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ऑटो वालों का उठ गया भरोसा
दिल्ली चुनाव को लेकर सभी क ा मानना है कि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने से दिलचस्प रहेगा, लेकिन जब हमने ऑटो वालों से उनका दम भरने वाले केजरीवाल क ो लेकर बातचीत क ी तो सच्चाई कुछ और ही निकली। इनका कहना था कि शीला क ो ललकारने वाले केजरीवाल क ी कथनी और करनी भी उजागर हो चुकी है। दिल्ली में 80 लाख ऑटो पंजीकृत हैं, जबकि करीब 50 हजार बिना पंजीकरण ऑटो वाले ग्रामीण क्षेत्रों में भी चलते हैं। आगामी चुनाव में दिल्ली सरकार की नीतियों के विरोध में ऑटो चालक व उनके परिवार वाले दिल्ली सरकार या केन्द्र में बैठी सरकार के पक्ष में मतदान नहीं करने क ा मन बना चुके हैं। कभी परमिट जारी करने के नाम पर तो कभी ऑटो में जीपीएस लगाने के नाम पर इनके साथ ठगी की जा रही है।
भारतीय ट्रांसपोर्ट मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र सोनी का कहना है कि दिल्ली सरकार ने ऑटो वालों का जीना दुश्वार कर दिया है। सरकार में मंत्रियों की अलग-अलग करनी-कथनी से ऑटो वाले परेशान हो चुके हैं। ऑटो में जीपीएस लगाने के नाम पर सरकार लूट मचा रही है। पहले परिवहन मंत्री अरविंदर सिंह लवली 7 हजार में जीपीएस लगने की बात कहते थे तो वहीं वर्तमान परिवहन मंत्री रमाकांत गोस्वामी के समय में जीपीएस 18 हजार रुपये का पड़ रहा है। सरकार की मिलीभगत की वजह से ऑटो वालों की जेब पर मार पड़ रही है। उन्हांेने बताया कि आमतौर पर 5 हजार में जीपीएस लग जाता है, लेकिन सरकार ने 18 हजार में इसे मुहैया करा रही है। परिवहन विभाग ने 66/192 के तहत यातायात पुलिस को चालान काटने का अधिकार देकर और परेशानी खड़ी कर दी है।
पहले चालान कटने पर अदालत में जुर्माना भरो, फिर यातायात पुलिस से गाड़ी छुड़ाने के लिए सिफारिश करो और सप्ताहभर थाने या सर्किल में खड़ी गाड़ी की सुरक्षा राम भरोसे रहती है। पुलिस वाले पहले ही साफ कह देते हैं कि खड़ी गाड़ी की देखभाल का जिम्मा उनका नहीं है। सोनी ने साफ कर दिया कि ऑटो, दूसरे छोटे कमर्शियल वाहन वाले, ऑॅटो पार्ट्स और उनसे जुड़े लोगों के परिवार वाले किसी भी सूरत में कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। उन्होंने साफ कर दिया कि वर्तमान सरकार मजदूर विरोधी है जिसे हर हाल में उखाड़ फेंकना है।
वरिष्ठ संवाददाता
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