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दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और विश्वविख्यात हस्ती नेल्सन मंडेला के अवसान के बाद दुनिया भर के नेता 10 दिसम्बर को उनकी याद में आयोजित शोक सभा में इकट्ठे हुए थे। जोहांसबर्ग के बाहर एक बड़े स्टेडियम में हुए इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ओबामा से लेकर भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और शांतिदूत माने जाने वाले डेस्मंड टूटू तक मौजूद थे। यानी एक से एक चौबीसों घंटे सुरक्षा घेरे में घिरे रहने वाले कद्दावर नेता वहां थे। वहां के निवासियों की भारी भीड़ थी। मंच पर जहां से भाषण दिए जा रहे थे वहीं बगल में एक आदमी, थामसांका जांतिए खड़ा खड़ा इशारों में कुछ समझाता जा रहा था। स्टेडियम सहित दुनियाभर में टीवी पर वह कार्यक्रम देखने वालों तक ने उसे इशारेबाजी करते देखा और यही माना कि भई, ये भला मानस बधिर लोगों के लिए इशारों की भाषा में भाषण ह्यसुनाह्ण रहा है। वहां मौजूद नेताओं ने भी यही माना। लेकिन इशारों की भाषा के जानकारों ने उसका फर्जीवाड़ा ताड़ लिया कि वह आदमी बेमतलब के इशारे कर रहा है और इशारों की भाषा में उसके हाथ नचाने के कोई मायने नहीं हैं। लोगों ने तुरंत ट्विट किए कि ह्यउतारो इस फर्जी को मंच से। ये फालतू के इशारे कर रहा है, जिनका कोई अर्थ नहीं निकलता।ह्ण अधिकारियों को बाद में बात पता चली तो उनके होश फाख्ता हो गए। काटो तो खून नहीं। वह आदमी मंच तक कैसे पहुंच गया? उसे बधिर भाषा का सिर-पैर तक न मालूम था और वह उसी का विशेषज्ञ बनकर दुनिया के बड़े बड़े नेताओं के बगल में खड़ा उंगलियां नचा रहा था। उस 'फर्जी' इशारेबाज की खोजखबर शुरू कर दी गई। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक, पता चला वह 'बीमार' है, ठीक होने पर बात कर सकेगा।
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