राजपुरोहित का बलिदान
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

राजपुरोहित का बलिदान

by
Nov 30, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 30 Nov 2013 16:56:37

महाराणा प्रताप का नाम इतिहास में अमर है। बादशाह अकबर ने उनको पराजित करने और अपनी अधीनता मनवाने के लिए तीस वर्षों तक सतत प्रयत्न किया, परंतु सफल नहीं हो सका। अकबर की विशाल सेना  का सामना महाराणा ने अपनी सीमित सेना  से किया। जंगलों में भटके। भीलों की सहायता ली। राजसी ठाट-बाट को त्यागकर जीवन भर कष्ट सहे, परंतु अधीनता स्वीकार नहीं की।
महाराणा प्रताप का अनुज था शक्ति सिंह। वही रूप, वही तेज, वही स्वाभिमान, दोनों भाई एक समान। एक दिन दोनों भाई शिकार खेलने गए। अलग-अलग निकले थे। जंगल तो जंगल ठहरा। कोई जाना चाहे उत्तर, तो पहुंच जाए दक्षिण। प्रताप ने एक जंगली सूअर का पीछा किया। उसने प्रताप को बहुत घुमाया। कहां-कहां ले आया। प्रताप ने तीर चलाया। सूअर के पेट में जा समाया। तत्क्षण एक और तीर सूअर की पूंछ को छूता हुआ आया। सूअर घबराया और चकराया। वह कटा वृक्ष सा धरती पर गिर पड़ा। तभी शक्तिसिंह का घोड़ा वहां जा अड़ा।
महाराणा बोले, अरे शक्ति! तुम?
हां भाई सा मैं। यह तीर मेरा है शक्ति सिंह आगे आकर बोले।
क्षत्रिय का निशाना अचूक होता है। फिर तुम्हारा निशाना चूक कैसे गया? राणा प्रताप ने कहा।
जी भाई सा। मेरे क्षत्रिय होने में कोई संदेह है क्या? शक्ति सिंह की वाणी में तल्खी दिखाई पड़ी।
क्या सबूत की आवश्यकता है? सूअर आगे निकल चुका और तुम्हारा निशाना पूंछ के पास लगा। बड़े भाई की सहज भाव से कही गई बात शक्ति सिंह को बुरी तरह अखर गई। क्रोध से नेत्र लाल हो गए। स्वर कठोर हो गया, यह बात है तो आओ निर्णय कर लें कि निशाना किसका अचूक है? कहते-कहते शक्ति सिंह ने अपना भाला उठाया। राणा प्रताप ने भी भाला उठाते हुए कहा, बड़े भाई का सामना करेगा?
क्षत्रिय को जो भी ललकारेगा, उसको जवाब दिया जाएगा। फिर वह बड़ा भाई ही क्यों न हो? शक्ति सिंह ने भाला हवा में लहराया।
प्रताप भी चुप कैसे रहते? क्षत्रिय, फिर अग्रज और राजा भी। अपमान सहना राजपूत के लिए अधर्म है। दोनों के भाले हवा में लहराए। चमचमाती नोंक, मानो एक-दूसरे के रक्त की प्यासी हो गईं। दोनों वीर पल भर में परस्पर वार करके एक-दूसरे के प्राण ले ही लेते, तभी एक गंभीर स्वर ने दोनों को रोक दिया, ठहरो। यह अनर्थ मत करो। क्षण भर को रुककर दोनों ने भद्र पुरुष की ओर देखा। वे और कोई नहीं, मेवाड़ के राजपुरोहित थे। वे फिर गरजे, शर्म नहीं आती तुम्हें? देश पर विधर्मी, विदेशी आक्रमण हो रहे हैं। देश यवनों के अधीन होता जा रहा है और मेवाड़ के वीर राजकुमार मूर्खतावश आपस में युद्ध कर रहे हैं।
वृद्ध राजपुरोहित की बात दोनों ने सुनी, परंतु समझी नहीं। भाले छोड़कर तलवारें निकाल लीं। हवा में तलवारें लहराने लगीं। राजपुरोहित पुन: चिल्लाए, वीरता के साथ बुद्धि भी उपयोग करनी चाहिए। यह आपस में लड़ने का समय नहीं है। मिलकर देश के शत्रुओं से लड़ो। तब तक दोनों भाई भिड़ चुके थे। वे आज निर्णय तक पहुंच जाना चाहते थे। राजपुरोहित को देश की चिंता थी। दोनों क्षत्रियों को अपने निशाने को अचूक प्रमाणित करने की चिंता थी। अत: पुरोहित की बात सुनकर भी अनसुनी कर रहे थे। राजपुरोहित अपने जीवन की चिंता किए बिना दोनों के मध्य जा खड़े हुए। एक-दूसरे पर किए गए वार पुरोहितजी को लगे। वे खून से लथपथ वहीं गिर पड़े। तलवारें रुक गईं। गरदनें झुक गईं। राजपुरोहित के तन पर दोनों के वार लग चुके थे। दोनों कंधे कट चुके थे। सिर सलामत था। दोनों ने तलवारें म्यान में रख लीं। पुरोहित जी से क्षमा-याचना करने लगे। राणा बोले, काका आप बीच में क्यों आए? आप व्यर्थ ही घायल हो गए।
बेटा प्रताप! बेटा शक्ति सिंह! इससे अधिक मैं कर ही क्या सकता था? मैंने बार-बार चेताया, परंतु तुम दोनों की समझ में न आया। देश पर शत्रुओं के आक्रमण हो रहे हैं। जिन्हें देशरक्षा के लिए लड़ना चाहिए, वे आपस में लड़ रहे थे।
काका! लेकिन आप अपने जीवन की रक्षा तो करते? शक्तिसिंह बोले। राजपुरोहित ने कराहते स्वर में कहा, यदि मैं बीच में न आता तो तुम दोनों में से किसी एक के प्राण चले जाते। दोनों के भी प्राण जा सकते थे। उनका स्वर मंद पड़ चुका था। राणा प्रताप ने कहा, काका! अब आपके प्राण बचने आवश्यक हैं। शक्ति सिंह उठाओ उधर से काका को, इन्हें यहां से ले चलें। राजचिकित्सक से उनकी चिकित्सा तुरंत करानी है।
राजपुरोहित ने कराहते हुए कहा, अब मेरे प्राण बचाने का प्रयास व्यर्थ है। दोनों कंधे कट चुके हैं।  अब तो देशरक्षा के लिए अपनी तलवारें उठाओ। मेरा रक्त बह रहा है। राजमहल तक जाते-जाते बहुत रक्त बह चुका होगा।
राजपुरोहित ने लंबी आह भरी, हे राम राजपुत्रों को सुबुद्धि देना। मेरे प्राण तो जाने वाले ही हैं। इनमें देशप्रेम की ज्योति कभी न बुझे। कहते-कहते उन्होंने हिचकी ली और प्राण पखेरू उड़ गए। दोनों भाई एक-दूसरे को दोषी मानते हुए खड़े रहे। फिर राणाप्रताप बोले, शक्ति यह काका का बलिदान तुम्हारी नादानी के कारण हुआ है। मैं राजा होने के नाते आज्ञा देता हूं कि तुम इसी समय राज्य से बाहर निकल जाओ। दु:खी तो शक्ति सिंह भी था। वह राणाप्रताप को दोषी मान रहा था। राजा के नाते दी गई आज्ञा का पालन करते हुए वह तुरंत वहां से चला गया और अकबर से जा मिला। उसने फिर से वही गलती कर दी, जिसे रोकने के लिए राजपुरोहित का बलिदान हुआ था।  मायाराम पतंग

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies