसे उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए । मैं दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले से सहमत हूंह्य। दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना था।
देश के अधिकांश लोग सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत कर रहे हैं और समलैंगिकता को अपराध मानने के पक्ष में खड़े हैं।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक संबंधों को अपराध करार दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बदलते हुए इसे अपराध की श्रेणी में रख दिया है। कुछ समय पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने धारा-377 पर टिप्पणी करते हुए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था जिसको लेकर विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। लेकिन 11 दिसम्बर को सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश को पलटते हुए कहा कि समलैंगिता को अपराध ही माना जाए।
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