व्यंग्य बाण की करारी मार यह अकारण नहीं है कि व्यंग्यकारों का सर्वाधिक प्रिय विषय हमेशा से राजनीति रहा है। इसमें सक्रिय विभूतियां अपने स्वार्थ सिद्ध करने, जनता को मूर्ख बनाने, अपनी तिजोरी भरने, येन-केन प्रकारेण सत्ता पर काबिज रहने की ऐसी-ऐसी युक्तियां इस्तेमाल करते हैं कि उन पर सहज यकीन करना भी मुश्किल होता है। ऐसे में साहित्यकार की पारखी नजर से ऐसे नजारे कैसे बचे रह सकते हैं? चर्चित व्यंग्यकार विजय कुमार को भी ऐसे नजारे पकड़ने में महारत हासिल है। इस बात के सबूत हैं, वो व्यंग्य, जो उनकी हाल में प्रकाशित होकर आई पुस्तक ह्यनेताजी का डी.एन.ए.ह्ण में संकलित हैं। ह्यकुर्सी तू बड़भागिनीह्णके बाद, पुस्तक में संकलित व्यंग्य लेखक की व्यंग्यात्मक शैली में अच्छी पकड़ को प्रकाशित करते हैं। समीक्ष्य पुस्तक में कुल 49 व्यंग्य रचनाएं संकलित हैं। इनमें से अधिकांश रचनाओं के केन्द्र में राजनीति में व्याप्त विद्रूप ही है। लेकिन कुछ व्यंग्य इतर विषयों पर भी लिखे गए हैं। देश की आगामी विकास की स्थिति, साहित्य में यशलोलुप, पुरस्कार पिपासु रचनाकार, मोबाइल पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को आतुर पीढ़ी, आपरात्मक भ्रष्टाचार के कीचड़ में डूबकर भी बेशर्मी से खींसें निपोरता नेता, प्रशासक और इन सबके बीच उपेक्षित अपनी दिशा देखकर हतप्रभ होते आम आदमी पर भी व्यंग्य इस पुस्तक में मौजूद हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो लेखक की दृष्टि बहुत व्यापक ही नहीं गहन भी है। वह छोटी से छोटी विपदा को भी अपने रचना  कौशल के जरिए पठनीय व्यंग्य में रूपान्तरित कर देते हैं। हालांकि पुस्तक में संकलित अधिकांश व्यंग्य पठनीय हैं। लेकिन इनमें से कुछ विशेष रूप से उल्लेखनीय और ध्यान आकृष्ट करने वाले हैं। पुस्तक का शीर्षक व्यंग्य नेता जी का डी.एन.ए. सामान्य होते हुए भी राजनीति में सक्रियता के लिए नेताओं के द्वारा धारण की जाने वाली, छद्म रूपों को प्रभावी ढंग से सामने लाता है। टाई और भारत का विकास शीर्षक व्यंग्य आभासी व्यंग्य की तस्वीर को हमारे सामने अनावृत्त करता है। यह व्यंग्य हमें यह सोचने पर विवश भी करता है कि क्या केवल विकास का चमकदार लवादा ओढ़ लेने से भीतर की जमीनी सच्चाई बदल सकती है? मोबाइल और शौचालय शीर्षक व्यंग्य में लेखक चुटकी लेते हुए उस स्थिति की कल्पना करते हैं, जब हमारे जीवन की रोजमर्रा की गतिविधियों को भी मोबाइल जैसे यंत्र संचालित करने लगेंगे। भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक संबंध और उसको लेकर होने वाली राजनीति पर भी कुछ व्यंग्य हैं। आधी सदी से अधिक समय तक शासन करने वाली राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को लेकर भी लेखक ने दो अच्छे व्यंग्य बुरा न मानो कांग्रेस है और बैनी कांग्रेस लिखे हैं। अन्ना आंदोलन को तमाशा बनाने वाले और उसकी आड़ में अपनी रोटियां सेकने वाले राजनीतिज्ञों को भी लेखक ने कठघरे में रखा है। कहने की जरूरत नहीं कि लेखक के व्यंग्य बाण हमारे दौरे की तमाम विसंगतियों को लक्ष्य कर उनका संकलन करने में                    उत्तम हैं। पुस्तक का नाम  -नेता जी का डी.एन.ए. लेखक          -  विजय कुमार प्रकाशक       -   विद्या विहार                    1660 कूचा दखनीराय,   दरियांगज, नई दिल्ली-02 मूल्य       -      2.00 रु.   पृष्ठ   - 60
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

                                                       व्यंग्य बाण की करारी मार यह अकारण नहीं है कि व्यंग्यकारों का सर्वाधिक प्रिय विषय हमेशा से राजनीति रहा है। इसमें सक्रिय विभूतियां अपने स्वार्थ सिद्ध करने, जनता को मूर्ख बनाने, अपनी तिजोरी भरने, येन-केन प्रकारेण सत्ता पर काबिज रहने की ऐसी-ऐसी युक्तियां इस्तेमाल करते हैं कि उन पर सहज यकीन करना भी मुश्किल होता है। ऐसे में साहित्यकार की पारखी नजर से ऐसे नजारे कैसे बचे रह सकते हैं? चर्चित व्यंग्यकार विजय कुमार को भी ऐसे नजारे पकड़ने में महारत हासिल है। इस बात के सबूत हैं, वो व्यंग्य, जो उनकी हाल में प्रकाशित होकर आई पुस्तक ह्यनेताजी का डी.एन.ए.ह्ण में संकलित हैं। ह्यकुर्सी तू बड़भागिनीह्णके बाद, पुस्तक में संकलित व्यंग्य लेखक की व्यंग्यात्मक शैली में अच्छी पकड़ को प्रकाशित करते हैं। समीक्ष्य पुस्तक में कुल 49 व्यंग्य रचनाएं संकलित हैं। इनमें से अधिकांश रचनाओं के केन्द्र में राजनीति में व्याप्त विद्रूप ही है। लेकिन कुछ व्यंग्य इतर विषयों पर भी लिखे गए हैं। देश की आगामी विकास की स्थिति, साहित्य में यशलोलुप, पुरस्कार पिपासु रचनाकार, मोबाइल पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को आतुर पीढ़ी, आपरात्मक भ्रष्टाचार के कीचड़ में डूबकर भी बेशर्मी से खींसें निपोरता नेता, प्रशासक और इन सबके बीच उपेक्षित अपनी दिशा देखकर हतप्रभ होते आम आदमी पर भी व्यंग्य इस पुस्तक में मौजूद हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो लेखक की दृष्टि बहुत व्यापक ही नहीं गहन भी है। वह छोटी से छोटी विपदा को भी अपने रचना  कौशल के जरिए पठनीय व्यंग्य में रूपान्तरित कर देते हैं। हालांकि पुस्तक में संकलित अधिकांश व्यंग्य पठनीय हैं। लेकिन इनमें से कुछ विशेष रूप से उल्लेखनीय और ध्यान आकृष्ट करने वाले हैं। पुस्तक का शीर्षक व्यंग्य नेता जी का डी.एन.ए. सामान्य होते हुए भी राजनीति में सक्रियता के लिए नेताओं के द्वारा धारण की जाने वाली, छद्म रूपों को प्रभावी ढंग से सामने लाता है। टाई और भारत का विकास शीर्षक व्यंग्य आभासी व्यंग्य की तस्वीर को हमारे सामने अनावृत्त करता है। यह व्यंग्य हमें यह सोचने पर विवश भी करता है कि क्या केवल विकास का चमकदार लवादा ओढ़ लेने से भीतर की जमीनी सच्चाई बदल सकती है? मोबाइल और शौचालय शीर्षक व्यंग्य में लेखक चुटकी लेते हुए उस स्थिति की कल्पना करते हैं, जब हमारे जीवन की रोजमर्रा की गतिविधियों को भी मोबाइल जैसे यंत्र संचालित करने लगेंगे। भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक संबंध और उसको लेकर होने वाली राजनीति पर भी कुछ व्यंग्य हैं। आधी सदी से अधिक समय तक शासन करने वाली राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को लेकर भी लेखक ने दो अच्छे व्यंग्य बुरा न मानो कांग्रेस है और बैनी कांग्रेस लिखे हैं। अन्ना आंदोलन को तमाशा बनाने वाले और उसकी आड़ में अपनी रोटियां सेकने वाले राजनीतिज्ञों को भी लेखक ने कठघरे में रखा है। कहने की जरूरत नहीं कि लेखक के व्यंग्य बाण हमारे दौरे की तमाम विसंगतियों को लक्ष्य कर उनका संकलन करने में                    उत्तम हैं। पुस्तक का नाम  -नेता जी का डी.एन.ए. लेखक          –  विजय कुमार प्रकाशक       –   विद्या विहार                    1660 कूचा दखनीराय,   दरियांगज, नई दिल्ली-02 मूल्य       –      2.00 रु.   पृष्ठ   – 60

by
Nov 30, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अच्छे और प्रभावी लेखन की पाठशाला

दिंनाक: 30 Nov 2013 14:00:36

 भा षा केवल हमारे विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति का ही माध्यम भ्नहीं होती है, अपितु हमारी हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार, हमारी पृष्ठभूमि, हमारी सामाजिक स्थिति – इन सभी को समग्र रूप से परलक्षित भी करती है। इस दृष्टि से अच्छी व प्रभावी भाषा के प्रयोग की एक सहज इच्छा किसी के भी मन में हिलोरें ले सकती है। मानव मन की इसी सहज इच्छा की पूर्ति के क्रम में एक महत्वपूर्ण पड़ाव हैै संत समीर की पुस्तक – ह्यअच्छी हिंदी कैसे लिखेंह्ण।
भाषा को कबीर ने बहता नीर कहा है। भाषा का रूप नित नूतनता को अपनाते हुए परिवर्तन के मार्ग पर अग्रसर रहता है। यही किसी भाषा की जीवंतता का लक्षण भी कहा जा सकता है। किंतु इन सब परिवर्तनों के बावजूद भी किसी भाषा की आंतरिक संरचना अथवा कहें कि भाषा की अंतरात्मा में एक तारतम्यता सदैव विद्यमान रहती है। स्वयं लेखक के शब्दों में कहें तो बहते हुए नीर के लिए तटबंध अनिवार्य हैं। तटबंध हटाते ही बहते हुए नीर को बिखरता हुआ नीर बनते देर न लगेगी। इन्हीं तटबंधों से परिचित कराने वाली पुस्तक है – ह्यअच्छी हिंदी कैसे लिखें।ह्ण
लेखक का मंतव्य केवल हिंदी के व्याकरण अथवा मानक हिंदी से पाठकों को परिचित कराना भर नहीं रहा है। स्वयं लेखक ने पुस्तक के प्रारंभ में अपनी बात लिखते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पुस्तक का शीर्षक पढ़कर एकबारगी लग सकता है कि यह पाठकों को व्याकरण और वर्तनी की भूलों के प्रति सचेत करते हुए, उन्हें शुद्ध शब्द और वाक्य लिखना सिखाएगी। ऐसा नहीं है कि इस पुस्तक में व्याकरण और वर्तनी का विषय अनछुआ रहा हो, किंतु यह पुस्तक अपनी समग्रता में इस उद्देश्य को पूरा करती है।
पुस्तक के पहले ही लेख कैसे हो कि कहें अच्छी हिंदी में लेखक ने अच्छे लेखन के सूत्रों को प्रस्तुत करते हुए उसमें सरल एवं उपयुक्त शब्दों के प्रयोग, संप्रेषणीयता, सरलता, विषय प्रतिपादन मंे सक्षमता, लेखन से पूर्व लेखक के मन में विषय की स्पष्टता, शब्द-भंडार के विकास, शब्दों और वाक्यों के कुशल प्रयोग, अनावश्यक शब्द प्रयोग से बचने, मुहावरों, कहावतों व अलंकारों के सटीक प्रयोग के महत्व को सार रूप में निरूपित किया है व आगे के अध्यायों में इन सब पर विस्तारपूर्वक चर्चा की है। भाषा में पूर्ण अधिकार अभ्यास और साधना से ही आ सकता है। अच्छी हिंदी लिखने का रहस्य शीर्षक अध्याय में लेखक ने स्पष्ट किया है कि किस प्रकार अच्छी भाषा के अभाव में अनुभवी, ज्ञानी और सुधी व्यक्ति भी लेखन में प्रवृत्त नहीं हो पाता है। लेखक बनने के क्रम में उपयोगी पांच सूत्रों यथा – अध्ययन, श्रवण, चिंतन, निरीक्षण और अभ्यास को पूरे विश्वास के साथ रूपायित किया गया है। लेखनी उठाने से पहले विषय कहां से लाएं, लेखन की तैयारी करें ऐसे आदि शीर्षक लेखों में पाठक को लेखन में सक्रिय करने की लेखक की प्रयत्नशीलता दिखाई   पड़ती है।
अच्छा लेखक बनने का पहला चरण अच्छा पाठक बनना है। इस तथ्य को पूरी गंभीरता के साथ समझते हुए लेखक ने पढ़ने का भी सलीका सीखिए लेख में पढ़ने के ठीक तरीकों को अत्यन्त सूक्ष्मतापूर्वक बिंदुवार रेखांकित किया है। पढ़ते समय चित्त की स्थिरता, कुछ भी पढ़ने से पहले पढ़ने का उद्देश्य मन में धारण करना, चुनिंदा पढ़ना, पढ़ने के बाद उसका चिंतन करना, पढ़ते समय लिख लेना – इन सबका संकेत करते हुए लेखक ने पाठक को पढ़ने की कला में निपुण बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। आज के युग में समय का अभाव सभी अनुभव करते हैं। ऐसे में कम समय में अधिक पढ़ना अत्यन्त महत्वपूर्ण हो उठता है। पाठक की इसी आवश्यकता को समझते हुए पढ़ने की गति कीजिए तेज लेख में ग्रहण-विस्तार (अधिकाधिक शब्द समूहों को एक साथ देखना) को बढ़ाने की ज़रूरत पर लेखक ने बल दिया है और ऐसा करने के उपाय भी                सुझाए हैं।
शब्दों के चयन पर ध्यान दीजिए लेख में लेखक ने गिरी-गीरी, भागना-दौड़ना, आमंत्रण-निमंत्रण, आलस्य – प्रमाद आदि जैसे एक-से प्रतीत होने वाले शब्दों के सूक्ष्म अंतर को स्पष्ट करते हुए पाठक के भीतर सही शब्द प्रयोग की उत्कंठा जगाने का प्रयास किया है और साथ ही रस बिना आनंद कहां, अलंकार की छटाएं, गाने-गुनगुनाने को चाहिए छंद जैसे रोचक शीर्षक वाले लेखों में पाठक को गूढ़ विषयों को भी आनंद के साथ पढ़ने को आमंत्रित किया है। जहां यह हिंदी को द्वितीय भाषा के रूप में सीखने वालों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं वहीं हिंदी के काम की संस्कृत सूक्तियां व हिंदी की अभिव्यक्ति में संस्कृत के न्याय लेखों में संकलित सामग्री की जरूरत को कई हिंदी भाषी भी महसूस करते होंगे। चौंतीस अध्यायों में विभक्त यह पुस्तक जितनी हिंदी सीखने वालों के लिए उपयोगी है, उतनी ही लेखन कर्म में रत कलम के साधकों के लिए भी।  
पुस्तक का नाम -अच्छी हिंदी कैसे लिखें
लेखक         –  संत समीर
प्रकाशक     –    प्रभात प्रकाशन
 4/19 अरुणा
 आसफ अली रोड,
 नई दिल्ली – 110002
मूल्य     – 4.00 रु. 
पृष्ठ   –  468

 जितेंद्र कालरा       

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies