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नाम बहुत था, काम अब दिखा

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Nov 30, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 30 Nov 2013 16:04:48

पुरानी कहावत है कि हाथी के खाने के और दिखाने के दांत अलग होते हैं। अपने को ह्यमहानह्ण पत्रकार, लेखक और अन्याय के खिलाफ सतत संघर्ष जारी रखने का दावा करने वाले तरुण तेजपाल के कृत्य ने यह साबित कर दिया है। अपनी न केवल सहयोगी, बल्कि पुत्री की सहेली के साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में शामिल होकर उन्होंने कई सवाल छोड़े। पहला, क्या तेजपाल जो अभी तक खोजी पत्रकारिता के नाम पर जो कुछ कर रहे थे, वे कोई लाभ पाने के लिए कर रहे थे ? दूसरा, क्या तेजपाल पहले भी अपनी महिला सहयोगियों का यौन शोषण करते रहे हैं ? क्या तेजपाल को कांग्रेस बचा रही है,क्योंकि वे भाजपा की नीतियों और उसके नेताओं पर तहलका में हल्ला बोलने का कोई अवसर नही छोड़ते थे।
महान समाजवादी चिंतक राममनोहर लोहिया ने स्त्री-पुरुष संबंधों पर कहा था कि बलात्कार और वादाखिलाफी के अलावा स्त्री-पुरुष संबंधों में सब-कुछ जायज है। पर तेजपाल ने तो उस कन्या के साथ बलात्कार किया या प्रयास किया,जो उनकी मात्र सहयोगी थी। उन्हें इस बात का हक किसने दे दिया कि वे इतने घटिया स्तर पर उतर जाएं। जिस तरह की खबरें आ रहीं हैं, उससे तो लगता है कि उनका आचरण उस दिन भेडि़ए जैसा था। अब जबकि उनकी हर तरफ थू-थू हो रही है, तो वे अपने को बचाने के लिए अपने बयान बदल रहे हैं। यही नहीं यह भी कहने लगे हैं कि उन्हें बदनाम करने के लिए भाजपा साजिश रच रही है। तेजपाल के लोग पीडि़त लड़की के घर वालों से मिलकर उन्हें धमका रहे हैं। उन लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। तेजपाल को बचाने में तहलका की प्रबंध सम्पादक शोमा चौधरी भी पीछे नहीं रहीं। वे आमतौर पर नैतिकतावादी का चोला ओढ़ती हैं। शोमा खबरिया टीवी चैनलों में बहुत प्रखर तरीके से अपने विचार रखती हैं। उन्होंने हाल ही में सीबीआई के निदेशक रणजीत सिन्हा के बलात्कार पर दिए गए एक विवादास्पद बयान पर कहा था, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। पर वही शोमा अब चुप हैं,जब उनके बॉस तरुण तेजपाल पर अपनी एक सहयोगी के साथ यौन उत्पीड़न करने के आरोप लग रहे हैं। पहले तो शोमा ये भी नहीं कह रही थीं कि तेजपाल पर मुकदमा चले। ये दोहरी मानसिकता क्यों? इसमें कोई शक नहीं है कि तेजपाल को अपने बचाव करने के आधिकार प्राप्त हैं। उनके पास इस बाबत कानूनी विकल्प हैं। पर, उनके शोमा जैसे साथियों-सहयोगियों से उम्मीद की जाती है कि वे ईमानदारी से सच का साथ देंगे। वे अब अपनी मंशा इसलिए नहीं बदलेंगे क्योंकि आरोपी शख्स उनका बॉस या करीबी है।
बहरहाल, अब सारे मामले की छानबीन पुलिस कर रही है। पर,तरुण तेजपाल अर्श से फर्स पर जाकर गिरे हैं। 50 वर्षीय तेजपाल उम्दा पत्रकार के साथ-साथ प्रकाशक और उपन्यासकार भी हैं। तेजपाल ने मार्च 2000 में तहलका पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया था। तेजपाल ने इससे पहले इंडिया टुडे और आउटलुक समूहों में प्रबंध संपादक के तौर पर काम किया है। तेजपाल के पिता भारतीय सेना में थे और इसी कारण से उनका पालन-पोषण देश के विभिन्न भागों में हुआ। उन्होंने चण्डीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की शिक्षा उत्तीर्ण की। उनका विवाह सलाम बालक ट्रस्ट की ट्रस्टी गीतन बत्रा से हुआ। यानी तेजपाल समाज के सबसे खासमखास कुलीन वर्ग से आते हैं। देश के बौद्घिक क्षेत्र में भी व्यस्त रहते हैं। पर अफसोस कि तेजपाल ने जो शर्मनाक कृत्य किया,उससे समूची पत्रकार बिरादरी शर्मसार हो गई है। विगत 20 नवम्बर 2013 को तहलका पत्रिका ने अपने सहयोगियों को सूचित किया कि तेजपाल अगले छह महीने के लिए संपादक के तौर पर अपना पद छोड़ रहे हैं क्योंकि एक महिला सहयोगी ने उन पर उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। तहलका के प्रबंध संपादक को ईमेल द्वारा भेजी गयी अपनी विस्तृत शिकायत, और फिर तेजपाल द्वारा मांगी गयी लिखित माफी के जवाब में, महिला सहयोगी ने मांग की है कि तहलका तेजपाल के विरुद्घ भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा ह्यविशाखा फैसलेह्ण में दिये गये दिशा निर्देशों के तहत कार्रवाई करे। अब चूंकि कानून अपना काम कर रहा है, तो ये सवाल तो पूछा जा ही सकता है कि तेजपाल जैसे शख्स को एक युवा पत्रकार के साथ बदतमीजी करते वक्त शर्म नहीं आई? उन्होंने क्या एक पल के लिए भी सोचा कि वे जो कर रहे हैं,उसके परिणाम कितने भयावह हो सकते हैं ? जाहिर है, अगर उन्होंने इन तमाम सवालों को सोचा होता तो वे बलात्कार की ओछी हरकत नहीं करते। बहरहाल,उनके सारे पत्रकार जीवन की कमाई धूल में मिल गई है। जैसा कि अब पता चल रहा है,उन्होंने पीडि़त कन्या को ये कहकर धमकाया भी कि अगर उसे अपनी नौकरी बचानी है,तो वे उनके (तेजपाल) खिलाफ शिकायत न करे।
तरुण तेजपाल 2001 में एक चोटी के खोजी के पत्रकार के रूप में सामने आए थे, जब उन्होंने सेना के अफसरों और नेताओं के वीडियो टेप जारी किए जिसमें अफसर और नेता हथियारों के सौदागर बने पत्रकारों से घूस ले रहे थे। उसके बाद तेजपाल तब सुर्खियों में आये जब उन्होंने गुजरात दंगों पर स्टिंग अपरेशन किया। वे लगातार सक्रिय रहे जिसका नतीजा रहा कि ह्यबिजनेसवीकह्ण ने साल 2009 में भारत के सर्वाधिक 50 शक्तिशाली लोगों में तेजपाल को शामिल किया।  इस तरह की शानदार पत्रकारिता करने वाले तरुण तेजपाल का इतना पतन होगा,इसकी उनके किसी शत्रु ने भी कभी कल्पना नहीं की होगी।
बहरहाल, तेजपाल के मामले को लेकर अपने को राजधानी का प्रगतिशील समूह होने का दावा करने वाले इन दिनों चुप हैं। यौन उत्पीड़न के आरोपी तहलका के संपादक तरुण तेजपाल के मसले पर इनकी लंबी चुप्पी समझ से परे है। ये बीते साल तब सबसे मुखर तरीके से बलात्कार के आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग कर रहे थे,जब पूरा देश राजधानी में चलती बस में एक युवती के साथ कुछ दरिंदों की तरफ से किए गए कृत्य के कारण खफा था। तेजपाल भी इसी समूह की नुमाइंदगी करते हैं। और तो और, मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने तो ट्वीट करके तेजपाल का पक्ष ही ले लिया। जब सोशल मीडिया पर उन्हें लताड़ पड़ी तो उन्होंने एक नया ट्वीट किया। बहरहाल, तरुण तेजपाल के लिए आने वाला वक्त कठिनाइयों भरा होगा।
जनहित में इस मामले की जांच हो : आईएमसी
 इंडियन मीडिया सेंटर (आईएमसी) ने कहा है कि यह एक गंभीर मामला है जनहित में इस मामले की जांच हो। एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आईएमसी के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद चन्दन मित्रा, उपाध्यक्ष बृजकिशोर कुठियाला, कार्यकारी निदेशक केज़ी़ सुरेश और सचिव शिवाजी सरकार ने यह मांग रखी़ कोई भी कर्पोरेट या संपादकीय प्रमुख अपने लिये सजा तय नहीं कर सकता। इस तरह के गंभीर मामले में तहलका प्रबंधन द्वारा अपना कर्तव्य न निभाकर ह्यआंतरिक जांचह्ण बिठाना अक्षम्य है और बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। यह संस्थागत विफलता का एक स्पष्ट मामला है और इस मामले में देश के कानून के अनुसार चलना उचित होगा।
तरुण तेजपाल की हरकत से आईजेयू हैरान
इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन (आइजेयू) तरुण तेजपाल की इस हरकत से हैरान है। आईजेयू ने  जारी एक बयान में तेजपाल की इस हरकत की कड़ी निन्दा की  है। आईजेयू ने यह भी कहा है कि तरुण तेजपाल के सन्दर्भ में तहलका की प्रबंध सम्पादक शोमा चौधरी का रवैया तेजपाल को बचाने वाला रहा,जो निराशा पैदा करता है। खुद की गलती के लिए खुद ही सजा तय करना ह्यप्रायश्चितह्ण नहीं है। तेजपाल की इस ओछी हरकत से पूरी पत्रकार बिरादरी बदनाम हुई है। यह एक आपराधिक हरकत है। गोवा पुलिस ने इस सिलसिले में मुकदमा दर्ज करके अच्छा काम किया है। अब इस मामले की जांच तेजी से हो ।
 

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