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विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने की प्रबल संभावनाएं बनी हुई हैं। यही वजह है कि दिल्ली के मंत्री तक एक-दूसरे प्रत्याशी की सीट पर प्रचार के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। सभी को डर है कि कहीं उन्हीं की सीट हाथ से न निकल जाए। ऐसा होना भी अवश्यमभावी है क्योंकि अभी तक दिल्ली में कांग्रेस को सीधे भाजपा टक्कर देती थी। वहीं इन दोनों पार्टियों से टिकट नहीं पाने वाले असंतुष्टों ने ह्यआपह्ण, बसपा या राकांपा का दामन थाम लिया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जारी हलचल में आए टाइम्स नाऊ के सर्वे ने चौकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। 22 से 24 नवम्बर के बीच नई दिल्ली विधानसभा सीट पर आधे से ज्यादा मतदान केन्द्रों का सर्वे किया जिसमें अरविंद केजरीवाल पहले पायदान पर खड़े हैं। 42 फीसदी मतदाताओं का रुझान उनके पक्ष में दिखाई पड़ा है। इसके मुताबिक तीन बार से काफी मतों के अंतराल से विजयी रहीं शीला दीक्षित तीसरे पायदान पर दिखाई पड़ रही हैं। इससे साफ है कि अब की बार मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल मंे शामिल रहे प्रत्याशियों का किला ढहने के पूरे आसार हैं। राजेन्द्र नगर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी और मंत्री रमाकांत गोस्वामी मैदान में हैं। पिछली तीन बार से विजयी रहे गोस्वामी को भाजपा के आरपी सिंह कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं आप के विजेन्द्र गर्ग और बसपा के त्रिलोकचंद शर्मा भी कांग्रेस वोट बैंक को नुकसान पहंुचा रहे हैं। मंगोलपुरी (सु) सीट से राजकुमार चौहान के खिलाफ भाजपा के रामकिशोर नरवारिया मैदान में हैं। इस सुरक्षित सीट से बसपा के छतरधारी भी चौहान के वोट बैंक को सेंध लगा रहे हैं। पिछली बार 29863 मतों से जीतने वाले चौहान भी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं क्योंकि मंत्री के नाते क्षेत्र की जनता उनसे जब महंगाई के मुद्दे पर पूछती है तो उनसे जवाब देते नहीं बन रहा है। वहीं लक्ष्मीनगर सीट से मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी डा. अशोक कुमार वालिया को भाजपा के अभय वर्मा कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इस सीट पर आप के विनोद कुमार बिन्नी भी उनके गढ़ को नुकसान पहंुचा रहे हैं। इस बार की कांग्रेस के खिलाफ चल रही हवा उनका काम बिगाड़ सकती है। गांधी नगर सीट से मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी अरविंदर सिंह लवली का मुकाबला सीधे भाजपा के आरसी जैन से है। भाजपा प्रत्याशी समय-समय पर स्कूली बच्चों और अभिभावकों के हितों के लिए लड़े हैं। ऐसे में उनसे क्षेत्र के लोगों को काफी सहानुभूति है। लवली की राह भी आसान नहीं है। विकास के नाम पर वोट मांगने वाले इन प्रत्याशी को जनता आड़े हाथ ले रही है। मालवीय नगर सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी व मंत्री प्रो. किरण वालिया का मुकाबला भाजपा की पूर्व महापौर आरती मेहरा से है। क्षेत्र के लोगों के बीच में सक्रिय नहीं रहना वालिया को भारी पड़ सकता है। इसी सीट पर कांग्रेस से टिकट मांगने वाले सुनील अत्रेय भी कांगे्रस का दामन छोड़कर अब राकांपा से चुनाव लड़ रहे हैं। माना जा रहा है कि पुराने कांग्रेसी होने की वजह से वह वालिया को सेंध लगाने में काफी हद तक कामयाब रहेंगे। बल्लीमारान सीट से कांग्रेस के मंत्री व प्रत्याशी हारुन यूसुफ का मुकाबला भाजपा के मोतीलाल सोढ़ी से है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस बार आप और बसपा ने भी इस सीट मुस्लिम प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि आप और बसपा के प्रत्याशी हारुन का गणित इस बार बिगाड़ सकते हैं। भाजपा प्रत्याशी सोढ़ी का जन अभियान मतदाताओं को लुभाने में कारगर साबित हो रहा है।
भाजपा की स्थिति मजबूत
इसके अलावा महरौली से विधानसभा अध्यक्ष व कांगे्रस प्रत्याशी डा. योगानंद शास्त्री को स्व. मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इस सीट से आप और बसपा ने भी जाट प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा है। ऐसे में शास्त्री की जीत का खेल बिगड़ सकता है। इसी तरह अम्बेडकर नगर(सु) सीट से कांग्रेस के चौ. प्रेम सिंह के विजय रथ को रोकने के लिए भाजपा ने पार्षद खुशीराम को मैदान में उतारा हुआ है। खुशीराम जनता के बीच खासे लोकप्रिय हैं और पिछला निगम चुनाव जीतने के बाद से वह जनता के बीच सक्रिय हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी का उम्रदराज होना और क्षेत्र में उनका सक्रिय नहीं रहना उनका खेल इस बार बिगाड़ सकता है। पटपड़गंज सीट से भाजपा के नकुल भारद्वाज कांग्रेस के अनिल चौधरी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। आप की ओर से इस सीट पर मनीष सिसौदिया प्रत्याशी हैं, जो कि सीधे-सीधे कांग्रेस का वोट बैंक बिगाड़ रहे हैं। पिछली बार मात्र 663 मतों से हारने वाले नकुल भारद्वाज को क्षेत्र की जनता उनकी सक्रियता और हर मुसीबत में खड़े होने की वजह से उन्हें खूब पसंद कर रही है। चर्चा है कि इस बार वह अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी पटखनी देने के लिए तैयार हैं।
इसके अलावा भाजपा की ओर मुख्यमंत्री पद के लिए कृष्णा नगर से डा. हर्षवर्धन, बुराड़ी से श्रीकृष्ण त्यागी, रिठाला से कुलवंत राणा, मुंडका से आजाद सिंह, किराड़ी से अनिल झा, रोहिणी से जयभगवान अग्रवाल, शालीमार से रविन्द्र बंसल, शकूरबस्ती से श्यामलाल गर्ग, करोलबाग से सुरेन्द्रपाल रातावाल, मोती नगर से सुभाष सचदेवा, तिलक नगर से राजीव बब्बर, जनकपुरी से प्रो. जगदीश मुखी, बिजवासन से सतप्रकाश राणा, पालम से धर्मदेव सोलंकी, संगम विहार से डा. एससीएल गुप्ता, ग्रेटर कैलाश से अजय मलहोत्रा, तुगलकाबाद से रमेश बिधुड़ी, त्रिलोकपुरी से सुनील वैद्य, घौंडा से साहब सिंह चौहान, बाबरपुर से नरेश गौड़ और करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट की पकड़ मजबूत बनी हुई है। माना जा रहा है कि इन सभी की जीत का क्रम जारी रहेगा। इसके अलावा पिछले चुनाव में मात्र 1536 मतों से हारने वाले जितेन्द्र सिंह शंटी और विकासपुरी से 943 मतों से हारने वाले कृष्ण गहलोत की स्थिति भी काफी मजबूत है।
सभी की सुरक्षा अहम, प्रशासन चुस्त होना चाहिए
राजधानी में सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर मेरा मानना है कि सुरक्षा बच्चे, महिला और बुजुर्ग सभी की जरूरी है। हम किसी एक की सुरक्षा को लेकर पूरा पुलिस बल तैनात नहीं कर सकते, लेकिन ऐसी नीति जरूर बना सकते हैं जिससे अपराध पर अंकुश लगाकर अपराधियों पर नकेल कसी जा सके। यह कहना है दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त अजयराज शर्मा का। उन्होंने कहा कि महिलाएं अधिकांश तौर पर सुबह-दोपहर बच्चों को स्कूल छोड़ने-लेकर आने, शाम में खरीददारी करने के लिए घर से निकलती हैं। यदि इस दौरान महिलाएं अपराध का शिकार बनती हैं तो पुलिस को उन जगहों को चिन्हित करना होगा, जहां पर जिस समय अपराध हो रहे हैं। समय, स्थान और अपराध के तरीके पर गौर कर अपराध पर काबू पाया जा सकता है। महिलाओं की आवाजाही वाले स्थानों पर पुलिस की सक्रियता बढ़ाई जानी चाहिए। जहां तक कुछ लोग महिला सुरक्षा के लिए पैरवी करते हैं कि कमांडो की तैनाती कर दी जाए तो मैं उससे सहमत नहीं हूं। दरअसल कमांडो चुनौतिपूर्ण स्थिति में देश और नागरिकों की रक्षा के समय अपने प्राणों को न्योछावर तक कर देता है। शहर में महिला अपराध के लिए कमांडो लगाने की बात न्यायसंगत नहीं है, उसके लिए सख्ती और नीति में सुधार की जरूरत है। बुजुर्गों की सुरक्षा का जहां तक सवाल है तो उनकी देखभाल के लिए बीट पुलिसिंग और आरडब्ल्यूए को आगे आना चाहिए। कभी नैतिकता के नाते बीट में तैनात पुलिसकर्मी अकेले रहने वाले बुजुर्ग के बिल आदि भी संबंधित दफ्तर में जमा कर आए तो उनकी मदद के साथ-साथ लोगों की नजरों में पुलिस की सामाजिक छवि सुधरेगी। दिल्ली पुलिस केन्द्र सरकार के अधीन उपयुक्त है, लेकिन समय-समय पर केन्द्र को निकटता बढ़ानी होगी और सिस्टम में आई खामियों को दूर करना होगा। विशेष प्रतिनिधि
कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र
० राजधानी में 10 वृद्धाश्रम बनाएंगे।
० श्रमिकों के लिए आश्रय घर।
० हर विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं के लिए शौचालय।
० दिल्ली में ग्रेटर दिल्ली बनाएंगे।
० डबलडेकर फ्लाईओवर।
० लाडली योजना का विस्तार।
० सांध्य कॉलेजों की संख्या बढ़ेगी। हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी बनेगी और 150 स्कूल खुलेंगे।
० पानी की दरों में स्लैब बदलेंगे।
० स्मार्ट कार्ड से राशन वितरण करेंगे।
० सेंट्रल पार्किंग अथॉरिटी का गठन, पार्किंग सुविधा बढ़ाएंगे ।
० पूर्ण राज्य का दर्जा
भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र
० दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा।
० 30 दिनों में सब्जियों के दाम नियंत्रण में।
० उपभोक्ताओं को साल में 9 के बदले 12 सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर।
० बिजली की दरों में 30 फीसदी की कटौती।
० हर नागरिक का स्वास्थ्य बीमा और स्वास्थ्य का अधिकार।
० हर नागरिक को जन्म से मृत्यु तक 25 दवाइयां नि:शुल्क।
० सभी के लिए रोजगार, नरेला, बिजवासन और नजफगढ़ में आईटी जोन की घोषणा।
० अनधिकृत कॉलोनियों का नियमित कर उनका ले आउट फंड।
० सभी क्षेत्रांे में मेट्रो स्टेशन।
ह्यआपह्ण का चुनावी घोषणा पत्र
० 29 दिसम्बर को जनलोकपाल बिल होगा पारित, मुख्यमंत्री, विधायक व कर्मचारी
जद में।
० तीन माह में स्वराज कानून करेंगे पास।
० डीडीए, पुलिस और निगम सरकार के
अधीन लाएंगे।
० बिजली की दरें आधी की जाएंगी, बिजली कंपनियों का ऑडिट होगा और नहीं कराने पर लाइसेंस रद्द होगा।
० हर दिन हर परिवार को 700 लीटर पानी नि:शुल्क।
० शहर में दो लाख शौचालय।
० 500 नए स्कूल खुलेंगे।
० शिक्षा व स्वास्थ्य में रिक्त पद भरे जाएंगे।
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में डा. हर्षवर्धन सबसे आगे
हाल ही में एबीपी न्यूज और नील्सन के सर्वे में 34 फीसदी लोग डा. हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। 6340 मतदाताओं ने पूछे जाने पर उन्हें पहली पसंद बताया है। वहीं इंडिया टुडे और ओआरजी के सर्वे में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है। भाजपा को 37 फीसदी , कांग्रेस को 29, ह्यआपह्ण को 21 और 13 फीसदी मत अन्य दलों को मिलने की संभावना जताई गई है।
सीटों का अनुमान
पार्टी एबीपी इंडिया टुडे
भाजपा 32 40
कांग्रेस 25 18
ह्यआपह्ण 10 10
अन्य 03 02
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