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अनधिकृत कॉलोनियों से ह्यछलह्ण पड़ सकता है महंगा

by
Nov 16, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 16 Nov 2013 14:57:52

दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले करीब 50 लाख लोग आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। इनमें रहने वाले लोग अभी तक खुद को सरकार के हाथों ठगा महसूस कर रहे हैं। समय-समय पर दिल्ली सरकार ने कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणाएं तो कर दीं, लेकिन जमीनी सच्चाई सरकार के दावों की पोल खोलती है।
कॉलोनियों में रहने वाले निवासी आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से परेशान हैं और उन्हें मकान बनाने तक की अनुमति नहीं है। काम शुरू किया नहीं कि पुलिस, नगर निगम, दिल् ली विकास प्राधिकरण और राजस्व विभाग वाले अपनी जेबें भरने के लिए आ धमकते हैं। यही नहीं बदरपुर, आली, संगम विहार, ओखला, बवाना, नजफगढ़, आया नगर, महिपालपुर, मोहन गार्डन जैसे इलाकों में बसे लोगों के घरों पर हमेशा बुलडोजर चलने की तलवार लटकी रहती है। शीला सरकार ने वोटों की खातिर समय-समय पर इन कॉलोनियों को नियमित करने का राग तो छेड़ दिया, लेकिन उनमें आज भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। सरकार ने दावा किया था कि संपत्तियों की रजिस्ट्री खोल दी गई, लेकिन वह भी कोरा        आश्वासन ही साबित हुआ है।
लोकायुक्त की रिपोर्ट से भी साफ हो गया है कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव से पूर्व कॉलोनियों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट देने की बात पार्टी ने महज वोट प्राप्त करने के लिए ही की थी। लोकायुक्त मनमोहन सरीन ने 5 नवम्बर को अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया कि शीला दीक्षित गलत भावना से प्रेरित होकर ही अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का राग छेड़ा था। 6 नवम्बर को ही प्रदेश भाजपा ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर उनसे मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर अनधिकृत कॉलोनियों की जनता को झूठा आश्वासन देने मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। पत्र में यह भी जिक्र किया गया कि इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कर दिया था कि मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराए जाने से पूर्व कॉलोनियों को नियमित नहीं किया जाए। लेकिन फिर भी दिल्ली सरकार ने प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटे और समाचार पत्र और न्यूज चैनल में विज्ञापन भी दिए थे। ठीक इसी प्रकार पिछले वर्ष सितंबर में दिल्ली सरकार ने अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। इस बार भी सरकार का उद्देश्य सिर्फ अनधिकृत कॉलोनियों की जनता को आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर गुमराह करना है । लेकिन इस बार अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाली जनता सरकार की कथनी और करनी को साफतौर पर समझ चुक ी है। ये लोग जानते हैं कि चुनाव के ऐन मौके पर ही सरकार को कॉलोनियांे में रहने वाले लोगों का केवल वोटों की राजनीति के लिए ही ध्यान आता है। अब की बार जनता सरकार को करारा जवाब देने का मन बना चुकी है। अनधिकृ त कॉलोनी संघर्ष समिति बदरपुर के अध्यक्ष पं. विष्णु दत्त शर्मा ने बताया कि दिल्ली सरकार कॉलोनियों में रहने वाली जनता को नियमित होने के सपने दिखाकर सिर्फ उनके वोट हासिल करना चाहती है।                           वरिष्ठ संवाददाता

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