|
सतरंगी सपनों, बेतहाशा लालच, अक्खड़पन, सत्ता के दलालों से संबंध, नामी-गिरामियों के साथ गलबहियां डालने की इच्छा तहलका के मुख्य सम्पादक तरुण जीत तेजपाल के ताबूत में कील साबित हुई।
अपनी तेज तर्रार और तीखी रिपोर्टिंग से छा जाने वाला आदमी अपनी इन्द्रियों की इच्छाओं के आगे घुटने टेक गया। गोवा में अपनी पत्रिका की एक कनिष्ठ पत्रकार पर कथित यौन उत्पीड़न के आरोपी तेजपाल के चेहरे का नकाब उतर गया जो उसने बड़ी मेहनत से एक बौद्धिक, एक पहुंचे हुए लेखक और घोटालों के खिलाफ अभियान चलाने वाले के तौर पर सेकुलर पत्रकारिता के अगुआ के रूप में बनाया था। बलात्कार के आरोप के बाद एक के बाद एक चीजें सामने आने लगीं- इसे ह्यगलत आकलनह्ण बताने के बाद खुद को प्रायश्चित के लिए छह महीने दफ्तर से दूर रखने की बात, चरित्र हनन और पीडि़ता को धमकाने की बात, दबे-ढके सौदों और तहलका में आने वाले पैसों और उससे जुड़े संगठनों की बात, पूरे प्रकरण को भाजपा का षड्यंत्र बताकर जमानत पाने की बात। इन सब को देखकर दिमाग में सवाल उठता है कि तेजपाल पत्रकार थे या पैसे के यार?
पत्रकारिता के बड़े नामों वरिष्ठ पत्रकारों के अनुसार, तेजपाल ने वास्तविक पंथनिरपेक्षता को गहरा धक्का पहुंचाया है। वरिष्ठ पत्रकार अजय बोस ने टेलीविजन पर कहा कि पत्रकारिता के विरुद्ध तेजपाल ने अपराध किया है और उन्होंने भारतीय पत्रकारिता को बेहद शर्मसार किया है। तहलका के पूर्व ब्यूरो प्रमुख हरतोष बल ने कहा कि विज्ञापन देने वालों के कहने पर तरुण ने कितनी ही रिपोर्टों की हत्या कर दी, एक राजनीतिक दल को खुश करने के लिए आड़ी तिरछी रिपोर्टिंग की कोशिशें कीं। लेखिका अरुंधती राय, जिनका उपन्यास तेजपाल की कम्पनी इण्डिया इंक पब्लिकेशन ने छापा था, का कहना है कि कुछ ही दिन पहले जिस लड़की को नौकरी के लिए एकदम सही पाया गया था वह अचानक न केवल चरित्र की कमजोर हो गई बल्कि फासीवादियों की एजेंट हो गई? यह तो मूल्यों और उस राजनीति का बलात्कार है जिसके लिए खड़े होने का तहलका दावा करता है।
1980 के दशक की शुरुआत में इण्डियन एक्सप्रेस से पत्रकारिता शुरू करने वाले तेजपाल ने स्टिंग आपरेशनों के जरिए अपने पर तेज-तर्रार पत्रकार का लेबल चस्पां करा लिया। लेकिन साफ है कि उनका मिशन सत्ता के गलियारों में भटक गया और वे एक खांटी व्यवसायी बनकर उभरे। उन्होंने कितनी ही कम्पनियां खड़ी कर दी और 13 करोड़ का घाटा उठाया। उनके साथ निवेशक कैसे आ जुटते थे यह एक रहस्य बना हुआ है।
तेजपाल ने कई कम्पनियां बनायीं जिनमें से एक है फर्स्ट वेंचर। दूसरी, अनंत मीडिया, जिसमें 65.75 प्रतिशत हिस्सेदारी तृणमूल कांग्रेस के सांसद के.डी. सिंह की रॉयल बिल्डिंग एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर की है, 19.25 प्रतिशत तरुण तेजपाल, 5.87 प्रतिशत वेल्डन पॉलिमर और 9.31 प्रतिशत अन्य लोगों की हिस्सेदारी है जिसमें उनके घर के लोग शामिल हैं। थिंक वर्क्स कम्पनी में 80 प्रतिशत शेयर तेजपाल के हैं तो 10-10 प्रतिशत शेयर बहन नीना तेजपाल शर्मा और शोमा चौधरी के हैं। ऐसी और कितनी ही कम्पनियां हैं जिनमें तेजपाल की बड़ी भागीदारियां हैं। शराब के उद्योगपति पोंटी चड्ढा (जो पिछले साल मारे गए थे) के साथ बनाया गया प्रूफ्रॉक क्लब लगभग तैयार है जिसमें धनपतियों की अय्याशी के पूरे इंतजाम कराने के वायदे किये गये हैं।
एक दिलचस्प बात यह सामने आयी कि कई हस्तियों, जैसे आमिर खान, नंदिता दास वगैरह ने तहलका की शुरुआत में एक-एक लाख रुपए का चंदा दिया था। केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने 5 लाख रुपए दिये थे।
हाल में इस्तीफा देने वाली तहलका की पूर्व प्रबंध संपादक शोमा चौधरी को सम्पादक से प्रबंध सम्पादक बनने में 10 साल से भी कम वक्त लगा। एक तरह से वह तहलका की मालिक ही थीं। उसका अक्खड़पन और दबंगई वाला अन्दाज तब सामने आ गया जब उसने पीडि़ता की गुहार को रफा-दफा करने की कोशिश की और उसकी शिकायत पर ही सवाल खड़ा कर दिया। सूत्रों का कहना है, अनंत मीडिया ने 15 सौ शेयर 2006 में चौधरी को 15 हजार रु. में दिये थे, जिसमें से उसने 500 शेयर (5 हजार रु. के) बेचकर 66 लाख रुपए बनाये। उसकी इतनी तेजी से सीढ़ी चढ़ने की कला की असलियत क्या है? भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि तेजपाल और उसकी सहायिका शोमा चौधरी जेल भेजे जाने चाहिए। देबोब्रत घोष
टिप्पणियाँ