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सर्वोच्च न्यायालय की अखिलेश सरकार को फटकार
मुजफ्फनगर दंगा मामले में केवल मुस्लिमों को मुआवजा राशि देकर हिन्दुओं के साथ पक्षपात कर रही उत्तर प्रदेश सरकार को अदालत की फटकार पड़ी है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि केवल मुस्लिमों को ही मुआवजा क्यों दिया जा रहा है? क्या हिन्दू दंगों में पीडि़त नहीं रहे? शीर्ष अदालत के ऐतराज जताने पर अब राज्य सरकार पुरानी अधिसूचना को वापस लेकर नई अधिसूचना जारी करेगी।
मुजफ्फनगर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने 26 अक्तूबर को अधिसूचना जारी की थी कि जिसमें 1800 पीडि़त मुस्लिम परिवारों को पुनर्वास के लिए पांच-पांच लाख रुपया राशि बतौर मुआवजा दी जानी थी। प्रदेश की आकस्मिक निधि से 90 करोड़ रुपये मुहैया कराए गए थे, लेकिन अधिसूचना में केवल मुस्लिम पीडि़तों की सहायतार्थ राशि देने का आदेश था। प्रदेश सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये से नाराज जाट महासभा ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की थी। इसी संबंध में 21 नवम्बर को शीर्ष अदालत में मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिसूचना में एक ही समुदाय का जिक्र होने की बात को गलत मानते हुए इसे गंभीर मसला बताया। उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार के साथ ही यह नसीहत दी गई कि वह पहली अधिसूचना बदलकर नई अधिसूचना जारी करे। उसमें सभी दंगा पीडि़तों की मदद की बात होनी चाहिए न कि समुदाय विशेष की। पीठ ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये की वजह से ही जाट महासभा की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में दंगा मामले की जांच राज्य पुलिस से लेकर सीबीआई या किसी अन्य स्वतन्त्र एजेंसी को सौंपने की मांग है। इस याचिका पर आगामी सुनवाई 12 दिसम्बर को होगी।
100 परिवारों को मिला मुआवजा
मुजफ्फरनगर दंगे में करीब 61 लोग मारे गए थे, जबकि सैकड़ों लोग राहत शिविरों मंे रह रहे हैं। प्रदेश सरकार अभी तक 100 परिवारों को राहत राशि बांट चुकी है।
पुरानी राशि वापस ली जाए
मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक की मांग है कि यदि पहली अधिसूचना वास्तव में गलत थी तो अभी तक बांटी गई मुआवजा राशि भी वापस ली जाए। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की पीडि़तों की सूची में किसी हिन्दू पीडि़त का नाम तक दर्ज नहीं है तो फिर उन्हें मुआवजा कैसे मिलेगा। उनका आरोप है कि राहत शिविर में रहने वाले मुस्लिम केवल मुआवजा राशि लेने के लिए ही अपने घरों से बाहर हैं। प्रतिनिधि
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