बंगलादेश में हिन्दू-उत्पीड़न
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एक ओर भारत में बंगलादेशी घुसपैठिए मजे कर रहे हैं, यहां की राज्य सरकारें भी उनको कथित संरक्षण प्रदान कर रही हैं। लेकिन बंगलादेश में हिन्दुओं पर जो अत्याचार हो रहा है उस पर हमारी सरकारें मूक दर्शक बनी रहती हैं। इसी रवैये के कारण पाकिस्तान और बंगलादेश में हिन्दू प्रताडि़त किए जा रहे हैं।
पिछले दिनों बंगलादेश में ऐसा ही एक मामला घटित हुआ, जहां बंगलादेशी मुस्लिमों ने पबना जिले के बोनोग्राम गांव में हिंदुओं के 26 घरों में तोड़फोड़ की। उपद्रवियों ने कई देवी- देवताओं की मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया और करीब 150 हिन्दू परिवारों को पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया। पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने पुलिस महानिरीक्षक से कहा कि वह 24 घंटे के अंदर इसमें शामिल लोगों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करे। न्यायालय ने हिन्दू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने को भी कहा है। स्थानीय थाना प्रभारी रिजाउल करीम के अनुसार घटना में शामिल नौ लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं। अन्य की तलाश की जा रही है। अधिकांश संदिग्ध मुख्य विपक्षी दल बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) व उसकी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी के समर्थक या कार्यकर्ता हैं। घटना जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मलिउर रहमान निजामी के गृह जिले में हुई है। निजामी पर 1971 युद्ध के संदर्भ में मुकदमा चल रहा है। न्यायाधीश काजी रजा-उल हक और एबीएम अल्ताफ हुसैन की पीठ ने पुलिस प्रमुख को हमले की जांच के लिए कहा है। पीठ ने क्षति का आकलन कर रपट न्यायालय को सौंपने के लिए भी कहा है। इस घटना के बाद स्थानीय मानवाधिकारवादी कार्यकर्ताओं ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को ज्यादा सुरक्षा दिए जाने की मांग की है।
पिछले दिनों चीन ने सीमा से सटे तिब्बत के दूरदराज के इलाके को जोड़ने के लिए 117 किमी लंबे राजमार्ग को खोल दिया। सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण इस राजमार्ग के खुलने से तिब्बत का मेदोग काउंटी पूरे चीन से जुड़ गया है।
यह राजमार्ग भारतीय सीमा से सटे होने के कारण संवेदनशील है। भारत के साथ सीमा विवाद में चीन अरुणाचल प्रदेश को ह्यदक्षिणी तिब्बतह्ण का हिस्सा बताता है , जिसका भारत पुरजोर विरोध करता है। यह मार्ग पिछले महीने के अंत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चीन यात्रा के दौरान सीमा रक्षा सहयोग समझौते पर दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के एक सप्ताह बाद खोला गया।
उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास भी विवादास्पद मुद्दा रहा। चीन लगातार इस दिशा में भारतीय सीमा के समीप बुनियादी ढांचे को विकसित कर रहा है। जबकि भारत द्वारा अपने क्षेत्र में आधारभूत ढांचे का विकास किया जाना चीन को पच नहीं रहा है, वह इसका विरोध करता है। चीन तिब्बत में पांच हवाईअड्डे, रेल संजाल और सड़कों का जाल विकसित कर चुका है। सामरिक लिहाज से देखा जाए तो इससे सेना को बहुत कम समय में तेजी से सीमा पर पहुंचाया जा सकता है, जो कि भारत के लिए चिन्ता का विषय है।
पहचान के लिए हटाना पड़ेगा बुर्का
एक ओर जहां भारत के नेता देश की सुरक्षा से ज्यादा मुस्लिमों की चिन्ता करते नजर आते हैं और सुरक्षा के नाम पर की जाने वाली तलाशी पर वे सदैव प्रश्नचिन्ह ही खड़ा करते हंै वहीं दूसरी ओर अन्य देश अपने देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करते हैं। उनके लिए देश की सुरक्षा ही सर्वोपरि है। आस्ट्रेलिया में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जहां पुलिस अब मुस्लिम महिलाओं को अपनी पहचान साबित करने के लिए अपना नकाब या बुर्का हटाने के लिए कह सकती है।
आस्ट्रेलियाई संसद में पिछले दिनों पारित हुए एक नए संशोधित कानून के मुताबिक देश में अब जरूरत पड़ने पर मुस्लिम महिलाओं को नकाब या बुर्का हटाकर अपना चेहरा दिखाने को कहा जा सकेगा।
पश्चिमी आस्ट्रेलिया के कार्यवाहक मंत्री जान डे ने बताया कि इस कानून के तहत पुलिस किसी को भी पहचान साबित करने के लिए नकाब या बुर्का हटाने के लिए कह सकती है।
नए कानून के तहत पुलिस न सिर्फ नकाब हटाने को कह सकती है बल्कि जरूरत पड़ने पर संदिग्ध के डीएनए नमूने भी ले सकती है। इस कानून के तहत संदिग्ध के बाल के नमूने, दांतों और शरीर के दूसरे ऊतकों के नमूने लिए जा सकेंगे
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